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Mohan Bhagwat: सरसंघ चालक मोहन भागवत ने किया संघ सृजन के पुष्प का लोकार्पण, बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह के जीवन पर आधारित पुस्तक
Kanpur News: इस अवसर पर संघ प्रमुख ने प्रख्यात साहित्यकार संजय तिवारी द्वारा बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह के जीवन पर केंद्रित पुस्तक संघ सृजन के पुष्प का लोकार्पण भी किया।
संघ सृजन के पुष्प का लोकार्पण (photo: social media )
Mohan Bhagwat: अपनी शिक्षा व्यवस्था को इस रूप में संचालित करनी चाहिए जिसमें सीखने के लिए पर्याप्त उदाहरण उपस्थित हों। शिक्षा को केवल साक्षर बनाने का माध्यम नही रहना चाहिए। ये उद्गार हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत जी के। वह आज यहां विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म महाविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संघ प्रमुख ने प्रख्यात साहित्यकार संजय तिवारी द्वारा बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह के जीवन पर केंद्रित पुस्तक संघ सृजन के पुष्प का लोकार्पण भी किया। उल्लेखनीय है कि बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह इस महाविद्यालय के प्रबंधक के साथ साथ वर्ष 1947 से जीवन पर्यंत 1993 तक संघ के प्रांत संचालक रहे हैं। संजय तिवारी की इस कृति की सराहना करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि यह पुस्तक विस्तृत दस्तावेज है। इसअवसर पर प्रकाशित एक अन्य पुस्तक देवपुरुष नरेंद्रजीत सिंह को उन्होंने संक्षिप्त बताया।
श्री भागवत ने कहा कि शिक्षा की महत्ता बहुत है लेकिन शिक्षा को उदाहरण के बिना उन्नत नहीं बनाया जा सकता। उन्नत और उदाहरण के लिए अनुभवी गुरुओं की आवश्यकता है। आज जिस परिसर में यह आयोजन हो रहा है इसके सौ वर्ष की यात्रा से बहुत सीखने की आवश्यकता है। इसी महाविद्यालय से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महामनीषी ने शिक्षा पाई । स्वाभाविक है इस परिसर में कुछ ऐसे मानवीय और भारतीय मूल्य अवश्य हैं। अब आवश्यकता यह है कि उन मूल्यों को और आगे बढ़ाया जाय। उन्होंने इस अवसर पर बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह के संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि वह संघ की प्रथम पीढ़ी के ऐसे आदर्श थे जिनसे हमने बहुत कुछ सीखा है और संघ सृजन के पुष्प से नई पीढ़ी सीख सकेगी।
संघ सृजन के पुष्प का लोकार्पण (photo: social media )
संघ प्रमुख ने कहा कि प्रकाश पाने के लिए प्रकाश पुंज का निकट होना बहुत आवश्यक है। जैसे आकाश में अनेक तारे ऐसे हैं जो सूर्य से कई गुना प्रकाश रखते है किंतु पृथ्वी से बहुत दूर होने के कारण उनसे हमे प्रकाश नही मिल पाता। सूर्य पृथ्वी से निकट है इसलिए हम सूर्य के प्रकाश का भरपूर उपयोग करते हैं। इसी प्रकार अलग अलग स्थानों पर ज्ञान और शिक्षा के अनेक व्यक्ति और केंद्र होते है किंतु लाभ उसी व्यक्ति अथवा केंद्र का मिलता है जो हमारे सर्वाधिक निकट होता है। कानपुर क्षेत्र के बैरिस्टर साहब ऐसे ही प्रकाशस्तम्भ थे।
इससे पहले संस्था की सचिव श्रीमती नीतू सिंह ने सरसंघ चालक जी और अन्य अतिथियों का स्वागत किया। क्षेत्र संघ चालक, इस महाविद्यालय के प्रबंधक और बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह के सुपुत्र वीरेंद्रजीत सिंह ने संघ परिवार, श्रीब्रह्मावर्त महामंडल और इसके शिक्षा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।