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Kanshi Ram Death Anniversary: मायावती ने की अपने परम्परागत वोट बैंक को लुभाने की कोशिश
Kanshi Ram Death Anniversary: बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने आज चुनावी शंखनाद कर अपने गरीब कमजोर व दलित वर्गों के परम्परागत वोट बैंक को फिर से जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने याद दिलाया कि चार बार की बसपा सरकार में कमजोर वर्ग का पूरा ख्याल रखा गया है।
Kanshi Ram Death Anniversary: बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने आज चुनावी शंखनाद कर अपने गरीब कमजोर व दलित वर्गों के परम्परागत वोट बैंक को फिर से जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने याद दिलाया कि चार बार की बसपा सरकार (BSP Government) में कमजोर वर्ग का पूरा ख्याल रखा गया है। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के विकास की भी तस्वीर खींचने का प्रयास किया।
कांशीराम स्मारक स्थल पर (Kanshiram Smarak Sthal) कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस (Parinirvana Diwas) पर अपनी सरकारों के कार्यकाल को एक साथ गिनाते हुए विरोधी पार्टियों पर आरोप लगाया कि यह सब उन्हें अच्छा नहीं लगा इसलिए यह सब पूंजीवादी पार्टियां एक हो गयी। जिसके कारण ही दो विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunaav) में बसपा को सत्ता नहीं मिल सकी। पर इन सपा और भाजपा की इन सरकारों से दुखी है, यही कारण है कि लोग अब बसपा सरकार को याद कर रहे हैं।
विपक्षी दलों से सावधान रहने की जरूरत
माायावती ने कहा कि इन विपक्षी दलों से सावधान रहने की जरूरत है। कुछ ऐसे छोटे दल भी हैं, जो चुनाव जीतना नहीं चाहते हैं बल्कि पर्दे के पीछे सत्तााधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए हैं। इसलिए ऐसे पार्टियों के चक्कर में पड़कर अपना वोट खराब न करें वरना भाजपा फिर से सत्ता में आ जाएगी। उन्होंने समाजवादी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि एक ऐसा दल है जो अपनी बिरादरी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया करता है। ऐसे दलों के झांसे में आने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने मीडिया पर भी हमला किया और कहा कि यह बस प्रायोजित होकर बसपा को कमजोर करने का काम करता है। मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्तर वर्षों तक यही पार्टी सत्ता में रही पर गरीबों के लिए इस पार्टी ने कुछ नहीं किया। इसी कारण लोग रोजगार के लिए यहां से पलायन कर गए। कोरोना के कारण जब यह लोग वापस यूपी आ गए तो भाजपा सरकारों ने इनके लिए कुछ नहीं किया। इस कारण यह लोग वापस चले गए।
बाहरी दलों को सबक सिखाने की जरूरत
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि यूपी के अलावा बिहार और महाराष्ट्र में भी यही हाल रहा है। अब इन सरकारों से जुड़े राजनीतिक दल यहां वोट पाने की जुगत में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। जबकि यह पार्टी कोरोना काल के दौरान उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकी। इसलिए यूपी के विधानसभा चुनाव में इन बाहरी दलों को सबक सिखाने की जरूरत है। आम आदमी पार्टी बिजली पानी देने की जो बात कर रही है, वह केवल कागजों में ही है।
बेरोजगारी भत्ते की बात भी आम आदमी पार्टी (AAP) की पूरी तरह से निराधार है। अगर बेरोजगारी भत्ता दिया होता तो यूपी और बिहार में वापस न आना पड़ता। इसलिए भाजपा कांग्रेस सपा के अलावा दूसरे राज्यों की पार्टियों से भी सावधान रहने की जरूरत है। इस चुनाव में सभी पार्टियां प्रलोभन वाले वादे करने वाली हैं। प्रदेश की जनता को ऐसे दलों से होशियार रहने की जरूरत है। बसपा चुनावी घोषणाएं नहीं करती बल्कि काम करने पर विश्वास करती है। इसीलिए प्रदेश की जनता को किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं हैं।
चुनावी सर्वें पर रोक लगाने की मांग करेगी बसपा
वहीं, बहुजन समाज पार्टी चुनाव के पहले होने वाले सर्वे को लेकर बेहद नाराज हैं। पार्टी का मानना है कि ये चुनावी सर्वे पूरी तरह से प्रायोजित होते हैं। इसलिए पार्टी चुनाव आयोग से ऐसे सर्वे पर रोक लगाने की मांग करेगी। बसपा सुप्रीमों मायावती ने आज कहा कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलकर मांग करेगी कि चुनाव के छह महीने पहले सर्वे पर रोक लगनी चाहि। ताकि चुनाव प्रभावित न हो सके।
