Kanpur News: लाडलों की लाशें देख फट पड़ा अपनों का कलेजा

Kanpur News: पोस्टमार्टम हाउस के बाहर चीख-चीत्कार और विलाप देखकर फट गया कलेजा। पुरुष भी जैसे-तैसे हिम्मत जुटाते रहे।

Snigdha Singh
Published on: 14 Oct 2024 3:17 PM GMT
Kanpur News ( Pic- Newstrack)
X

Kanpur News

Kanpur News: कलेजे को झकझोर रहीं चीख-चीत्कारें। बदहवास पड़े माता-पिता, भाई-बहन। दुख, पीड़ा और विलाप ऐसा कि हर कोई सुध-बुध खो बैठा। सोमवार को भौंती हाईवे पर भीषण हादसे के बाद कुछ इस तरह का दर्दनाक मंजर सामने था। हादसे ने हंसते-खेलते पांच परिवारों की खुशियां एक झटके में छीन लीं। हमेशा के लिए दिल के टुकड़े अपनों से दूर हो गए। तकलीफ ऐसी कि जो कभी भर नहीं सकती। हैलट के पोस्टमार्टम हाउस में लाशें देख हर किसी की आंख नम थी। जिन बच्चों को पालने-पोसने में माता-पिता ने अपनी तमाम खुशियों का त्याग किया, वही खून से लथपथ क्षत-विक्षत लाशें देखकर उनकी रूह कांप उठी। लड़खड़ाती जुबां पर बार-बार एक ही सवाल, हमार बच्चा का क्या हुईगा, अब हम कइसे जिएबे...। हादसे के बाद एंबुलेंस से चारों छात्रों और कार चालक को पहले हैलट इमरजेंसी लाया गया। मृत घोषित होने के बाद पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया। दोपहर 12:15 बजे तक मृतकों के परिजन, रिश्तेदारों के अलावा मोहल्ले वाले पोस्टमार्टम हाउस के बाहर जुट गए। रोती-बिलखती महिलाएं को संभालना मुश्किल हो रहा था।

प्लास्टिक में रखे हो मेरे लाल को, उसे चुभती होगी

छात्रों के शव प्लास्टिक बैग में एंबुलेंस में रखकर पोस्टमार्टम हाउस लाए गए तो लाडलों की एक झलक पाने की बेताबी दिखी। प्रतीक का शव प्लास्टिक बैग में देखकर पिता राजेश सिंह का कष्ट छलक उठा और कहने लगे कि अरे, मेरे लाल को यह चुभती होगी। यह सुनकर आसपास खड़े परिजन और रिश्तेदार भी रो पड़े।

काला नहीं गोरा था मेरा बेटा, दिल मानने को नहीं तैयार

पोस्टमार्टम से पहले पंचनामे के दौरान दृश्य अत्यंत विचलित करने वाला रहा। शव से जुड़ी एक-एक पहचान को जब लिखा जा रहा तो एक छात्र के परिजनों ने बीच में टोक दिया। कहा कि हमारा बेटा काला नहीं गोरा था। असल में हादसे में शव की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। खून से लथपथ होने के कारण कई का चेहरा भी बिगड़ गया था।

अरे छोड़िए, ये मेरी बिटिया है ही नहीं

चार बच्चों की मौत का गहरा सदमा माता-पिता ही नहीं, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी लगा। गरिमा त्रिपाठी की मां रीता की हालत इस कदर बिगड़ गई कि वह मानने को तैयार हीं नही थी कि उनकी बेटी अब दुनिया में नहीं है। कई बार तो वह रिश्तेदारों से यह कहती रहीं कि अरे छोड़िए, मेरी प्यारी बिटिया ये हो ही नहीं सकती। वह तो तैयार होकर कॉलेज के लिए निकली है, अभी कुछ देर में घर आ रही है।

शवों की हालत देख पुलिस, अस्पताल वाले भी अवाक

बच्चों के क्षत-विक्षत शव देखकर पुलिस वाले भी अवाक रहे गए। महिला दरोगा व सिपाहियों की आंखें परिजनों की पीड़ा देखकर भर आईं। एक महिला दरोगा ने कहा कि हादसे तो बहुत होते हैं लेकिन यहां का दृश्य भयानक है। वहीं हैलट के अस्पताल कर्मी भी काफी दुखी रहे।

Shalini singh

Shalini singh

Next Story