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Dental Health: कहीं आपके दांतों में भी तो नहीं ये जटिल बीमारी! GSVM के डॉक्टरों ने खोजा इलाज का आसान तरीक़ा
Dental Health: ईगल सिंड्रोम को जटिल बीमारियों में माना जाता है। यह गले के भीतरी हिस्से यानी टॉन्सिल के पास स्टाइलॉयड प्रोसेस नाम की हड्डी को चपेट में लेता है।
Photo- Social Media
Kanpur News: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने बेहतर इलाज देने में एक कदम और आगे बढ़ाया है। ईगल सिंड्रोम की जटिल सर्जरी पहली बार दंत रोग विभाग में हुई है। आमतौर पर इस बीमारी का इलाज न्यूरो, ईएनटी, मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ करते हैं। हड्डी से लेकर नसों पर सीधा असर डालने वाली बीमारी की सर्जरी दंत विभाग में होने पर कॉलेज इसे स्थानीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि मान रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत दंत रोग विभाग के आचार्य व मैक्सिलोफेशियल विशेषज्ञ डॉ शिशिर धर ने इटावा की 42 वर्षीय महिला की सफल सर्जरी की। 75 मिनट तक चली यह सर्जरी जर्नल ऑफ़ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल में प्रकाशित हुई है।
क्या है ईगल सिंड्रोम
ईगल सिंड्रोम को जटिल बीमारियों में माना जाता है। यह गले के भीतरी हिस्से यानी टॉन्सिल के पास स्टाइलॉयड प्रोसेस नाम की हड्डी को चपेट में लेता है। करीब डेढ़ सेमी के आकार वाली इस हड्डी की लंबाई बढ़ने लगती है। लंबाई बढ़ने से हड्डी नुकीली हो जाती है।
नसों पर दबाव पड़ने से होती हैं तमाम दिक्कतें
स्टाइलॉयड प्रोसेस नाम की हड्डी की लंबाई बढ़ने और नुकीलापन होने के कारण यह नसों पर दबाव देने लगती है। बार-बार दबाव पड़ने से गर्दन से सिर तक तेज दर्द, लेटने व गर्दन घुमाने में भीषण पीड़ा, मुंह खोलने से लेकर खाना निगलने में भी मरीज को दिक्कत होती है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज: Photo- Social Media
ये चुनौतियां भी रहीं
- सर्जरी के लिए सिर्फ अंगुली भर जगह
- सर्जरी के दौरान नसों के कटने का भय
- अन्य अंगों को क्षति न पहुंचे व ब्लीडिंग रोकना
डॉ शिशिर धर, आचार्य व मैक्सिलोफेशियल विशेषज्ञ, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने बताया इटावा की 42 वर्षीय महिला ईगल सिड्रोम से पीड़ित थी। आमतौर पर इस बीमारी का इलाज न्यूरो, ईएनटी, मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ करते हैं। हैलट में पहली बार दंत विभाग ने इस बीमारी का इलाज किया। 75 मिनट की सर्जरी सफल रही। यह सर्जरी जर्नल ऑफ़ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल में प्रकाशित भी हुई है।