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Kanpur News: कम पानी में किसान बढ़ा सकते हैं धान की पैदावार, जानिए क्या है विधि
Kanpur News: अब किसान कम पानी में भी धान की अधिक पैदावार कर सकेंगे।
Kanpur News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर जिले में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के सस्य विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ संजीव कुमार ने newstrack.com के संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया कि अब किसान कम पानी में भी धान की अधिक पैदावार कर सकेंगे। डॉ0 संजीव कुमार ने बताया पिछले 2 वर्षों से शोध कार्य कर रहे शोध छात्र रामनरेश ने धान की फसल में दो सिंचाई पद्धति बाढ़ सिंचाई और वैकल्पिक गीला एवं सुखाने वाली सिंचाई पर परीक्षण किए हैं। जिसके बाद शोधों द्वारा यह पाया गया है कि वैकल्पिक गीला और सुखाने वाली सिंचाई पद्धति से किसानों को एक पानी की बचत हो जाती है।
जानें कैसे कम पानी में धान की कर सकते हैं ्अधिक पैदावार
डॉ0 संजीव सिंह ने आगे बताया कि किसानों को नई तकनीक के माध्यम से धान की फसल के लिए पानी की आवश्यकता में 40 से 50 फ़ीसदी तक कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा शोधों द्वारा जानकारी हुई है कि धान के खेत में स्थिर पानी की जरूरत नहीं होती है। अच्छे प्रबंधन से 4- 5 टन धान प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है। जिसके लिए बाढ़ सिंचाई पद्धति में 1 किलोग्राम धान उत्पादन में सामान्यता 4000 से 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। और धान की खेती में पानी का इस्तेमाल अगर वैश्विक स्तर पर 10 फ़ीसदी कम कर दिया जाए तो गैर कृषि जरूरतों के लिए 150 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध हो सकता है।
डॉ संजीव कुमार ने कहा कि नई सिंचाई पद्धति में गीला और सुखाने वाली सिंचाई से आर्सेनिक, सीसा और कैडमियम के स्तर को क्रमश: 66,73 और 33% कम कर सकता है। जिससे इस विधि से रोग और कीटों का प्रकोप कम हो जाता है क्योंकि बीच-बीच में मृदा सूखती है जिससे मृदा जनित रोगाणु नष्ट हो जाते हैं और इस विधि द्वारा मीथेन उत्सर्जन को 85% कम पाया गया साथ ही पंपिंग लागत एवं ईंधन पर होने वाले व्यय में कमी आई है। उन्होंने आगे कहा कि यह विधि किसानों के लिए धान उत्पादन के क्षेत्र में जहां पर पानी की कमी है काफी लाभकारी जीत होगी।