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कानपुर की हालत हो रही दिन पर दिन बेकार, लोगों के आंसू बयान कर रहे दर्द
कानपुर के फजलगंज स्थित बब्बर गैस एजेंसी पर सुबह से ही आम लोगों का पहुंचना शुरू हो जाता है।
कानपुर: कहते हैं वक्त जब खराब होता है तो आपको क्या क्या ना देखना पड़े इसका अंदाजा आप खुद कभी नहीं लगा सकते हैं लेकिन इस वक्त जो हालात हैं पूरे कानपुर के उन्हें देखने के बाद इस बात का अंदाजा तो जरूर लग गया है। जहां कल तक दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में रात दिन एक करते हुए हर आदमी नजर आते था, लेकिन आज वह अपनों के जीवन को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जुगाड़ करते हुए नजर आ रहे हैं। भूख प्यास सब मिट चुकी है लेकिन अपनों को सांसे देने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लग ऑक्सीजन सिलेंडर पाने की होड़ में जद्दोजहद कर रहे हैं।
आंखों में आंसू है पर दिल में एक आस है वह अपनों की रुकती हुई भी सांसों को बचा पाएंगे और वही सरकार और क्षेत्रीय नेताओं के प्रति उनके मन में गुस्से का अंबार फूट रहा है। नाराजगी इतनी है कह रहे हैं कि साहब हम तो लाइन में लगने के लिए ही बने हैं पहले वोट देने के लिए लाइन में लगे और अब अपनों की जिंदगी बचाने के लिए लाइन में लगे हैं। जिन्हें हमने अपना वोट देकर प्रतिनिधि चुना आखिर वह इस समय कहां है और क्यों नहीं हमारे हालात को देखते हुए हमारे साथ खड़े हो रहे हैं।
4 से 5 घंटे में आ रहा है नंबर -
कानपुर के फजलगंज स्थित बब्बर गैस एजेंसी पर सुबह से ही आम लोगों का पहुंचना शुरू हो जाता है। कल लंबी-लंबी लाइनें देखते ही देखते लग जाती हैं स्थिति कभी-कभी इस कदर हो जाती है कि पुलिस को लाठी पटक लोगों को शांत कराना पड़ता है लेकिन वही पुलिस वाली भी लाइन में लगे लोगों के दर्द को समझते हैं और कभी कभी हाथ जोड़कर उनसे कहते हैं हम आपकी मजबूरी को समझ रहे हैं पर शांति बनाए रखें कभी-कभी हालात तो इस कदर हो जाते हैं कि लोग सुबह से लगे हुए लोगों का नंबर 4 से 5 घंटे के बाद आता है। लेकिन अपनों की सांसो को बचाने के लिए तेज धूप में भी लोग अपनी लाइन से हट से नहीं है लाइन नहीं डटे रहते हैं अपनी बारी क्या निशा इंतजार करते हैं।
भावुक हो जाते हैं पुलिसकर्मी -
कानपुर के फजलगंज स्थित बब्बर गैस एजेंसी के बाहर अपनों की सांसो का इंतजाम करने आए लोगों के हालातों को देखकर पुलिस भी भावुक हो जाती हैं ऐसा ही वाक्य उसमें देखने को मिला जब लाइन में लगे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई पुलिस को लाठियां जमीन में पटक कर लोगों को शांत कर आना पड़ा लेकिन हमारी बदली हुई पुलिसकर्मी का चेहरा कुछ लोग बताते हैं, इसी दौरान एक पुलिसकर्मी ने हाथ जोड़कर शांति बनाए रखने की अपील करते करते इतना भाव हो गया की वह रोने लगा और बोला हम आपके दर्द को समझते हैं आप हमारी मजबूरी समझ जिए शांति बनाए रखिए सब का नंबर आएगा।
जब हमने एक पुलिसकर्मी से बात करने का प्रयास किया तो उसने नाम न छापने सा निवेदन करते हुए बताया कि ऊपर से आदेश है किसी भी प्रकार से हालात बिगड़ने ना पाएं।जिसका पालन हम सुनिश्चित करा रहे हैं लेकिन लाइन में लगे लोगों की आंखों के आंसू देख हम भी अपनी आंखों के आंसू रोका नहीं पाते हैं।आखिरकार हम भी इंसान हैं। पुलिसकर्मी ने बताया कभी-कभी कुछ ऐसे बुजुर्ग देखने को मिलते हैं। जो लाइन लगाकर अपने नौजवान बेटे की सांसो को सुरक्षित करने का इंतजाम करने में जुटे हुए दिखते हैं और ऑक्सीजन की सिलेंडर से लिए लाइन में दिखाई पड़ते हैं।
एक आंसू का हिसाब हम सभी मिलकर जरूर लेंगे -
सलेंडर की लाइन में लगे युवक से हमने बातचीत करने का प्रयास किया तो एजेंसी के बाहर खड़े दो लोगों ने अपना नाम राहुल व अवधेश कुमार बताया उसने बताया कि उसके पिता की ऑक्सीजन लेवल दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। अस्पताल में जगह नहीं मिल रही है तो घर पर ही सिलेंडर लगाकर उनके जीवन को सुरक्षित कर रहे हैं। लेकिन हमें एक बात का पछतावा भी है जिन्हें हमने चुना उनमें धोखा दे दिया उसने नाम न लेते हुए सीधे तौर पर अपने क्षेत्र विधायक वो सरकार पर सवाल खड़े कर दिए उसने कहा कि करोना संक्रमण की जब पहली लहर आई थी। जिस दौरान लॉक डाउन भी किया गया था।
सरकार में दावा किया था स्वस्थ व्यवस्थाएं मजबूत कर ली गई है अगर स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत कर ली गई होती तो आज जो हालात बने हुए हैं वह हालात नहीं बनते जब लोगों की जिंदगी पर बनाई है तब आप कुर्सी पर बैठ बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं। क्या स्वास्थ व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए जो घोषणा अब हो रही हैं। क्या पहले यह काम नहीं हो सकते थे लेकिन हमारे नेता हमें तभी याद करते हैं जब उन्हें हमारी वोट की आवश्यकता होती है कोई बात नहीं एक एक आंसू का हिसाब हम सभी मिलकर जरूर लेंगे। तो वही राहुल ने कहा कि 4 से 5 घंटे हो गए हैं लाइन में लगे लेकिन कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा है कि आप सीजन सिलेंडर कब से बांटे जाएंगे सिर्फ इंतजार कर रहे हैं देखिए कब तक इंतजार करना पड़ेगा।