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Kanpur News: कानपुर के मॉडल पर देश की 500 डिस्टलरी बना रही बायोफ्यूल
Kanpur News: प्रदूषण को कम करने और पेट्रोल की खपत पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने इथेनॉल ब्लेंडिंग को लेकर बायोफ्यूल पॉलिसी लागू की है।
Kanpur News: देश की 500 से अधिक डिस्टलरी और चीनी मिलों में कानपुर के मॉडल पर बायोफ्यूल बन रहा है। यह मॉडल कानपुर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों ने भारत सरकार के निर्देश पर तैयार किया है। इस मॉडल के तहत चीनी मिलें चीनी के साथ और डिस्टलरी एल्कोहल के साथ बायोफ्यूल (इथेनॉल) का निर्माण कर रही हैं। जिससे भारत सरकार का पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पूरा हो रहा है और चीनी मिल व डिस्टलरी की आय में इजाफा हो रहा है। वर्तमान में 1400 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है।
प्रदूषण को कम करने और पेट्रोल की खपत पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने इथेनॉल ब्लेंडिंग को लेकर बायोफ्यूल पॉलिसी लागू की है। पेट्रोल में ब्लेंडिंग के लिए इथेनॉल को अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को एक मॉडल तैयार करने की जिम्मेदारी दी। संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रो नरेंद्र मोहन की देखरेख में वैज्ञानिकों ने एक मॉडल विकसित किया है। जिसको लेकर देशभर की सभी चीनी मिल और डिस्टलरी के विशेषज्ञों को प्रशिक्षण दिया गया। वर्तमान में देशभर में पांच सौ से अधिक डिस्टलरी और चीनी मिलों में इसी मॉडल के आधार पर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है।
इथेनॉल के लिए शीरे के अलावा दिए कई विकल्प
देश में इथेनॉल को पहले सिर्फ शीरे से तैयार किया जाता था, जिससे इतना बड़ा लक्ष्य पूरा करना मुश्किल था। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने रिसर्च कर इथेनॉल के निर्माण के अन्य विकल्प की खोज की। वर्तमान में शीरे के अलावा सिरप, मक्का, मीठी चरी, चावल, कसावा, चुकंदर व अन्य अनाज से इथेनॉल को विकसित किया जा रहा है। जिससे पेट्रोल में ब्लेंडिंग का लक्ष्य धीरे-धीरे पूरा हो रहा है।
संस्थान में बना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में बायोफ्यूल के अपग्रेड वर्जन को विकसित करने के लिए भारत सरकार ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की भी स्थापना की है। यहां संस्थान के वैज्ञानिकों के अलावा आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की टीम मिलकर रिसर्च करेगी। इसके लिए 20 करोड़ रुपये का बजट भी दिया गया है।
श्रीलंका, नाइजीरिया, केन्या में भी कानपुर का मॉडल
कानपुर का मॉडल देशभर की डिस्टलरी के अलावा श्रीलंका, केन्या, नाइजीरिया व साउथ अफ्रीका में भी उपयोग किया जा रहा है। भारत सरकार के साथ समझौते के तहत यह मॉडल उन्हें दिया गया है। वहां की डिस्टलरी भी बायोफ्यूल विकसित कर रही हैं।
कानपुर मॉडल पर देश में बढ़ रहा इथेनॉल ब्लेंडिंग का स्तर
वर्ष ब्लेंडिंग लेवल
2013-14 1.5 फीसदी
2014-15 2.3 फीसदी
2015-16 3.5 फीसदी
2016-17 2.1 फीसदी
2017-18 4.2 फीसदी
2018-19 5 फीसदी
2019-20 5 फीसदी
2020-21 8.1 फीसदी
2022-23 12.01 फीसदी
2023-24 12.03 फीसद
डॉ. सीमा परोहा, निदेशक-राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के अनुसार संस्थान में बायोफ्यूल को लेकर कई रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिकों की टीम ने इथेनॉल को कई विकल्प के माध्यम से बनाने में सफलता भी प्राप्त की है। अब आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर नई रिसर्च की जा रही है। संस्थान में वर्ष 2018 के बाद बायोफ्यूल को लेकर तेजी से काम शुरू हुआ। सरकार की ओर से मिले ब्लेंडिंग लक्ष्य को पूरा करने के लिए संस्थान ने एक मॉडल विकसित किया था, जिसे सभी चीनी मिल व डिस्टलरी ने लागू कर बायोफ्यूल का निर्माण शुरू किया। वर्तमान में 500 से अधिक डिस्टलरी व चीनी मिल बायोफ्यूल बना रही हैं।
प्रो. नरेंद्र मोहन, पूर्व निदेशक- राष्ट्रीय शर्करा संस्थान