मरे बाप ने ‘स्वर्ग' से गिफ्ट कर दी बेटे को फॉर्च्यूनर कार

एक साल पहले मरे पिता को जिंदा बताकर हस्तांतरित करा ली कार। पहली पत्नी के बेटे ने आरटीओ से शिकायत की।

Snigdha Singh
Published on: 13 Aug 2024 4:36 PM GMT (Updated on: 13 Aug 2024 4:39 PM GMT)
Transferred the car by declaring the dead father as alive
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मरे बाप ने ‘स्वर्ग' से गिफ्ट कर दी बेटे को फॉर्च्यूनर कार: Photo- Social Media

Kanpur Nagar News: 'स्वर्ग' से आकर कोई पिता अपने बेटे को फॉर्च्यूनर कार का तोहफा दे सकता है। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा। दरअसल, रियल एस्टेट कारोबारी देवेंद्र सिंह के पिता अच्छेलाल की चार जून 2022 को मौत हो गई थी। अच्छेलाल ने दो शादियां की थीं। पहली शादी से देवेंद्र तो दूसरी शादी से जैनेंद्र सिंह हैं। एक फॉर्च्यूनर कार अच्छेलाल के नाम पर थी पर यह उनके बड़े बेटे देवेंद्र के पास थी। छोटे बेटे जैनेंद्र ने कूटनीतिक तरीके से पिता को जिंदा बताकर दूसरे व्यक्ति को खड़ा किया और पिछले साल जुलाई में कार अपने नाम करा ली। देवेंद्र को इसका पता चला तो उन्होंने बीते सोमवार को आरटीओ में शिकायत की। दफ्तर में हड़कंप मचा और कार का पंजीयन ब्लैक लिस्टेड करक दोनों को नोटिस जारी करके 22 अगस्त को अपना-अपना पक्ष रखने को तलब किया गया है।

35 आनंदपुरी, ट्रांसपोर्टनगर निवासी अच्छेलाल की मौत होने के एक साल बाद उनकी दूसरी पत्नी के बेटे जैनेंद्र सिंह ने पिता के नाम पर रजिस्टर्ड फॉर्च्यूनर कार यूपी-78-ईजे-5007 को दलाल और दफ्तर से सेटिंग करके अपने नाम करा ली। इनके बड़े बेटे देवेंद्र ने पिछले महीने एकाएक आरटीओ एप पर चेक किया तो पिता की जगह सौतेले भाई जैनेंद्र के नाम पर कार चढ़ी दिखी। देवेंद्र का दावा है कि वारिस पत्र उनके नाम पर जारी हुआ है। अब विभागीय शुरू हो चुकी है। देवेंद्र ने बताया कि पहले आरटीओ अपने स्तर से जालसाजी करने वाले के खिलाफ मुकदमा लिखाए वरना वह जालसाज के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखाएंगे।

यूं हुआ खेल

दिवंगत अच्छेलाल के नाम पर जैनेंद्र सिंह दूसरे व्यक्ति को अच्छेलाल बता दफ्तर ले गए। दफ्तर जाने वाले व्यक्ति ने एक पुराना वोटर आईडी दिया। इसमें फोटो साफ नहीं थी। इसके साथ ही जैनेंद्र सिंह ने अपने आधार कार्ड के साथ हस्तांतरण पेपर बनवा दिया। बाबू ने सामने खड़े व्यक्ति की ट्रांसफर पेपर में लगी फोटो देख सीन कर दिया। इसके बाद जैनेंद्र सिंह और उसका दलाल वह ट्रांसफर पेपर लेकर दूसरे कक्ष में गया तो अपने पिता की ओरिजनल फोटो लगा दी और पेन भी चला दिया। आरटीओ बाबू ने सीन फोटो देख वाहन जुलाई 2023 में जैनेंद्र सिंह के नाम हस्तांतरित कर दी।

दिवंगत व्यक्ति का वाहन हस्तांतरण का ये है कानून

किसी वाहन मालिक की मौत हो जाती है तो नियम है कि उसके वारिस (पुत्र,पत्नी,पुत्री) तहसील से वारिस प्रमाणपत्र बनवाकर दें और उसके परिवार के कई लोगों के होने पर किसी एक के नाम का ट्रांसफर करने का हलफनामा दें तो वाहन वारिस को हस्तांतरित होता है। दूसरी स्थित यह है कि यदि वाहन मालिक किसी को रजिस्टर्ड वसीयत कर गया है तो तहसील का वारिस पत्र भी बनवाने की जरूरत नहीं होती है और वाहन उसी के नाम हस्तांतरित हो जाता है, जिसके नाम पर वसीयत है। दिवंगत व्यक्ति का किसी कूटनीति या जालसाजी से वाहन हस्तांतरण हो गया तो साल भीतर एमवी एक्ट के 55(5) के तहत पंजीयन अधिकारी मूल मालिक के नाम पर बिना किसी आपत्ति के वाहन फिर वापस कर देगा।

आलोक कुमार, एआरटीओ प्रशासन कानपुर नगर, दिवंगत अच्छेलाल के दोनों बेटों देवेंद्र और जैनेंद्र सिंह को नोटिस देकर 22 अगस्त को अपना-अपना पक्ष रखने को तलब किया है। दोषियों पर कार्रवाई होगी।

Shashi kant gautam

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