काशी में बढ़ा क्राइम का ग्राफ, बेबस बनी पुलिस

raghvendra
Published on: 10 Nov 2018 6:27 AM GMT
काशी में बढ़ा क्राइम का ग्राफ, बेबस बनी पुलिस
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आशुतोष सिंह

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में बनारस मॉडल को पूरे देश के सामने पेश करें। शहर के विकास के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकार दिन रात एक किए हुए है। चप्पे-चप्पे पर विकास की रोशनी पहुंचाने की कोशिश हो रही है। विकास कार्यों पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। कुल मिलाकर इस ऐतिहासिक शहर को नई शक्ल देने की कवायद चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अभियान में काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं। साढ़े चार के कार्यकाल के दौरान अधिकांश योजनाएं हकीकत की जमीं पर उतरने लगी हैं। खुद बनारस के लोग भी बदलाव की बयार को महसूस कर रहे हैं। लेकिन ये सिर्फ सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलू बेहद डरावना है। शहर की बिगड़ती कानून-व्यवस्था इस चमचमाती तस्वीर पर धब्बे की तरह है।

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विकास की रफ्तार जितनी तेज हुई है, उससे कहीं अधिक बदमाश बेलगाम हुए हैं। शहर में एक के बाद एक वारदातें हो रही हैं और पुलिस बेबस बनी हुई है। लंबे समय बाद माफिया गिरोह फिर से सिर उठाने लगे हैं और गैंगवार का भी खतरा बढऩे लगा है। आलम ये है कि शहर के हाईप्रोफाइल और बेहद स्कियोरिटी वाली जगहों पर भी खुलेआम हत्या की वारदात हो रही है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। सवाल इस बात का है कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर स्थानीय पुलिस प्रशासन बार-बार क्यों फेल हो रहा है? वीवीआईपी शहर होने के बाद बदमाश इतनी आसानी से कैसे वारदातों को अंजाम दे रहे हैं?

ताबड़तोड़ वारदातों से थर्राया बनारस

त्योहारों के सीजन में बनारस का मिजाज ही अलग होता है। पूरा शहर उत्साह और उमंग में डूबा रहता है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में प्रतिदिन एक से डेढ़ लाख देशी और विदेशी सैलानी यहां के घाटों और मंदिरों के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लिहाजा अन्य दिनों की तुलना में शहर में चौकसी अधिक रहती है। इसकी तैयारी सावन के पहले ही शुरू हो जाती है। बावजूद इसके लापरवाही देखने को मिल रही है। एक पखवारे के अंदर हत्या की आठ वारदात हो चुकी है और पुलिस बेबस बनी हुई है। सबसे बड़ी घटना पिछले दिनों शहर के वीवीआईपी इलाके कैंटोंमेंट क्षेत्र में हुई। यहां पर बने जीएचवी शॉपिंग मॉल में शाम के वक्त बदमाशों ने खुलेआम गोलियां तड़तड़ाईं।

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मामूली से विवाद को लेकर चार बदमाशों ने दो लोगों की हत्या कर दी जबकि दो लोग अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इस घटना के बाद पूरा शहर सन्न रह गया। साथ ही इस घटना ने कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। दरअसल जिस जगह ये वारदात हुई, वहां से चंद कदमों की दूरी पर एडीजी का दफ्तर है। इसके अलावा 100 मीटर की दूरी पर जिलाधिकारी और एसएसपी सहित तमाम आला अफसरों के बंगले हैं। इस इलाके में कई बड़े होटल हैं, जिनमें विदेशी सैलानी ठहरते हैं। सेना के अफसर भी चंद कदमों की दूरी पर रहते हैं। बावजूद इसके बदमाश इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हो जाते हैं। सवाल मॉल प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी उठ रहे हैं। फिलहाल इस घटना में पुलिस ने एक बदमाश को गिरफ्तार किया है जबकि मुख्य आरोपी समेत तीन अब भी फरार हैं।

मनोज सिन्हा के रिश्तेदार की हत्या

वारदातों का सिलसिला यही खत्म नहीं होता है। एक हफ्ते पहले बेखौफ बदमाशों ने लहुराबीर जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में एक कैफे संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात उस वक्त की है जब कैफे संचालक अपनी दुकान में बैठा हुआ था। हैरानी इस बात की है कि गोली चलने की खबर किसी को नहीं लगी। कुछ देर बाद शोरगुल सुनकर लोग मौके पर पहुंचे तब तक काफी देर चुकी थी। मृतक केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का करीबी रिश्तेदार बताया जा रहा है। पुलिस अभी तक हत्यारों का पता नहीं लगा सकी है। इसी तरह खोजवां इलाके में बदमाशों ने दुकान से लौट रहे एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी।

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इस वारदात में भी पुलिस खाली हाथ हैं। एक नवंबर की रात बदमाशों ने कैंट थाना क्षेत्र के खजुरी इलाके में जमीन के विवाद में एक पान विक्रेता की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी आराम से फरार हो गए। पुलिस इस घटना का भी पर्दाफाश करने में नाकाम रही हैं। वारदातों से साफ है कि अपराधियों के अंदर पुलिस का खौफ खत्म हो गया है। ये हाल तब है जब राज्य सरकार एक के बाद एक मुठभेड़ में बदमाशों को ढेर कर रही है।

