पीएम से इच्छा मृत्यु मांगने वाली अनामिका ने आखिर छोड़ी दुनिया

Kanpur News: 10 साल पहले पीएम मोदी से मांगी थी इच्छा मृत्यु की अनुमति। 07 दिन से हैलट के न्यूरोलॉजी विभाग में इलाज चल रहा था।

Snigdha Singh
Published on: 14 Aug 2024 1:30 PM GMT
Anamika Mishra of Kanpur city who had sought permission for euthanasia from Prime Minister Modi has died
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प्रधानमंत्री मोदी से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने वाली कानपुर शहर की अनामिका मिश्रा की मौत:

Kanpur News: प्रधानमंत्री मोदी से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने वाली शहर की अनामिका मिश्रा ने बुधवार को आखिर दुनिया छोड़ दी। जन्म से ही दुर्लभ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीड़ित अनामिका ने बुधवार को हैलट में अंतिम सांस ली। वह सात दिन से न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती थी।

यशोदा नगर के शंकराचार्य नगर की रहने वाली 40 वर्षीय अनामिका को यह बीमारी जन्मजात थी, लेकिन 15 साल से उनका खुद से चलना-फिरना लगभग बंद था। यहां तक दैनिक कार्यों को भी वह खुद से करने में नाकाम थी। इसलिए पीएम से उन्होंने 2015 में इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी। पीएम कार्यालय से अनामिका को आर्थिक मदद भी दी गई थी। अनामिका के परिवार के करीबी व मददगार व्यापारी नेता ज्ञानेश मिश्रा ने बताया कि जन्मजात बीमारी होने का असर धीरे-धीरे हो रहा था। करीब 15 साल से तो वह पूरी तरह बीमारी की चपेट में आ गई थीं। स्नातक पास अनामिका की इच्छा सीए बनने की थी। इसकी कुछ साल तक पढ़ाई भी की, लेकिन बीमारी के कारण पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी।

लंग्स तक पहुंची बीमारी तो सांस लेने में मुश्किल :

बताया गया कि अनामिका को दुर्लभ बीमारी ने पूरी तरह जकड़ लिया था। पैरों से शुरू हुआ बीमारी का असर कमर तक पहुंच गया। कमर के नीचे का हिस्सा काफी समय पहले सुन्न हो चुका था। कुछ दिन से लंग्स तक बीमारी पहुंच गई तो अनामिका सांस भी ठीक से नहीं ले पा रही थीं। इस वजह से उन्हें हैलट के न्यूरोलॉजी विभाग में डॉ अभिषेक सचान की देखरेख में भर्ती किया गया था।

चार साल पहले मां ने भी तोड़ा था दम :

अनामिका से पहले उनकी मां शशि मिश्रा को भी दुर्लभ व लाइलाज बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ने भी जकड़ रखा था। बताते हैं कि अनामिका जब गर्भ में थी, तभी उनकी मां शशि मिश्रा को भी बीमारी ने चपेट में लिया। चार साल पहले शशि मिश्रा की मौत हो गई, जबकि अनामिका के पिता गंगासागर मिश्रा का कई साल पहले ही निधन हो चुका है। देखरेख का जिम्मा रिश्ते में मामा लगने वाले पूतु मिश्रा संभाल रहे थे।

परिवार की मदद करते रहे व्यापारी :

अनामिका व उनकी मां की मदद ज्ञानेश मिश्रा, विनायक पोद्दार समेत कई व्यापारी कई साल से करते आ रहे हैं। राशन से लेकर जरूरत का हर सामान नियमित रूप से उनके घर पहुंचाते रहे। सभी दीपावली व रक्षाबंधन के मौके पर अनामिका से मिलने जरूर जाते थे।

क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी :

मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ आलोक वर्मा के अनुसार, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी लाइलाज व दुर्लभ बीमारी है। सामान्य तौर पर यह आनुवंशिक बीमारी मांसपेशियों से जुड़ी मानी गई है। इसका इलाज अबतक भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में कहीं नहीं है। जन्मजात के साथ बचपन व ज्यादा उम्र में भी यह चपेट में लेती है। इसमें पीड़ित के हाथ-पैर के मसल्स गलने लगते हैं। इंसान पहले चलने फिरने में तकलीफ उठाता है। फिर सहारे और आखिर में पूरी तरह लाचार हो जाता है। लंग्स तक बीमारी पहुंचने पर मौत की वजह सांस लेने में दिक्कत होती है।

Shashi kant gautam

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