×

कासगंज घटना की जांच NIA से कराने का आदेश देने से हाईकोर्ट ने किया इंकार

Rishi
Published on: 31 Jan 2018 1:56 PM GMT
कासगंज घटना की जांच NIA से कराने का आदेश देने से हाईकोर्ट ने किया इंकार
X

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने कासगंज में गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा यात्रा के दौरान भड़के दंगे की जांच एनआईए से कराने की मांग ठुकरा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने मृतकों के परिवारजनों को रूपये पचास लाख मुआवजा देने एवं मृतकों को शहीद का दर्जा देने के संबध में कोई आदेश देने से इंकार कर दिया।

यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने बीजेपी पार्षद दिलीप कुमार श्रीवास्तव एवं बीजेपी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नीरज शंकर सक्सेना एवं सामाजिक कार्यकर्ता ममता जिंदल की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। याचीओं की ओर से बहस करते हुए वकील हरि शंकर जैन का कहना था कि देश में तमाम पाकिस्तानी बांग्लादेशी एव म्यानमार के नागरिक गैरकानूनी तरीके से रह रहें है और ये लेाग देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। कासगंज का दंगा भड़काने का काम ऐसे ही देश विरोधी तत्वों ने किया है जिसकी जांच एनआईए से जरूरी है।

कासगंज दंगे में मारे गये दो युवाओं अभिषेक गुप्ता को पचास लाख रूपये मुआवजा देने की मांग भी की गयी थी। तर्क दिया गया कि प्रतापगढ़ में सीओ जियाउल हक के मरने पर राज्य सरकार ने उनके परिवार को पचास लाख रुपए मुआवजा व एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी थी तथा गौरक्षकों के हाथों जान गंवाने वाले अखलाक के परिवार को चालीस लाख का मुआवजा एक फ्लैट और सरकारी नौकरी दी गयी थी तो तिरंगा यात्रा के दौरान मरने वाले दोनों युवाओं के परिवारजनों को भी उसी के अनुरूप बिना किसी भेदभाव के मुआवजा एवं अन्य राहत मिलनी चाहिए। यह भी मांग की गई कि मृतको को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए।

राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि सरकार स्वयं मामलें में गंभीर है और आवश्यक कार्यवाही कर रही है। मुआवजा भी दिया गया है। अतः केस की जांच एनआईए से कराने का कोई औचित्य नहीं है।

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story