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Kanpur News: पर्स का शोक खराब कर सकता है आपका कूल्हा, यह गलती पड़ सकती है भारी

Kanpur News: हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रगनेश के अनुसार यह समस्या उनको ज्यादा होती है जो लंबे समय तक एक जगह ऑफिस में बैठ कर काम करते है। और पूरे समय अपने वॉलेट को पीछे की जेब मे रखे रहते है। ऐसे लोगों में स्टूडेंट्स, बैंकर्स, ड्राइवर्स, डेस्क वर्क करने वाले लोग शामिल है।

Anup Panday
Published on: 24 Aug 2023 4:33 PM GMT
Kanpur News: पर्स का शोक खराब कर सकता है आपका कूल्हा, यह गलती पड़ सकती है भारी
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(Pic: Newstrack)

Kanpur News: डॉक्टर्स ने चेताया और बताया कि खासकर युवाओं में यह प्रचलन बढ़ रहा है। अगर आप भी पुरुष होकर अपनी पैंट की बैक पॉकेट में अपना पर्स रखते है, तो सावधान हो जाइए। आपकी यह शोक की आदत आपके कूल्हे खराब कर सकती है। डॉक्टर ने कहा कि पुरुषों में खासकर युवाओं में "फैट वॉलेट सिंड्रोम" की समस्या आ रही है। जिसके वजह से कूल्हे खराब हो सकते है।

पर्स में रखते पैसे, आईडी व कागज

वैसे ज्यादातर पुरुष अपने वॉलेट में पैसे, आईडी कार्ड समेत काफी सारा सामान रखते है। उसके बाद इस वॉलेट को वो अपनी पैंट की पीछे वाली जेब मे रख लेते है। ऐसा करने से एक तरफ का कुल्हा ऊपर उठ जाता है। जिसकी वजह से सायटिका जैसी बीमारी हो जाती है। काफी लंबे समय तक ऐसे बैठने से कुल्हा खराब होने का खतरा बना रहता है।

डॉ. प्रगनेश, हड्डी रोग विशेषज्ञ के अनुसार यह समस्या उनको ज्यादा होती है जो लंबे समय तक एक जगह ऑफिस में बैठ कर काम करते है। और पूरे समय अपने वॉलेट को पीछे की जेब मे रखे रहते है। ऐसे लोगों में स्टूडेंट्स, बैंकर्स, ड्राइवर्स, डेस्क वर्क करने वाले लोग शामिल है। पर्स रखने से लोगों के पैर सुन्य हो जाना, पैरों में झनझनाहट लंगड़ा के चलना आदि जैसी बीमारियां हो जाती हैं। जांच कराने पर कुछ निकलता नहीं है। और जांच पर जांच होती रहती है। और हम लोग इस बात को इग्नोर कर देते हैं। वहीं कुछ दिन पर्स जब नहीं रखते है। तो यह अपने आप ठीक हो जाता है।

बीमारी से बचना है, तो न रखे पीछे पर्स

डाक्टरों की राय है कि इस बीमारी से बचना है तो पीछे की जेब मे वॉलेट रखने से बचना होगा। साथ ही अगर रखना मजबूरी हो तो वॉलेट को बिल्कुल पतला रखे। अगर हो सके तो ज्यादातर चीजों को डिजिटल रूप में रखे और वॉलेट रखने से बचे। सिक्के की जगह नोट का प्रयोग करें। जिससे आप सुरक्षित रहे।

पर्स में बढ़ गया कार्डों का बोझ

डिजिटल के जमाने में भी अब लोगों के पास बैंक कार्डो का बोझ बढ़ गया है। हर कोई नगद की जगह कार्ड का उपयोग कर रहा है। बैंको की तरफ से पहले डेविट कार्ड होता है। अब बैंको ने क्रेडिट कार्ड भी ग्राहकों को उपलब्ध करा दिया है। जिससे एक की जगह दो कार्ड होने लगे है। वहीं डीएल कार्ड, आधार कार्ड, पेन कार्ड ये तीन चार कार्ड होने से पर्स फूल जाता है। जो दिक्कत देता है।

Kanpur News: ट्रांसप्लांटर मशीन से धान की रोपाई का सजीव प्रदर्शन

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कल्याणपुर स्थित तिलहन शोध प्रक्षेत्र पर आज जापानी कंपनी कुबोटा द्वारा निर्मित पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से धान की रोपाई का सजीव प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम में जनपद कानपुर देहात से आई महिला कृषक माया देवी ने इस मशीन को स्वयं खेत में चलाकर धान की रोपाई की।

कृषि यंत्रों का प्रयोग कर कम लागत में अधिक मुनाफा

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने बताया कि खेती में उन्नत तकनीकी और आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। हाथ से रोपाई की तुलना में इस मशीन से कम समय में अधिक क्षेत्रफल में धान की रोपाई हो जाती है। डॉक्टर सिंह ने कहा कि धान की खेती में लागत कम और उत्पादन प्रति हेक्टेयर अधिक होता है।

तीन एकड़ खेत की 8 घंटे में रोपाई

इस मशीन द्वारा ढाई से तीन एकड़ खेत की 8 घंटे में रोपाई हो जाती है। जबकि मैनुअल 8 घंटे में पांच श्रमिकों द्वारा एक एकड़ खेत की रोपाई हो पाती है। उन्होंने बताया कि इस मशीन से 2200 से 2500 रुपए प्रति एकड़ खर्चा आता है जबकि मैन्युअल रोपाई करने में 4500 से 5000 प्रति एकड़ खर्चा आता है। उन्होंने बताया कि इस विधि से ढाई से तीन कुंतल प्रति एकड़ धान का उत्पादन अधिक होता है।

किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिक होगा लाभ

कुलपति ने बताया कि पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई करने में निश्चित तौर पर प्रदेश व देश के किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिक लाभ होगा। क्योंकि समय व रूपए दोनों की बचत होगी। इस अवसर पर डॉक्टर सी एल मौर्य, डॉक्टर पीके सिंह, डॉक्टर आरके यादव, डॉक्टर पी के उपाध्याय, डॉक्टर डीपी सिंह, डॉक्टर आरबी सिंह, डॉक्टर विजय यादव तथा जापानी कंपनी कुबोटा के मनीष एवं कृषि विभाग के सभी अधिकारी सहित कानपुर नगर ,कानपुर देहात,उन्नाव एवं फतेहपुर सहित आसपास के जनपदों के एक सैकड़ा से अधिक महिला एवं पुरुष प्रगतिशील किसानों ने सहभागिता की।

Anup Panday

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