फिर से सिर उठाने लगे माफिया

वाराणसी का माफियाराज से गहरा संबंध रहा है। पूर्वांचल के अधिकांश बदमाश बनारस से ही अपना गिरोह चलाते हैं। यहां की मंडियां इन बदमाशों के लिए उपजाऊ रही हैं। इन मंडियों से माफिया हर महीने लाखों रुपए रंगदारी वसूलते रहे हैं। विशेश्वरगंज, लोहा मंडी, सप्तसागर दवा मंडी में रंगदारी को लेकर कई बार गोलियां चल चुकी हैं। इसके अलावा डॉक्टरों से भी रंगदारी मांगना आम बात है। दरअसल अभी तक वाराणसी और आसपास के जिलों में मुन्ना बजरंगी, बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग हावी रहा है, लेकिन समय के साथ ये तीनों गैंग बदल गए।

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उसका गैंग बिखरने के कगार पर पहुंच चुका है तो दूसरी ओर बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के राजनीतिक चोला ओढऩे के बाद समीकरण बदल गए हैं। अब इन गिरोहों के बदमाश खुलकर सामने नहीं आते बल्कि छुटभैये अपराधियों को शरण देते हैं। वारदातों को अंजाम देने के लिए इन छुटभैया अपराधियों को मोहरा बनाया जाता है। इसमें अधिकांश कम उम्र और कॉलेज के छात्र होते हैं। पैसे से लेकर हथियार की फंडिंग, ये सबकुछ माफिया गिरोह समय-समय पर करते रहते हैं।

प्रवासी भारतीय सम्मेलन को लेकर चिंता

सरकार की सबसे बड़ी चिंता जनवरी में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन को लेकर है। इस मौके पर पूरी दुनिया के हजारों प्रवासी बनारस पहुंचेंगे। यहां की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से वाकिफ होंगे। बनारस की मस्ती को नजदीक से देखेंगे। इसके लिए शहर में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। खुद सीएम योगी दो बार समीक्षा कर चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर भी इस सम्मेलन से जुड़ी हर गतिविधि पर है। उनकी कोशिश है कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पहुंचने वाले मेहमानों को के सामने बनारस की एक नई छवि पेश की जाए।

बदलते बनारस की तस्वीर दिखाई जाए जिसमें प्राचीनता के साथ आधुनिकता का समावेश हो। लेकिन जिस तरीके से शहर में अपराध ग्राफ बढ़ा है उसने सरकार की नींद उड़ा दी है। बेखौफ बदमाश मॉल सरीखे हाई स्कियोरिटी वाली जगह पर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। सवाल इस बात का है कि अगर यही हालात रहे तो प्रवासी भारतीय सम्मलेन में सरकार क्या मुंह दिखाएगी। जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र महफूल नहीं तो देश के दूसरे हिस्सों के बारे में क्या कहा जाए। पिछले दौर पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ भी कानून व्यवस्था को लेकर चिंता जता चुके हैं। उन्होंने समीक्षा बैठक के दौरान पुलिस अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी।

आपराधिक घटनाओं से दहशत में व्यापारी

शहर में तेजी से बढ़ रहे क्राइम से व्यापारी दहशत में आ गए हैं। शॉपिंग मॉल में हुई ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद व्यापारियों ने बैठक की। इस दौरान व्यापारियों ने जिला प्रशासन को अल्टीमेटम देते हुए सुरक्षा की मांग की। व्यापारियों के मुताबिक अब तो बदमाश मॉल जैसी सुरक्षित जगहों पर भी फायरिंग कर रहे हैं। नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव सिंह बिल्लू के मुताबिक जेएचवी मॉल में जिस तरीके से वारदात को अंजाम दिया गया, उससे साबित होता है कि अपराधियों के हौसले किस तरीके से बुलंद हैं।

पूर्वांचल के बड़े माफिया गिरोह से जुड़े हैं आरोपियों के तार

जेएचवी मॉल में हुई घटना को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी आलोक उपाध्याय आपराधिक किस्म का है। चंदौली के रहने वाले आलोक के तार पूर्वांचल के एक बड़े माफिया गिरोह से जुड़े हुए हैं। विद्यापीठ में पढ़ाई के दौरान उसके रसूख के आगे नरेंद्रदेव हॉस्टल के छात्र कांपते थे। उसकी ऊंची पहुंच और आपराधिक छवि के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन भी उसके ऊपर हाथ डालने से कतराता था। बताया जा रहा है कि मॉल में गोलीबारी के लिए उसने बिहार के दो दोस्तों को बुलाया था। ये दोनों भी शार्प शूटर हैं और बिहार में कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। पुलिस ने तीनों के ऊपर 25-25 हजार रुपए ईनाम रखा है। पुलिस ने आरोपी के पिता और भाई को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की है। बताया जा रहा है कि आरोपी आलोक राजनीतिक रूप से भी मजबूत है। चंदौली के कुछ बीजेपी नेता उसका बचाव कर रहे हैं।

हाल में हुईं घटनाएं

  • 29 सितंबर को रोहनियां के कचनार गांव में स्कूल पर सो रहे चौकीदारी सुभाष पटेल की हत्या।
  • 6 अक्टूबर को चोलापुर इलाके में बुजुर्ग शंकर की गोली मारकर हत्या।
  • 21 अक्टूबर को शिवपुर में दीपक पटेल की गोली मारकर हत्या।
  • 24 अक्टूबर को खोजवा निवासी राजू शर्मा पर फायरिंग कर जानलेवा हमला।
  • 25 अक्टूबर को भेलूपुर में वकील से 20 लाख रुपए की रंगदारी की डिमांड।
  • 25 अक्टूबर को जगतगंज में सतीश राय की गोली मारकर हत्या।
  • 31 अक्टूबर को जेएचवी मॉल में ताबड़तोड़ फायरिंग, 2 की मौत।
  • 1 नवंबर को कैंट इलाके के खजुरी में गोली मारकर हत्या।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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