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Kanpur News: वट सावित्री पर्व को लेकर सुहागिनों में दिखा उत्साह, मेयर ने भी की पूजा अर्चना
Kanpur News: भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के बीच नंगे पैर पूजा की डलिया लिए महापौर प्रमिला पाण्डेय परमट स्थित एफएम कालोनी के पास बरगद के पेड़ पर पहुंची। पूजन स्थल पर सुहागिन महिलाओं की भीड़ देखने को मिली।
Kanpur News: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाए जाने वाले वट सावित्री पर्व को लेकर सुहागिनों में खासा उत्साह दिखा। नगर में जगह-जगह सजी-धजी महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने जाती दिखीं। आस्था की ताकत ऐसी की बहुत सी व्रताएं हाथ में पूजन सामग्री से भरी बांस की डलिया लेकर नंगे पांव ईष्ट देव का पूजन करने पहुंची। पूजन अनुष्ठान के साथ पति की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई।
महापौर प्रमिला पांडेय ने की बरगद की पूजा
भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के बीच नंगे पैर पूजा की डलिया लिए महापौर प्रमिला पाण्डेय परमट स्थित एफएम कालोनी के पास बरगद के पेड़ पर पहुंची। पूजन स्थल पर सुहागिन महिलाओं की भीड़ देखने को मिली। वटवृक्ष के नीचे विधि-विधान के साथ महापौर ने पूजा की और वट सावित्री पूजन हर्षोल्लास के साथ मनाया। महापौर ने अखंड सौभाग्य के प्रतीक वट सावित्री व्रत की पूजा के बाद सभी सुहागिन महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
ये है पूजन की विधि
वट सावित्री पर्व को लेकर मान्यता है कि आज ही के दिन सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज को शास्त्रगत सवालों से प्रसन्न कर वापस प्राप्त किए थे। इसी मान्यता के मुताबिक अपने सुहाग की रक्षा व पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन वट सावित्री का पूजन और व्रत करती है। वट सावित्री पर्व परंपरा, परिवार और प्रकृति प्रेम का पाठ पढ़ाता है। पुराणों में इसे सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत में वटवृक्ष का बहुत खास महत्व होता है।
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बरगद के पेड़ में है त्रिदेव का वास
पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव का निवास है। ब्रह्मा वट के जड़ भाग में, विष्णु तना में और महेश का वास ऊपरी भाग में है। वटवृक्ष पूजन के लिए सुहागिन महिलाओं ने सोलह श्रृंगार से सजकर निर्जला व्रत के साथ पूजा की। इसकी विधिवत पूजन सामग्री के रूप में सिंदूर, रोली, फूल, धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम, रक्षा सूत्र, मिठाई, चना, फल, दूध, बांस के पंखे, नए वस्त्र के साथ भगवान से प्रार्थना की गई। साथ ही सावित्री-सत्यवान तथा यमराज के कथा का श्रवण किया गया। हल्दी में रंगे रक्षा सूत्र के रूप में कच्चे धागे लेकर बरगद वृक्ष की सात बार परिक्रमा की गई। पेड़ में धागे को लपेटते हुये हर परिक्रमा में वृक्ष के जड़ में एक चना चढ़ाया गया। इस तरह विधि-विधान से सुहागिनों ने अपने पति एवं संतान के दीर्घायु होने की प्रार्थना की। पूजन व कथा श्रवण के बाद सुहागिनों ने एक दूसरे को सुहाग व श्रृंगार के सामान भेंट किए।