उन्होंने याद दिलाया कि ऐसा ही उदाहरण एक पश्चिम बंगाल में देखने को मिल चुका है, जिसमें ममता बनर्जी को कमजोर दिखाया गया था पर वह फिर से सत्ता में आ गयी। उन्होंने कहा कि बसपा से जुड़े लोग सर्वे के चक्कर में न पड़े।
सत्ताधारी दल पर लगाया ये आरोप
बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। साथ ही चुनावों में धन्ना सेठों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। मायावती ने कहा कि किसानों का काफी शोषण किया जा रहा है। लखीमपुर कांड इसका साक्षाात उदाहरण है। यह भी कहा कि सरकार कोरोना की आड में अपनी स्वार्थ सिद्ध कर सकती है। हांलाकि कोरोना से सावधान रहने की भी जरूरत है।
मायावती ने कहा कि सरकार बनने पर गरीब और बेरोजगारों को रोजी रोटी उपलब्ध कराने पर बसपा सरकार ध्यान लगाएगी। जिससे रोजी रोटी के लिए प्रदेश से पलायन न करना पडे। इस बार बसपा का यही चुनावी मुद्दा होगा। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गो का पूरा ख्याल रखा जाएगा। जो पिछली बसपा सरकार की योजनाएं थी, उन्हें फिर से चलाया जाएगा।
जनता से मायावती के वादे
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि मथुरा, काशी और अयोध्या में जो भी कार्य किए जा रहे हैं, वह काम भाजपा ने बंद करा दिए। लेकिन बसपा सरकार आने पर ऐसा नहीं करेगी। शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों के अलावा पुलों सड़कों आदि को ठीक किया जाएगा। जो भी केन्द्र की योजनाएं उन्हे रोका नहीं जाएगा और न ही योजनाओं का नाम बदला जाएगा। सपा और भाजपा सरकारों के कार्यकालों की समीक्षा करने के बाद ही उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा।
साथ ही कानून व्यवस्था में सुधार मीडिया में नहीं, हकीकत में किया जाएगा। जो अपराधी होंगे उन्हें जेल की सलाखों में ही भेजा जाएगा। प्रदेश की तस्वीर को बदलने का काम किया जाएगा। बसपा की सरकार बनने पर बिना भेदभाव के सभी काम पूरे किए जाएगें। मुस्लिम समाज का पूरा ख्याल रखा जाएगा। जनता को किसी भी मामले पर निराश नहीं होने दिया जाएगा। बसपा जो कहती है वह करती है।
मायावती ने की कांशीराम को भारत रत्न देने की मांग
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज एक बार फिर कांशीराम को भारत रत्न (Bharat Ratna) दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि हालांकि मुझे पता है कि यह सरकारें ऐसा करने वाली नहीं है। उन्होंने कहा केन्द्र में जब तक जातिवादी सरकारें चलती रहेगी तब तक कांशीराम को भारत रत्न की उम्मीद नहीं की जा सकती है। लेकिन बसपा उन्हें यह सम्मान दिलाने का प्रयास करती रहेगी। इन दलों को चुनाव के समय ही दलित और कमजोर वर्ग की याद आती है।
उन्होंने डॉ. भीमराम अम्बेडकर को भारत दिए जाने पर याद दिलाया कि इसी तरह जब देश से अंग्रेज चले गए और कांग्रेस की सरकार आई तभी कांग्रेस की बाबा साहब अम्बेडकर को भारत रत्न दिए जाने की जिम्मेदारी थी पर उसने ऐसा नहीं किया। जबकि हमारे लोग इसके लिए काफी संघर्ष करते रहे पर केन्द्र की कांग्रेस की सरकारों ने ऐसा नहीं किया।
इसके बाद 1989 में वीपी सिंह की सरकार बनी तो वह चाहते थें कि बसपा भी सत्ता में शामिल हो पर कांशीराम जी ने ऐसा नहीं किया। उस समय हमारी पार्टी ने केवल दो मांगें रखी थी एक यह कि बाबा साहेब को भारत रत्न दिया जाए तथा दूसरी देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू हो। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने ऐसा ही किया। लेकिन भाजपा को यह अच्छा नहीं लगा। उसने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
कांग्रेस को दलित वर्ग माफ करने वाला नहीं
उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस दलितों को कितना भी बड़ा पद दे दे पर दलित वर्ग उसे माफ करने वाला नहीं है। यही कारण है कि 1984 में सिख दंगे के बाद कांग्रेस के लोगों से सिख समाज आज भी नाराज है। मायावती ने कहा कि भाजपा अब घबराई हुई है। इसलिए शिलान्यास करने पर आमादा है। साथ ही जाति के महापुरूषों की मूर्तियों आदि लगाने के साथ ही जाति के आधार पर विधायकों को सत्ता में शामिल किए जाने का काम किया जा रहा हैं। मायावती ने कहा कि जिन दलों के बडे बडे दावे थे, वह सारे दल आज यहां आई भीड को देख लें। उन्होंने मीडिया से कहा कि वह भी देख लें कि कितनी भीड है।
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