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Chhath Puja 2023: अर्घ्य देने के बाद विधि-विधान के साथ घाटों पर हुआ पूजन, महिलाओं ने की सुख समृद्धि की कामना

Kanpur News: शाम चार बजे से ही नहर के घाटों पर व्रत रखने वाली महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया। नहर किनारे अपने द्वारा बनाई गई वेदीयो की विधि विधान से पूजा अर्चना की। महिलाओं ने घुटने तक नहर के पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

Anup Pandey
Published on: 19 Nov 2023 10:19 PM IST
Chhath Puja 2023
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Chhath Puja 2023 (Pic:Newstrack)

Kanpur News: शाम होते ही घाटो पर हजारों की संख्या में भी दिखने को मिली। नजारा उस वक्त का था जब छठ मइया का पूजन करने के लिए महिलाएं अपने परिवार के साथ घाटो पर पहुँची। पूजा को लेकर महिलाओं अपने परिवार के साथ दोपहर से छठ घाटों पर पहुंचना शुरू हो गई। विधि-विधान के साथ घाट पर ही पूजन किया। अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।

दोपहर से होने लगी तैयारी

शाम चार बजे से ही नहर के घाटों पर व्रत रखने वाली महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया। नहर किनारे अपने द्वारा बनाई गई वेदीयो की विधि विधान से पूजा अर्चना की। महिलाओं ने घुटने तक नहर के पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके बाद एक दीप छठ मैया और दूसरा भगवान भास्कर को अर्पित किया। वहीं महिलाओं ने समूह बनाकर गीत गान के साथ सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी के लिए घर चल दिए।


प्रतिनिधि भी दिखे घाटों पर

छठ पूजा पर्व पर शहर के प्रतिनिधि भी घाटों पर दिखाई दिए। और हर आने जानें वाले को बधाई देते दिखे। वहीं महापौर ने भी यह पर्व मनाया। और शहर आई लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपने गीतों से सभी को झूमा दिया। तो उनको देख महापौर पर भी रुक नहीं पाई। और स्टेज पर आकर गीत गाने लगी।


पंचांग के अनुसार, लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल छठ पर्व 17 से 20 नवंबर 2023 तक है। आज षष्ठी तिथि पर 19 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। और 20 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत संपन्न होगा।

छत पर दिया अर्घ्य

बीजेपी नेता मधु तिवारी ने बताया कि हम लोग काफी वर्षों से घर की छत पर ही ये पर्व मनाते है। डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य घर की छत पर पानी के बड़े टब, कूलर की टंकी या कोई गहरा बर्तन उसमें खड़े होकर भी दे सकते हैं। नहर, नदी या कृत्रिम तालाब तक जाना अनिवार्य है। तो ऐसा नहीं है। भीड़ से बचने और यातायात को देख अधिकतर लोग अब यहीं कर रहे है।


छठ पूजा के क्रम में सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान कोसी भरने की भी रस्म भी कुछ महिलाओं ने अदा की। कोई मनोकामना मांगी हो और वह पूरी हो गई हो। कोसी मिट्टी के बड़े दीये को कहते हैं। जिसे पांच गन्ने खड़े करके उसके बीच में रखा जाता है।


घाटों पर हुई आतिशबाजी

शाम होते ही घाटों पर आतिशबाजी देखने को मिली। हर कोई पर्व में डूबा हुआ था। महिलाए, युवतियां अपने परिवार संग आए थे। और घाटों पर आतिश बाजी कर रहे थे। आतिशबाजी से आसमान चमक रहा था। वहीं भीड़ को देख यातायात कर्मी भी लगे थे। जो यातायात को संचालित कर रहे थे। वहीं घाटों पर किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसको देख आलाधिकारी भी मौके पर आते जाते दिखे।



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Durgesh Sharma

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