विकास दुबे एनकाउंटर: पुलिसवालों पर उठ रहे कई सवाल, अब कोर्ट में देनी होगी सफाई

यूपी के कानपुर पुलिस हत्याकांड का आरोपी और मोस्ट वॉन्टेड अपराधी विकास दुबे का खेल खत्म हो गया है। बीते 30 सालों से यूपी में अपनी दबंगई के बलबूते पर आतंक मचाने वाले इस माफिया को पुलिस ने एनकाउंटर कर मौत की नींद सुला दिया।

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Published on: 11 July 2020 5:23 AM GMT
विकास दुबे एनकाउंटर: पुलिसवालों पर उठ रहे कई सवाल, अब कोर्ट में देनी होगी सफाई
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कानपुर: यूपी के कानपुर पुलिस हत्याकांड का आरोपी और मोस्ट वॉन्टेड अपराधी विकास दुबे का खेल खत्म हो गया है। बीते 30 सालों से यूपी में अपनी दबंगई के बलबूते पर आतंक मचाने वाले इस माफिया को पुलिस ने एनकाउंटर कर मौत की नींद सुला दिया। विकास दुबे के आतंक से परेशान लोगों ने विकास दुबे का एनकाउंटर होना सही बताया है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर पर सवाल कर रहे हैं। जिसे देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में पुलिसवालों पर हत्या का मुकदमा चलेगा और मामले की जांच भी बैठेगी।

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अब ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या सच में पुलिस ने अपनी आत्मरक्षा में गोली चलाई थी। पुलिस को अब कोर्ट में ये साबित करना होगा कि अगर वो फायरिंग नहीं करते, तो फिर उनकी भी जान जा सकती थी। तो चलिए शुक्रवार को हुए विकास दुबे एनकाउंटर को कानून की नजर से समझने की कोशिश करते हैं।

एनकाउंटर पर ये कहती है पुलिस

एनकाउंटर पर पुलिस के अनुसार, आरोपी विकास दुबे को एसटीएफ यूपी लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी गाड़ी से लाया जा रहा था। इस यात्रा के दौरान कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुंड भागता हुआ रास्ते पर आ गया।

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सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया

ऐसे में लंबी यात्रा से थके ड्राइवर ने इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपनी गाड़ी को अचानक मोड़ने की कोशिश की। जिसके बाद ये गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई।

यूपीएसटीएफ की इस गाड़ी में बैठे पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आईं। इसी बीच विकास दुबे अचानक हालात का फायदा उठाते हुए घायल निरीक्षक रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया और दुर्घटना ग्रस्त सरकारी वाहन से निकलकर कच्चे रास्ते पर भागने लगा। जिसके बाद जबरन मजबूर होकर पुलिस को विकास दुबे पर गोली चलानी पड़ी।

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