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Kanpur Violence: अलर्ट हुआ कानपुर जूमे से एक दिन पहले, शहर में धारा 144 लागू
Kanpur Section 144: कानपुर प्रशासन ने जूमे से एक दिन पहले शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त फैसला लिया है। शहर में 52 दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है।
Kanpur Section 144: कानपुर प्रशासन ने जूमे से एक दिन पहले शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त फैसला लिया है। शहर में 52 दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है। बीते शुक्रवार तीन जून को कानपुर में हिंसा (kanpur violence) भड़क गई थी। इसके बाद से पुलिस (UP Police) सतर्क है। इस मामले में पुलिस अब तक 55 आरोपियों को अरेस्ट कर चुकी है। एक आरोपी अकमल को आज गिरफ्तार किया गया है। कानपुर हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता जफर हयात के रिमांड पर पुलिस कल यानि शुक्रवार 10 जून को अपना फैसला सुनाएगी।
इसके अलावा पुलिस अन्य आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने कानपुर हिंसा में शामिल 40 उपद्रवियों का पोस्टर भी जारी किया है। कानपुर में धारा 144 लागू होने के बाद अब कोई व्यक्ति 5 से ज्यादा लोगों के साथ ग्रुप में नहीं चल सकेगा। कोई व्यक्ति भड़काऊ और उत्तेजक नारों का प्रयोग नहीं कर सकेगा। बगैर इजाजत के जुलूस, जनसभा या नुक्कड़ नाटक भी नहीं कर सकेंगे। किसी शादी समारोह में हर्ष फायरिंग नहीं होगी। कोई शख्स धमाकेदार और आतिशबाजी वाली चीजों को दाग नहीं सकेगा। इसके अलावा कोई खुली दुकानों को जबरन बंद भी नहीं करा सकेगा।
कैसे भड़की थी हिंसा (How did violence in up)
शुक्रवार तीन जून को जूमे की नमाज के बाद पूर्व का मेनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर अचानक भड़क उठा। दो समुदायों के बीच हिंसा की खबरें टीवी न्यूज चैनलों पर चलने लगी। फिर पता चला कि मुस्लिम समुदाय के लोग बीजेपी (BJP) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक टीवी डिबेट के दौरान की गई टिप्पणी से नाराज थे।
मुस्लिम समुदाय के लोग इसके विरोध में तीमखाना की सद्भावना चौकी के पास बाजार बंद करा रहे थे। बाजार बंद कराने को लेकर दो समुदायों के बीच कहासुनी हो गई और देखते ही देखते इसने हिंसा का रूप अख्तियार कर लिया।
इसके अलावा बवाल का कारण जूमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में हुई तकरीरों को भी बताया जा रहा है, जिसमें कहा गया कि वे पैगंबर पर की गई किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद मुस्लिम समुदाय की तरफ से बाजार को बंद करने का कॉल दिया गया था। जबकि पुलिस ने नमाज के बाद प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी। फिर भी लोग प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरे और फिर जो हुआ वह सबने देखा।