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Kushinagar News: सात विधायक व एक सांसद फिर भी बंद हो गई कप्तानगंज की चीनी मिल
Kushinagar News: चीनी का कटोरा कहा जाने वाला जनपद जो चीनी मिलों और चीनी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। वहां धीरे-धीरे निगम से लेकर निजी क्षेत्र की चीनी मिलें बंद होती चली जा रही हैं।
Kushinagar News: चीनी का कटोरा कहा जाने वाला जनपद जो चीनी मिलों और चीनी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। वहां धीरे-धीरे निगम से लेकर निजी क्षेत्र की चीनी मिलें बंद होती चली जा रही हैं। बंदी के क्रम में कप्तानगंज चीनी मिल (Kaptanganj sugar mill) का भी यही हाल हो गया है। मालिकों ने चीनी मिल को चलाने में असमर्थता प्रकट की है। सत्ता पक्ष के सात विधायक और एक सांसद के रहते वर्तमान सरकार में किसानों का लंबा बकाया लगाकर इस तरह चीनी मिल का बंद होना किसानों के लिए बहुत ही दुखद है।
विपक्ष और सत्तापक्ष के नेताओं का प्रयास भी काम नहीं आया। आज इस चीनी मिल से जुड़े किसान मजदूर तथा मिल के कर्मचारी भारी कठिनाइयां झेल रहे हैं। कुशीनगर जनपद में दशकों पूर्व पडरौना, कठकुईया, रामकोला खेतान और लक्ष्मीगंज की चीनी मिलें बंद हो गई थीं। सिर्फ निजी क्षेत्र की चीनी मिलें पेराई कर रही हैं। जिसमें कप्तानगंज निजी क्षेत्र की चीनी मिल भी बड़े क्षेत्र के भूभाग की गन्ने की पेराई कर रही थी। पिछले सत्र से चीनी मिल की हालत काफी खराब हो गई। गन्ना कम मिलने से चीनी मिल पूरे सीजन नहीं चल पाई किसानों के गन्ना मूल्य का बकाया बढ़ता गया। वर्तमान में चीनी मिल पर किसानों के गन्ना मूल्य का भारी बकाया है ।
राधेश्याम सिंह भी दे चुके हैं धरना
कप्तानगंज चीनी मिल चलवाने तथा बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कराने के लिए किसान नेता व पूर्व राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह कप्तानगंज में धरना प्रदर्शन का आयोजन किये थे। लेकिन प्रशासन के तानाशाही रवैया अपनाते हुए धरना स्थल से उन्हें गिरफ्तार कर जनपद के पूर्वी छोर पर स्थित थाना तरयासुजान में दिनभर रखा था । प्रशासन ने उनकी मांग को अनदेखी करते हुए उल्टे उन पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया।
भाजपा नेता व पूर्व विधायक का सुझाव
भाजपा नेता व पूर्व विधायक मदन गोविन्द राव ने मालिकों द्वारा वर्तमान पेराई सत्र् में कप्तानगंज चीनी मिल चलाने में असमर्थता प्रकट किये जाने से उत्पन्न हालात के सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है। पूर्व विधायक ने पत्र के माध्यम से राज्य सरकार को अवगत कराते हुए बताया है कि कनौडिया शूगर मिल्स लिमिटेड कप्तानगंज चीनी मिल लगभग साठ हजार क्विन्टल प्रतिदिन पेराई क्षमता वाली चीनी मिल है तथा लगभग पाँच-छः सौ कर्मचारी प्रत्यक्ष तौर पर एवं हजारों किसानों (गन्ना किसान) का आर्थिक भविष्य उक्त चीनी मिल से जूड़ा हुआ है, एवं छोट-बड़े दुकानों के संचलन में भी उक्त चीनी मिल का योगदान रहा है।
चीनी मिल बन्द होने से कप्तानगंज नगर एवं देहात का विकास, व्यवसाय तथा व्यवसायिक एवं सामाजिक गतिविधियों पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ना सुनिश्चित है। चीनी मिल पर गन्ना किसानों एवं समितियों का पचास करोड़ रूपये से ऊपर बकाया है चीनी मिल बन्द हो जाने की दशा में खेतिहर किसान बहुत बूरी तरह प्रभावित होगें। प्रबन्ध तंत्र ने गन्ना मुल्य भुगतान में हिला-हवाली कर तथा चीनी मिल बन्द कर सरकार के निर्देशों,लाईसेन्स की शर्तों ,श्रम कानून एवं गन्ना क्रय नियन्त्रण आदेशों का उलंघन किया है।
गन्ना किसानों व चीनी मिल मजदूरों के हित तथा व्यापक लोकशान्ति के लिए उक्त चीनी मिल का तत्काल अधिग्रहण कर चीनी मिल चलाने के वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए, गन्ना किसान कर्मचारी एवं राज्य सरकार के संयुक्त शेयर योगदान से भी चीनी मिल चलाई जा सकती है तथा पिपराईच एवं कप्तानगंज को एक ही मैनेजमेन्ट के अधीन भी रखा जा सकता है, यदि चीनी मिल बायफर में हो तो उसे निकालने हेतु केन्द्र सरकार से आवश्यकतानुसार बातचीत की जानी चाहिए।
पूर्व विधायक ने आशा प्रकट किया है कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन से गन्ना एवं चीनी उद्योग विभाग स्थानीय किसानों, चीनी मिल कर्मचारियों से सम्वाद कर चीनी मिल को चलाने हेतु सार्थक प्रयास करेगा, साथ ही कप्तानगंज चीनी मिल को आवंटित गन्ने को अन्य चीनी मिलों में भेजने की व्यवस्था की जानी चाहिए। पूर्व विधायक ने पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव उ.प्र. शासन तथा अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास को भी भेजा है