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कासगंज: हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है यहां का कावड़ मेला

अनेकता में ही एकता है, समाज में इस सन्देश को देने वालों की अभी कमी नहीं है, जहां एक तरह नेता जातबिरादरी का जहर घोलकर लोगों को लड़वाने में लगे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ गंगा यमुनी तहजीब को बढ़ावा देने वालों की अभी देश में कमी नहीं है। ऐसा ही कुछ कासगंज जिले के सोरों विकास खंड़ क्षेत्र के गांव कादरवाड़ी में देखने को मिला।

Roshni Khan
Published on: 28 July 2019 4:26 PM IST
कासगंज: हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है यहां का कावड़ मेला
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कासगंज: अनेकता में ही एकता है, समाज में इस सन्देश को देने वालों की अभी कमी नहीं है, जहां एक तरह नेता जातबिरादरी का जहर घोलकर लोगों को लड़वाने में लगे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ गंगा यमुनी तहजीब को बढ़ावा देने वालों की अभी देश में कमी नहीं है। ऐसा ही कुछ कासगंज जिले के सोरों विकास खंड़ क्षेत्र के गांव कादरवाड़ी में देखने को मिला। इस्लाम को मानने वाले ये लोग ऐसा काम करते हैं जो काम हिंदू भाइयों के धर्म से जुड़ा हुआ है। आज भी मुस्लिम और हिन्दू एकता का संदेश दे रहे हैं। गंगा मैया को अपना कमाई का श्रोत बताकर प्रतिवर्ष लाखों रूपये पैदा कर रहे हैं।

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हिन्दू भाइयों के लिए मुस्लिम बनाते है कावड़

आपको बता दें कि कासगंज ज़िले के सोरों विकास खण्ड कडरवाड़ी में ये लोग हैं हिन्दू परंपरा के तहत श्रावन मास में भगवान वराह की नगरी सोरों में लगने वाला कावड़ मेला इन दिनों पर पूरे शबाव पर है। मुस्लिम कारीगर जो कि अपने परिवार के साथ पिछले काफी सालों से कांवड़ की समग्री बनाने का काम कर रहे हैं। इनका ये परिवार ही नहीं बल्कि इनके बाप दादा भी इस काम को करते रहे हैं। इन्हें यह काम विरासत में मिला है, जैसे ही कांवड़ यात्रा आती है वैसे ही एक मुस्लिम इलाके के कई परिवार हिन्दू भाइयों के कांवड़ लाने के लिए कांवड़ बनाते हैं, इन कांवड़ को लेकर ही हिन्दू भाई जल लाते हैं।

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मुस्लिम समाज के लोग कावड़ बना कर परिवार का करते है भरण पोषण

सोरों में लगने वाले कावड़ मेला को सजाने के लिए सोरों के गांव कादरवाड़ी के मुस्लिम समाज के लोगों को विशेष योगदान है। मुस्लिम समाज के 65 वर्षीय सत्तार ने बताया कि यह तीन सौ वर्षो से गांव में गंगाजल भरने के लिए कांच की शीशी तैयार करते है। जिसमें कावंडिए जल भरकर ले जाते है। जब हमने गांव में कांच की शीशी बनाने वाले लोगों से वार्तालाप किया तो उन्होंने बताया कि उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी तीन सौ वर्षो से कांच की शीशी बनाने का काम कर रहे है।भूमिहीन लोग हैं, सरकार भी कोई मदद नहीं करती। सबसे अधिक मुनाफा सोरों के दुकानदार करते हैं, उनसे ब्याज पर रूपये लेकर वह लकड़ी और सामान को खरीद कर अपना काम करते हैं।गंगा मैया की कृपा से हमें कांच की शीशी बनाने का आशीर्वाद मिला है। गंगा मैया की कृपा से हमारे परिवार का भरण पोषण होता है।



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Roshni Khan

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