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Kanpur News: अन्नदाता परेशान, घंटों लाइन फिर भी खाली हाथ, अधिकारी बोले ड्यूटी लगाकर दे रहे खाद

Kanpur News: किसानों का कहना है कि मक्का वाले खेतों में आलू बुवाई भी शुरू हो गई है लेकिन डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध न होने से खासी दिक्कत हो रही है।

Manoj Singh
Published on: 9 Nov 2024 8:59 AM IST
Kanpur News
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खाद के लिए लाइन में लगे किसान (Pic: Newstrack)

Kanpur News: इन दिनों किसान खाद को लेकर परेशान दिख रहे हैं और सुबह से ही घंटों लाइन में लग रहे हैं फिर भी किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही है। कानपुर देहात के कई साधन सहकारी समितियों पर खाद को लेकर अन्नदाता परेशान हैं और दूसरी तरफ अधिकारी ये कहते नजर आ रहे हैं कि किसानों खाद दी जा रही है।

कानपुर देहात के रसूलाबाद तहसील क्षेत्र और अकबरपुर तहसील क्षेत्र में स्थित साधन सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है जिससे आलू व लाही बुवाई की तैयारी में लगे किसान भटकने को मजबूर हैं। रसूलाबाद कस्बे के अलावा पहाड़ीपुर, भवनपुर, उसरी कहिंजरी आदि सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है।

किसान परेशान

अकबरपुर तहसील क्षेत्र में रूरा, अकबरपुर, बारा समेत गांवों में सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद को लेकर मारामारी है। यही वजह है कि किसान परेशान हैं, दरअसल लाही व आलू की बुवाई की तैयारी में लगे किसान समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें कोरे आश्वासन मिल रहे हैं। सितंबर के महीने में हुई अधिक बारिश के कारण किसानों की लाही आलू आदि की बुआई पहले से ही पिछड़ गई है। ऐसे में अब बुआई के काम में लगे किसानों को खाद बीज जुटाने में संकट का सामना करना पड़ रहा है।

प्राइवेट दुकानों से लेनी पड़ रही खाद

किसानों के मुताबिक अक्टूबर के पहले सप्ताह से लाही की बुवाई का काम शुरू कर दिया जाता है। मक्का वाले खेतों में आलू बुवाई भी शुरू हो गई है लेकिन डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध न होने से खासी दिक्कत हो रही है। किसानों को प्राइवेट दुकानों से खाद लेना पड़ रहा है। प्राइवेट बाजार में गुणवत्ता की कोई गारंटी न होने से किसान संदेह जता रहे हैं।

कृषि अधिकारी ने दी जानकारी

कानपुर देहात के जिला कृषि अधिकारी उमेश गुप्ता ने मीडिया के सामने आकर जानकारी देते हुए बताया अक्टूबर के महीने में लाही, चना, मटर की बुआई कानपुर देहात में हो जाती है और एक नवंबर में गेहूं बुआई शुरू हो जाती है और यहां पर किसानों के द्वारा ज्यादातर डीएपी खाद की मांग की जाती है, डीएपी के प्रति किसान जागरूक है। उमेश गुप्ता का कहना है कि इस बार जितना डीएपी जनपद को चाहिए था उससे थोड़ा कम प्राप्त हुआ है लेकिन हम फिर भी साधन सहकारी समितियों पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर किसानों को खाद वितरण करा रहे हैं।



Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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