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NIA कोर्ट का बड़ा फैसला, आतिफ और फैसल को फांसी की सजा, माथे पर तिलक देख की थी शिक्षक की हत्या
Kanpur Murder Case: आतिफ मुजफ्फर और फैसल पर आरोप था कि पिस्तौल की टेस्टिंग के लिए शिक्षक की हत्या की थी। दोनों ने हाथ में कलावा और माथे पर तिलक की हिंदू पहचान देख कर मर्डर किया था।
Ramesh Babu Shukla murder case: उत्तर प्रदेश के कानपुर में रिटायर्ड शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड में गुरुवार (14 सितंबर) को एनआईए स्पेशल कोर्ट (NIA Special Court) ने बड़ा फैसला सुनाया। विशेष अदालत ने कथित आतंकी आतिफ मुजफ्फर (Atif Muzaffar) और फैसल को फांसी की सजा सुनाई है। एनआईए स्पेशल कोर्ट ने दोनों पर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
आपको बता दें, कानपुर का शिक्षक हत्याकांड सुर्ख़ियों में रहा था। मर्डर की एफआईआर 24 अक्टूबर, 2016 को कानपुर के चकेरी थाने में दर्ज की गई थी। दोनों कथित आतंकियों पर आरोप था कि इन्होंने अपने पिस्टल की टेस्टिंग के लिए टीचर रमेश बाबू शुक्ला की हत्या कर दी थी। रमेश बाबू की हत्या इसलिए की गई थी, क्योंकि उन्होंने हाथ में कलावा और माथे पर तिलक लगाया हुआ था।
ISIS सोच दिखाना था मकसद
इस्लामिक स्टेट अतंकी संगठन (ISIS) की जिहादी सोच दिखाने के लिए ये हत्या की गई थी। आतिफ मुजफ्फर (Atif Muzaffar Death Sentence) और फैसल को एक अन्य केस में पहले ही फांसी की सजा मिल चुकी है। बता दें, इन्हीं का साथी था सैफुल्लाह (Saifullah) जिसे यूपी एटीएस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में मार्च, 2017 में सैफुल्लाह को ATS ने मार गिराया था। फैसल ने पुलिस पूछताछ के दौरान खुलासा किया था कि आतिफ और सैफुल्लाह उसी के मोहल्ले के निवासी थे।
हिंदू पहचान सुनिश्चित कर गोली मारी
एनआईए (National Investigation Agency) के विशेष लोक अभियोजक कौशल किशोर शर्मा (Kaushal Kishore Sharma) के अनुसार, 24 अक्टूबर 2016 को कानपुर में एक रिटायर हेडमास्टर रमेश बाबू शुक्ला की हत्या हुई थी। रमेश बाबू, स्वामी आत्म प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य थे। उन्होंने बताया, अभियुक्तों ने शिक्षक के हाथ मे बंधे कलावे से उनके हिंदू पहचान होना सुनिश्चित किया, फिर गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में रमेश बाबू के बेटे अक्षय शुक्ला ने थाना चकेरी में अज्ञात के खिलाफ FIR में दर्ज कराई थी।
गृह मंत्रालय ने NIA को सौंपी थी जांच
गृह मंत्रालय ने इस मामले में 14 मार्च, 2017 को जांच एनआईए को सौंप दी थी। एनआईए जांच के दौरान आरोपी आतिफ मुजफ्फर ने कबूल किया था कि उसने कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी।