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Kanpur Dehat: छोटी रजवाहा और माइनरों की सफाई में अधिकारियों का बड़ा खेल, सिल्ट सफाई में धन की नहीं है जानकारी फिर भी अफसर बने अनजान

Kanpur Dehat News: 18 किलोमीटर वही आलमपुर नहर जो आलमपुर हेड (झाल) से शुरू होकर कस्बा संदलपुर की चौकी से होते हुए अंतापुर गांव तक आती है। इसकी लंबाई करीब 14 किलोमीटर है और सिकंदरा नहर से निकली माइनर सिल्हौला गांव तक पहुंच गई है।

Manoj Singh
Published on: 17 Nov 2024 2:09 PM IST (Updated on: 17 Nov 2024 2:38 PM IST)
Kanpur Dehat: छोटी रजवाहा और माइनरों की सफाई में अधिकारियों का बड़ा खेल, सिल्ट सफाई में धन की नहीं है जानकारी फिर भी अफसर बने अनजान
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Kanpur Dehat (newstrack)

Kanpur Dehat News: सिकंदरा कानपुर देहात। भोगनीपुर इटावा नहर खंड की सिकंदरा आलमपुर हेड (झाल) कांधी से शुरू होकर औड़ेरी, मुंगीसापुर, बरौर होते हुए रसधान तक जाती है। जब नहर चेयरमैन नन्हे लाल से बजट के बारे में पूछा गया तो नन्हे लाल संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने बताया कि 5 से 6 किलोमीटर के लिए 148000 आया है लेकिन पूरे 18 किलोमीटर के लिए वह सही धनराशि नहीं बता सके। नन्हे लाल ने कहा मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। जिसकी लंबाई करीब 18 किलोमीटर है जिसमें सिल्ट सफाई के नाम पर खेल किया जाता है। 18 किलोमीटर वही आलमपुर नहर है जो आलमपुर हेड (झाल) से शुरू होकर कस्बा संदलपुर की चौकी होते हुए अंतापुर गांव तक आती है। इसकी लंबाई करीब 14 किलोमीटर है और सिकंदरा नहर से निकलने वाली माइनर सिल्हौला गांव तक पहुंच गई है। नसीरपुर गांव स्थित मुख्य नहर से निकलकर इटखुदा होते हुए बुधौली तक जाने वाली 8 किलोमीटर लंबी माइनर बुधौली माइनर करीब 7 किलोमीटर लंबी है।

सरकारी नियमानुसार इन माइनरों की खुदाई 6 इंच गहरी होनी चाहिए, लेकिन नहर विभाग के अधिकारी अपने चुनिंदा ठेकेदारों से मिलीभगत कर महज औपचारिकता निभाने के लिए नहरों के अंदर घास की सफाई करवा रहे हैं। जिससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है और लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को मजबूरन खेतों के आसपास दूर लगे ट्यूबवेलों का सहारा लेना पड़ रहा है। सिल्ट सफाई का काम अभी भी जारी है, सिल्ट सफाई का काम नहर के चेयरमैन और कोषाध्यक्ष द्वारा कराया जा रहा है, लेकिन चेयरमैन और कोषाध्यक्ष को इस बात की जानकारी तक नहीं है कि इस सफाई के लिए कितना पैसा दिया गया है।

कितना पैसा खर्च हो रहा है? किसानों ने बताया कि नहर में सफाई के लिए पैसा दिया गया है, जिसमें पीआईएम व कोषाध्यक्ष अध्यक्ष के माध्यम से सफाई कराई जाती है और सफाई के भुगतान में पीआईएम व कोषाध्यक्ष अध्यक्ष को बिल में हस्ताक्षर करने होते हैं कि कितना पैसा आया, कहां से और कहां सफाई करानी है, कितना पैसा खर्च हुआ है। किसानों ने बताया कि सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। किसानों ने बताया कि बिना अध्यक्ष के पैसा ट्रांसफर नहीं होता और भुगतान ही नहीं होता।

एसडीओ जनार्दन सिंह राजपूत, नहर विभाग अपने स्तर पर ही काम करा रहा है। बिना किसी को बताए सफाई ठीक से नहीं कराई जा रही है और भुगतान भी लोगों में बंदरबांट किया जा रहा है। नहरें जस की तस पड़ी हैं और सफाई न होने से टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है। एसडीओ जनार्दन सिंह राजपूत (पुखरायां) नहर विभाग ने बताया कि ठेकेदार अब माइनरों व नहरों की सफाई के लिए मशीनों का प्रयोग करते हैं। मजदूरों की समस्या के कारण मशीनों का प्रयोग किया जाता है। मशीनों के प्रयोग से नहरें गहरी हो जाती हैं। माइनरों की गहराई लगभग डेढ़ फीट है। माइनरों और नहरों की जो सफाई हो रही है वह सही तरीके से हो रही है, हमारे हिसाब से किसानों का क्या कहना है, वह तो कहते ही हैं।



Ragini Sinha

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