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Unnao News: 1996 के लोकसभा चुनावी दंगल में 52 प्रत्याशियों ने ठोंकी थी ताल, 51 की हो गई थी जमानत जब्त
Unnao News: 2024 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा प्रत्याशियों का रिकार्ड टूटने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं क्योंकि नामांकन को मात्र तीन दिन का समय शेष बचा है ।
Unnao News: अमूमन चुनावों में मतों से हार, जीत के ही रिकार्ड बनते हैं। लोग इन्हें ही याद भी रखते हैं। इसके इतर चाहे, अनचाहे में कई अन्य रिकार्ड भी बन जाते हैं। जिनके बारे में लोगों को बहुत कम ही जानकारी हो पाती है। ऐसा ही एक रिकार्ड सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का भी बना है। जिसके बादे में शायद ही लोगों को जानकारी हो। जनपद में वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 52 प्रत्याशी चुनावी दंगल में ताल ठोंकने उतरे थे।
जनपद में अब तक 17 आम व एक उपचुनाव हो चुका है। पूर्व के चुनावों में गौर करें तो 1996 में अफसरों को सबसे ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ी थी। उस समय के चुनावी दंगल में 52 प्रत्याशियों ने नामांकन कराया था और मैदान में जीत हासिल करने के इरादे से उतरे थे। हालांकि 51 को निराशा ही हाथ लगी थी। इसके बाद के चुनावों में कभी भी इतनी संख्या में प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरे थे। 2009 और 2014 के आम चुनाव में 21-21 प्रत्याशियों ने नामाकांन कराया था।
वर्ष 2004 के चुनाव में 16, 1991 में 15, 1999 में 14 और 1998 व 1980 में 10-10 प्रत्याशी चुनावी समर में जीत के इरादे से उतरे थे। बीच और बाद के चुनावों में प्रत्याशियों की संख्या दहाई अंक तक नहीं पहुंची।
वर्ष 2019, 1977 व 1962 के चुनावों में आठ-आठ, 1989 में सात, वर्ष 1984 में छह, 1967 में पांच और 1957 व 1971 में चार-चार प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था। विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीय दलों के साथ निर्दलीय भी प्रत्याशी बनकर इस उम्मीद के साथ मैदान में उतरे लोगों का किस्मत चमकने और जीतकर संसद पहुंचने का सपना ‘सपना’ ही रह गया। इनमें से जीत केवल एक को ही हासिल हुई। 1996 में प्रत्याशियों की संख्या का बना रिकार्ड आज 28 साल बाद भी नहीं टूटा है।
इस चुनाव में भी रिकार्ड टूटने के आसार कम
2024 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा प्रत्याशियों का रिकार्ड टूटने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं क्योंकि नामांकन को मात्र तीन दिन का समय शेष बचा है लेकिन चुनावी समर में अभी तक मात्र तीन बड़े दलों के ही चेहरे ही नजर आ रहे हैं। क्षेत्रों में भी वोटरों से जनसंपर्क करने वाले ज्यादा नजर नहीं आ रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान की स्थितियों को देखते हुए नामांकन कराने वालों की संख्या दहाई अंक को ही पार करना मुश्किल लग रहा है।
16 से अधिक प्रत्याशी हुए तो लगेंगी दो बैलेट यूनिट
1998 चुनाव में कुछ सीटों पर प्रयोग के रूप में वोटिंग में ईवीएम का प्रयोग शुरू हुआ था। इसमें सफलता मिलने पर आगे के लोकसभा चुनाव में पूर्णरूप से ईवीएम का प्रयोग अनिवार्य हो गया था। ईवीएम में 15 प्रत्याशी व एक नोटा मिलाकर कुछ 16 ही निशान का बैलेट पेपर लगाने की व्यवस्था होती है। इसके बाद भी यदि प्रत्याशी होते हैं तो दूसरी ईवीएम लगानी पड़ती है।
सहायक निर्वाचन अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने बताया कि मतदान के लिए ईवीएम में लगाए जाने वाले बैलेट यूनिट में 16 प्रत्याशियों के चुनाव निशान वाला बैलेट पेपर लगाने की व्यवस्था होती है। यदि इस चुनाव मैदान में 16 से अधिक प्रत्याशी हुए तो अतिरिक्त बैलेट यूनिट लगानी पड़ेगी।