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Chaitra Navratri 2024: बारादेवी मंदिर में गूंजेंगे जयकारे, लाल चुनरी बांधने से पूरी होती है मनोकामना

Chaitra Navratri 2024: नवरात्र की शुरुआत के साथ ही देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। ब्रह्म मूहुर्त में ही मां का श्रृंगार और पूजन कर मंदिरों के कपाट खोल दिए जाते है।

Anup Pandey
Published on: 7 April 2024 5:57 AM GMT
kanpur news
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कानपुर में बारादेवी मंदिर में गूंजेंगे जयकारे (न्यूजट्रैक)

Chaitra Navratri: शहर के बारादेवी मंदिर में पत्थर बनीं 12 बहनों के नाम से यह प्रसिद्ध मंदिर है। यहां लाल चुनरी बांधने से मनोकामना पूरी होने की मान्यता है। नवरात्र में दूर-दूर से भक्त मन्दिर प्रांगण आते हैं। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन पूजन अर्चना कर उपवास रहा जाता है। नवरात्र की शुरुआत के साथ ही शहर के देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। ब्रह्म मूहुर्त में ही मां का श्रृंगार और पूजन कर मंदिरों के कपाट खोल दिए जाते है।

इस तरह हुआ नामकरण

मंदिर की देखरेख करने वाले ने बताया कि पिता से हुई अनबन के कारण उनके गुस्से के प्रकोप से बचने के लिए एक साथ बारह बहनें घर से भागकर यहां मूर्ति के रुप में स्थापित हो गईं। सालों बाद यही बारह बहनें बारादेवी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। कहा जाता है कि बारह बहनों के श्राप देने से पिता भी पत्थर रुप में हो गए थे।

इस मन्दिर में ग्रामीण क्षेत्र से भी आते है भक्त

कानपुर, घाटमपुर व कानपुर देहात से बड़ी संख्या में भक्त बारादेवी मंदिर आते हैं। जो मां को जवारा अर्पित कर रहे हैं। वहीं शहर में बने प्राचीन मंदिरों में आशा देवी, जंगली देवी, तपेश्वरी देवी व काली मठिया मंदिर में भक्तों की टोली पहुंचती है। इन मंदिरों में महिलाओं की भीड़ अच्छी खासी होती है। इस मंदिर में मुण्डन संस्कार भी किए जाते है। भीड़ होने के कारण प्रशासन भी मौजूद रहता है।

मन्दिर परिसर में लगता है मेला

मन्दिर परिसर से कुछ ही दूरी पर पार्क बना हुआ है। जहां मेला भी लगता है। मेले में दर्जनों प्रकार के झूले लगते है। वहीं रात की टाइम मेले की रोशनी से मंदिर प्रांगण जगमगा जाता है। वहीं मेले में आए लोग झूले का आनंद लेते है। इस मेले में महिलाओं से संबंधित समान की दुकानें खूब लगती है।

मुरादें पुरी होने पर दंडवत जाते है मंदिर

मन्दिर परिसर के आस पास रहने वाले लोगों ने बताया कि इस मन्दिर से हजारों लोगों को आस्था जुड़ी हुई है। यहां आए हुए भक्तों की मुरादे पुरी होने पर लोग अपने घरों से दंडवत चलकर मन्दिर पहुंचते है और माता को प्रसाद चढ़ाते है। इतना ही नहीं भक्त कुछ मांगे या न मांगे माता रानी उसके सब काम हल कर देती है।

मन्दिर को जानें के लिए बने है पांच द्वार

बारादेवी मन्दिर को जाने के लिए चारों दिशाओं में द्वार बने हुए है। भीड़ को देखते हुए मेन मार्ग पर पुलिस द्वारा बैरिकेटिंग लगा दी जाती है। मन्दिर के पास पहुंचने तक के साधन भी है और हर दिशा के गेट पर पुलिस तैनात रहती हैं।

पुलिस के आलाधिकारी भी रहते है मौजूद

बारादेवी शहर में सबसे बड़ा मन्दिर माना जाता है। और लाखों की संख्या में यहां भक्त आते है।प्रशासन पहले से मीटिंग कर मन्दिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर निरक्षण करता है। महिला सिपाहियों के साथ पुलिस के सैकड़ों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। वहीं मेन चौराहे पर एक चौकी बनाई जाती हैं। जहां अब मेट्रो निर्माण कार्य हो रहा है। मंदिर प्रांगण से लेकर आस पास दर्जनों सीसीटीवी लगाए जाते है। जिससे पुरी निगरानी की जाती है। वहीं मन्दिर के पास मन्दिर निर्माण होने से कुछ दुकानें हटाई गई है।

महिलाओं-पुरुष की लगती है अलग-अलग लाइन

बारादेवी मंदिर परिसर में महिलाओं और पुरुष की दो लाइन लगती है। मंदिर में माता के दर्शन के लिए छोटे छोटे टुकड़ों में भक्तों को छोड़ा जाता हैं। जिससे कोई भगदड़ न हो सके और भक्त आराम से दर्शन कर सके। मंदिर के अंदर महिलाओ के लिए महिला सिपाहियों की ड्यूटी रहती हैं।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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