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Kanpur News: डीजीपी ही नहीं सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश नहीं मानती कानपुर देहात पुलिस
Kanpur News: कानपुर देहात पुलिस ने गत्ता फैक्ट्री मे आग लगने पर बिना जांच करें 2 फैक्ट्री मालिक को जेल भेज दिया जो सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी के आदेश की अवहेलना है।
Kanpur News: कानपुर देहात पुलिस नहीं मानती है सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी का आदेश दरअसल सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन पर पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रशांत कुमार ने आदेश दिया था उद्यमियों की फैक्ट्रियों में अगर कोई घटना होती है तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच करे और जांच मे दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करें लेकिन कानपुर देहात पुलिस ने गत्ता फैक्ट्री मे आग लगने पर बिना जांच करें 2 फैक्ट्री मालिक को जेल भेज दिया जो सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी के आदेश की अवहेलना है।
सबसे पहले पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रशांत कुमार का सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को लेकर ये आदेश पढ़िए आदेश उद्यमियों व्यापारियों फैक्ट्री मालिकों के हक मे है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मद्देनज़र डीजीपी प्रशांत कुमार ने आदेश जारी किया कि अगर किसी फैक्ट्री में कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो उसकी पहले जांच की जाए और जांच मे दोष सिद्ध होने पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए, क्योंकि कोई भी कारोबारी नहीं चाहता कि उसकी फैक्ट्री मे कोई अप्रिय घटना हो लेकिन कानपुर देहात पुलिस ना तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानती है और ना ही पुलिस विभाग के मुखिया का क्योंकि बीती 21 सितंबर को रानियाँ क्षेत्र मे आर के पॉलीकैप गद्दा फैक्ट्री में आग लग जाने से 6 मज़दूरों कि जलकर मौत हो गयी थी। पुलिस ने बिना जांच किये दो फैक्ट्री मालिकों को मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। ज़ब व्यापारी नेता और आईआईए कानपुर देहात के पूर्व चेयरमैन ने आरटीआई के माध्यम ने सुप्रीम कोर्ट और डीजीपी के आदेश की कॉपी जिलाधिकारी कानपुर देहात आलोक सिंह को दिखायी तो उनके होश उड़ गए।
सूत्रों की मानें तो अब जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन अपनी गलतियां छुपाने के लिए जेल मे बंद कारोबारी के परिवार की मान मनव्वल मे जुट गया है।डीजीपी के आदेश की धज्जिया उड़ाते कानपुर देहात के एसपी साहब का बयान सुनिए साहब डीजीपी के आदेश के खिलाफ डंके की चोट पर बोल रहे हैं कि फैक्ट्री सीज़ कर दी है और दो फैक्ट्री मालिकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जांच वांच बाद में देखा जाएगा।अब ये देखिये कानपुर देहात के रानियाँ इंडस्ट्रियल इलाके की आर के पॉलीकैप फैक्ट्री जो अग्निकुण्ड मे तब्दील हो गयी और 6 मज़दूरों की जलकर मौत हो गयी थी। इस मामले में कैबिनेट मंत्री मृतकों के परिजनों से मिले 12 बारह लाख की सहायता राशि दी लेकिन कैबिनेट मंत्री ने ये नहीं बताया कि जो रुपया मंत्री जी दे रहे है वो रुपया फैक्ट्री मालिक का है लिहाज़ा विपक्ष ने मौजूदा सरकार को निशाना बनाया।
अब ज़रा मुद्दे पर आ जाते है फैक्ट्री बिना एन ओ सी के चल रही थी अग्निश्मन विभाग के प्रभारी सुरेन्द्र कुमार क्या कर रहे थे जबकि फैक्ट्री से अग्निश्मन विभाग का आफिस महज़ 5 किलोमीटर होगा। सीएफओ सुरेन्द्र कुमार पर संदेह होना लाज़मी है, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्या कर रहा था बिना एनओसी के कैसे फैक्ट्री संचालित थी। जग ज़ाहिर है श्रम विभाग क्या कर रहा था। मत पूछिए। रानियाँ मे तकरीबन 700 फैक्ट्रियां हैं जिनमें लगभग 400 फैक्ट्रियां चल रही हैं और शायद 2 चार फैक्ट्री छोड़ दे तो सभी फैक्ट्रियाँ बिना एनओसी के चल रही हैं, यानी अवैध रूप से संचालित हैं और इन अवैध संचालित फैक्ट्रियों से अग्निश्मन विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और श्रम विभाग मोटी रकम वसूलता है। तभी कभी कार्यवाही नहीं करता। फैक्ट्री में आग लगी 6 मज़दूरों की मौत हुई तो क्या इन तीनों विभागों का दोष नहीं। इन की जांच नहीं होनी चाहिए। इन पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।