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Kanpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह दिवसीय स्वर संगम घोष शिविर का समापन

कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह दिवसीय स्वर संगम घोष शिविर का समापन हुआ।

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Newstrack Network
Published on: 10 Oct 2022 9:22 PM IST
Kanpur News
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वर संगम घोष शिविर का समापन

Kanpur: सम्पूर्ण समाज की संगठित शक्ति के माध्यम से भारत अब विश्व को दिशा देने के लिए तैयार हो रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) केवल संगठन की आंतरिक भूमिका में नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज की सांगठनिक भूमिका के लिए कार्य करता है। संघ उदाहरण खड़ा करता है जिसका अनुकरण समाज के लोग भी करते हैं। इस आधार पर संस्कृति और संस्कारों के सम्प्रेषण से राष्ट्र उन्नति करता है।

कानपुर में आयोजित छह दिवसीय स्वरसंगम घोष शिविर के समापन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सर संघ चालक मोहन भागवत (सर संघ चालक मोहन भागवत जी ) ने आज ये उद्गार व्यक्त किये। संघचालक कानपुर में आयोजित छह दिवसीय स्वरसंगम घोष शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

स्वाधीनता के बाद भी अपनी भारतीय सेना के पास स्वदेशी बैंड धुनें नहीं थीं: भागवत

भागवत ने कहा कि स्वाधीनता के बाद भी अपनी भारतीय सेना के पास स्वदेशी बैंड धुनें नहीं थीं। अब संघ के घोष की कई धुनें सेना भी प्रयोग करती है। अपने संबोधन में उन्होंने घोष, संगीत, राग, अलग अलग प्रकार के वाद्ययंत्रों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इनकी महत्ता का भी उल्लेख किया। संघ प्रमुख ने महाभारत युद्ध के आरंभ के समय किए गए उद्घोष और उस समय के घोष यंत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही सेना में उत्साह भरने के लिए वाद्य घोष की समृद्ध पारम्परा रही है जो पराधीनता के काल मे लुप्त हो गई। अब संघ ने इसको पुनर्जीवित करने की महत्ता समझ कर कार्य बढ़ाया है। अब संगीत के संग्रहों में संघ संगीत भी एक विधा के रूप में शामिल है।

''देश को बड़ा बनाना है तो स्वार्थ से ऊपर उठ कर कार्य करने हैं''

उन्होंने कहा कि देश को बड़ा बनाना है तो अच्छे संस्कार अच्छी आदतें, स्वार्थ से ऊपर उठ कर कार्य करने हैं। घोष के संगीत के माध्यम से सुर मिलाते मिलाते एक दूसरे के साथ मिल जाते है। यह साथ महत्वपूर्ण है। आप उदाहरण सामने रखिये, समाज सीखेगा। देश को विश्वगुरु बनाना है। इसके लिए परिश्रम करना है। आपके परिश्रम के अच्छे परिणाम आएंगे। सम्पूर्ण समाज संगठित होता है तो विजय मिलती है। शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना है।

घोष शिविर में 953 शिविरार्थियों ने लिया भाग

इससे पूर्व प्रान्त के घोष प्रमुख संतोष ने इस शिविर की आख्या प्रस्तुत की और प्रान्त संघचालक ज्ञानेंद्र सचान ने आभार ज्ञापित किया। पंडित दीनदयाल सनातन धर्म विद्यालय के प्रांगण में आयोजित समापन समारोह के मंच पर क्षेत्र संघ चालक वीरेंद्र जीत सिंह की गरिमामय उपस्थिति थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वीउत्तर प्रदेश के चार प्रान्तों में यह प्रथम घोष शिविर आयोजित किया गया, जिसमें 953 शिविरार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक अनिल जी और प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी उपस्थित थे। समापन समारोह में अनेक विशिष्ट नागरिक और संभ्रांत लोग उपस्थित थे।



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Deepak Kumar

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