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Kanpur News: हर कोई रोया... कंपकपाते हाथों से बूढे मां-बाप ने दी शहीद बेटे को सलामी; पैतृक गांव पहुंचा पार्थिव शरीर

Kanpur News: शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचने की सूचना पर शहीद के रिस्तेदार और गांव के ग्रामीण सुबह से ही एकत्र होने लगे। वहीं शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरा गांव गमगीन हो गया।

Anup Pandey
Published on: 25 Dec 2023 3:07 PM IST
Martyr Karan Yadav
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Martyr Karan Yadav (Photo: Social Media)

Kanpur News: जम्मू कश्मीर आतंकी हमले में चौबेपुर का लाल शहीद कारण यादव हो गया था, जिसका पार्थिव शरीर आज आर्मी अधिकारियों की सुरक्षा के बीच गांव पहुंच गया है। वहीं, शहीद को देखने के लिए लाखों की भीड़ गांव में मौजूद है। जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में कानपुर का एक लाल शहीद हो गया था। चौबेपुर थाना क्षेत्र के भाऊपुर गांव में जैसे ही शहीद होने की खबर पहुंची तो वैसे ही गम का माहौल हो गया था। वहीं आज शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचने की सूचना पर शहीद के रिस्तेदार और गांव के ग्रामीण सुबह से ही एकत्र होने लगे। वहीं शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरा गांव गमगीन हो गया। हर किसी के आंसू रुक नहीं रहे थे।पुलिस और आर्मी गाड़ियों के काफिले के साथ शहीद का पार्थिव शरीर एंबुलेंस से गांव पहुंचा।

पुलिस के साथ प्रशासन भी रहा मौजूद

अंतिम संस्कार को लेकर बीते दिनों से परिवार के लोग परेशान थे। वहीं बेटे का पार्थिव शरीर भी देख नहीं पा रहे थे। आर्मी अधिकारियों के बताने के बाद परिवार के कुछ लोग नाराज हो गए थे। पूरे गांव के ग्रामीणों में नाराजगी हो गई थी। जिसको लेकर ग्रामीणों ने बीते कल मेन हाईवे जाम कर दिया था। जिसको देख पुलिस और प्रशासन ने आर्मी के सैन्य अधिकारियों से बातचीत की। बातचीत के बाद ग्रामीणों को शांत करा सड़क खाली कराई गई थी।जिसको देखते हुए आज रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर गांव लाया गया। और जिसका अंतिम संस्कार बिठूर घाट पर किया जायेगा।

परिवार में किसान बालक सिंह यादव का बेटा करण था।जो पढ़ाई में तेज था। और बचपन से फौज में जानें का मन बना लिया था। वहीं घर में उसकी दो बहने भी हैं।जिसमें वह मंझला भाई था। 2013 में करण सेना में भर्ती हुआ था।परिजनों से कहता था कि वह देश की सेवा ही करना चाहता है।इसीलिए उसने सेना को चुना था। वहीं बेटे के शहीद होने की सूचना पर मां सदमे में हो गई।

ग्रामीण बोले होनहार था करण

करण पढ़ाई के साथ साथ गांव के साथियों को भी पढ़ने के लिए कहता था। उम्र बढ़ते ही वह दौड़ लगाने लगा था। गांव के युवा जब मवेशियों को चारा करते थे। तो वह सब काम निपटाकर अपनी दौड़ लगाने चला जाता था। दौड़ में गांव के युवक उसके बराबर दौड़ नहीं लगा पाते थे। फौज में होने के बाद छुट्टियों पर जब घर आता था। तब अपने साथियों और गांवों में पढ़ने वालों से देश सेवा में आने को कहता था। अंतिम संस्कार के बाद खबर अपडेट की जायेगी



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

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