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कानपुर ज्योति हत्या कांड : अभियुक्तों से मेल नहीं खायी डीएनए टेस्ट रिपोर्ट
कानपुर : चार साल पहले हुआ ज्योति हत्या कांड ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। कार्पोरेट घराने की बहू की हत्या की गूंज देश भर में गूंजी थी। ज्योति हत्याकांड में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस सुनवाई में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब कोर्ट में ज्योति के नाखूनों में मिले मांस के रेशों और बालों के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट दाखिल की गयी।
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दरसल डीएनए रिपोर्ट ज्योति के पति और चार साथियों के मेल नही खा रही है। इसके साथ ही अभियुक्तों के कपड़ों पर मिले खून के छीटे भी ज्योति के खून से मिलान नहीं हो रहें है। लेकिन घटना के वक्त जो चाकू बरामद हुआ था उसमे ज्योति का खून पाया गया था। यह रिपोर्ट अभियुक्तों को कुछ रहत दे सकती है l
नामीगामी कम्पनी के बिस्कुट की फ्रंचाइजी लेकर बिस्कुट बनाने वाले उद्योगपति पीयूष ओमप्रकाश श्याम दासानी के बेटे पीयूष दासानी की पत्नी को बदमाशों ने कार समेत अगवा करके चाकुओ से गोद कर हत्या कर दी थी। 27 जुलाई 2014 को पीयूष और ज्योति रेस्टोरेंट से खाना खाकर लौट रहे थे। तभी बदमाशों ने कार रुकवा कर पीयूष को मारपीट कर कार से नीचे उतार दिया था। बदमाश ज्योति को कार समेत लेकर फरार हो गए थे और ज्योति की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी थी।
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ज्योति के पिता ने ज्योति के पति पीयूष पर प्रीप्लान मर्डर कराने का आरोप लगाया था। दअरसल पीयूष का मनीषा मखीजा नाम की लड़की से अफेयर था। फ़िलहाल इस मामले में मनीषा मखीजा जमानत पर है। पीयूष श्याम दासानी,अवधेश,रेनू ,सोनू आशीष जेल में है।
ज्योति की जब हत्या हुई थी तो आरोपियों से छीना झपटी और संघर्ष के दौरान नाखूनों में मांस के रेशे और बाल मिले थे। जिन्हें डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया था,लेकिन इस डीएनए ने सब को चौका दिया है। रिपोर्ट में ज्योति के नाखूनों में मिले मांस के रेशे और बाल अभियुक्तों से मेल नही खाते है। इसके साथ ही अभियुक्तों के कपड़ों में मिले खून निशान भी ज्योति के खून से मेल नहीं कर रहें है,लेकिन चाकू पर मिले खून के निशान ज्योति के है।
इस रिपोर्ट ने ज्योति हत्याकांड को पूरी तरह से पलट कर रख दिया है। वरिष्ट अधिवक्ता डीएस मिश्रा के मुताबिक डीएनए रिपोर्ट मुख्या साक्ष्य है और इसका विशेष महत्व है। डीएनए रिपोर्ट पुलिस की कहानी के ठीक उल्टी है। यह साबित करना बहुत ही कठिन होगा ,जब किसी की हत्या चाकू से होती है तो हत्या करने वाले के कपड़ों पर खून के छीटे आते है लेकिन अभियुक्तों के कपड़ों में ज्योति के खून के निशान नहीं मिले है। इससे अभियोजन पक्ष के लिए यह साबित करना कठिन होगा।