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हिन्दू पड़ोसी बने मसीहा: प्रदर्शन के कारण बारातियों ने बरात लाने से कर दिया था इंकार...

हिंसक प्रदर्शन के चलते जब बारातियों ने बरात लाने से इंकार कर दिया तो निकाह की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिन्दू पड़ोसियों ने उठाई और उसे बखूबी निभाया भी। करीब चार दर्जन हिंदुओं ने न सिर्फ बारात की अगवानी की बल्कि खाने के साथ ही निकाह के सब इंतजाम में अपना योगदान दिया।

SK Gautam
Published on: 26 Dec 2019 4:52 PM GMT
हिन्दू पड़ोसी बने मसीहा: प्रदर्शन के कारण बारातियों ने बरात लाने से कर दिया था इंकार...
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कानपुर: नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम परिवार के लिए हिन्दू पड़ोसी, मसीहा साबित हुए। बीते 21 दिसम्बर को जहां एक तरफ कई जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहा है वहीं दूसरी तरफ कानपुर के एक मुस्लिम परिवार में बेटी के निकाह की तैयारियां चल रही थी।

हिंसक प्रदर्शन के चलते जब बारातियों ने बरात लाने से इंकार कर दिया तो निकाह की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिन्दू पड़ोसियों ने उठाई और उसे बखूबी निभाया भी। करीब चार दर्जन हिंदुओं ने न सिर्फ बारात की अगवानी की बल्कि खाने के साथ ही निकाह के सब इंतजाम में अपना योगदान दिया।

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ये था मामला

बताया जा रहा है कि कानपुर में बाकरगंज निवासी खान परिवार अपनी बेटी जीनत की शादी की तैयारियों में जुटा था। 21 दिसंबर को जब जीनत की बारात आनी थी, अचानक पूरे कानपुर में तनाव का माहौल बन गया। जीनत की बारात प्रतापगढ़ से आनी थी, लेकिन हालात को देखते हुए बारातियों ने बारात लाने में असमर्थता जताई। दूल्हे ने फोन पर कहा कि कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में बारात लेकर पहुंचना मुश्किल है।

जिसके बाद जीनत का परिवार मायूस हो गया, एक बार तो लड़की पक्ष के लोगों के मन में भी यही बात आई कि क्यों ना शादी को टाल ही दिया जाये। जैसे ही ये बात पड़ोस में रह रहे विमल चपडिय़ा को पता लगी तो वो फ़ौरन ही खान परिवार के पास आये। उन्होंने आश्वासन दिया कि बारात की अगवानी और विदाई तक की जिम्मेदारी वे लेंगे और इसलिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

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ह्यूमन चेन बनकर हिन्दुओं ने की बारात की सुरक्षा

जब विमल के साथ कई लोगों ने मिलकर बारातियों से बात की और बारात की सुरक्षा का यकीन दिलाया। प्रतापगढ़ से 21 दिसंबर की शाम 65-70 बाराती कार तथा बस से बाकरगंज चौराहे पर खान परिवार के गेस्ट हाउस के पास पहुंच गए। इसके बाद करीब चार दर्जन हिंदू बारात को विवाह स्थल तक पहुंचाने के लिए तैयार थे। इन सभी ने ह्यूमन चेन बनाई और बारातियों को इनके बीच लेकर उनको सुरक्षित पहुंचाया। जिसके बाद अब जीनत अब प्रतापगढ़ के हुसनैन फारूकी की हो गई थीं।

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