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Kanpur News: बच्चों के दिल में खुशी की धड़कन: जानिए क्या है वर्ल्ड कंजेनाइटल वीक में अहम पहल
Kanpur News: साइनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस और एसायनोटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस। साइनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस में बच्चों का रंग नीला पड़ जाता है, जबकि एसायनोटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस में ऐसा नहीं होता।
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Kanpur News: 7 से 14 फरवरी 2025;तक वर्ल्ड कंजेनाइटल वीक मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जन्मजात हृदय रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना है। कानपुर स्थित हृदय रोग संस्थान इस अवसर पर बच्चों के दिल के छेदों का सफलतापूर्वक दूरबीन विधि से इलाज करने के लिए जाना जाता है। संस्थान का प्रयास है कि इस क्षेत्र में और अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर व्यापक उपचार प्रदान किया जाए। इस बारे में जानकारी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश शर्मा ने दी।
डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि कंजेनाइटल हार्ट डिजीस छोटे बच्चों की उन बीमारियों का समूह है जो जन्म से ही बच्चे के दिल में होती हैं। इनमें सबसे सामान्य समस्या दिल में पैदाइशी छेद की होती है, जो बच्चे के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। कुछ बच्चों के दिल के छेद के कारण वह नीले पड़ जाते हैं, जबकि कुछ मामलों में रक्त प्रवाह में गड़बड़ी के कारण हार्ट फेलियर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कुछ बच्चों के दिल का आंतरिक संरचना भी गड़बड़ होती है, जिसके लिए अर्जेंट सर्जरी की जरूरत होती है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि कंजेनाइटल हार्ट डिजीस के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: साइनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस और एसायनोटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस। साइनॉटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस में बच्चों का रंग नीला पड़ जाता है, जबकि एसायनोटिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीस में ऐसा नहीं होता। इन बीमारियों का उपचार विशेष शल्य चिकित्सा विधियों के माध्यम से किया जाता है। कानपुर के हृदय रोग संस्थान में बच्चों के दिल के छेदों का इलाज दूरबीन विधि से सफलतापूर्वक किया जा रहा है, और इसे उचित दरों पर या विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत निशुल्क किया जा रहा है।
डॉ. अवधेश शर्मा ने आगे कहा कि बच्चों के हृदय रोगों से जुड़ी समस्याएं हमेशा एक भावनात्मक चुनौती होती हैं। उन्होंने बताया कि कई बच्चों के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और उन्हें इलाज के लिए दिल्ली, बंगलौर या कोची जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता है, जो हर किसी के लिए संभव नहीं है। यही कारण है कि हृदय रोग संस्थान ने इस दिशा में काम करने का निर्णय लिया और बच्चों के दिल के छेद दूरबीन विधि से सुधारने की प्रक्रिया को यहां स्थापित किया। पिछले वर्ष संस्थान ने प्रदेश भर में सबसे अधिक ऑपरेशंस किए हैं, और डॉ. शर्मा ने दुनिया के विभिन्न विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में अपना अनुभव और ज्ञान बढ़ाया है।
डॉ. अवधेश शर्मा ने आगे कहा कि संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश वर्मा और विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश्वर पांडेय के नेतृत्व में संस्थान ने इस कार्य को युद्धस्तर पर करने का संकल्प लिया है। हम सभी का मिशन है कि इस क्षेत्र में और अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को जीवनदान दिया जा सके।