वाराणसी ने जोरदार आतिथ्य से प्रवासियों का दिल जीता

raghvendra
Published on: 25 Jan 2019 9:15 AM GMT
वाराणसी ने जोरदार आतिथ्य से प्रवासियों का दिल जीता
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आशुतोष सिंह

वाराणसी: काशी में आयोजित 15वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन अपनी गहरी छाप छोड़ गया है। दुनिया के कोने-कोने से लोग वाराणसी पहुंचे और अपनी माटी, अपने लोगों के बीच आकर निहाल हो उठे। आर्थिक, राजनीतिक सहित कई मसलों पर गुफ्तगू हुई। कार्यक्रम के जरिए वैश्विक संदेश देने की कोशिश हुई, जिसमें भारत के विश्वगुरु बनने की क्षमताओं को बल मिला। प्रवासियों के चेहरे खिले दिखे। मोदी सरकार के लिए ये सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि मेगा इंवेट था जिसकी ब्रांडिग और तैयारी पिछले आठ महीनों से हो रही थी। विदेश मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक काशी ने जोरदार आतिथ्य से प्रवासियों का दिल जीत लिया।

21 से 23 जनवरी तक चले प्रवासी भारतीय सम्मेलन के शाही जलसे पर लगभग 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मेहमानों के लिए फाइव स्टार सुविधाओं से युक्त टेंट सिटी बनायी गई थी। प्रवासियों के आवागमन के लिए मर्सिडीज, बीएमडब्लूय सरीखी लग्जरी गाडिय़ों का काफिला लगाया गया। रहने और खाने-पीने के इंतजाम के लिए विदेशी कंपनी को कॉन्ïट्रैक्ट दिया गया। सूत्रों के मुताबिक दुबई की एक कंपनी को लगभग 185 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया। सफाई और सडक़ों को दुरुस्त करने के लिए लगभग 85 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

पर्दे में रहे घाट

प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पहले दावा किया गया कि गंगा किनारे के सभी घाटों को दुरुस्त कर लिया गया है। घाटों की मरम्मत का कार्य पिछले दो सालों से चल रहा है। अलग-अलग फंड से लगभग 50 करोड़ जारी हो चुके हैं। इस दौरान अस्सी, दशाश्वमेध, मणिकर्णिका, राजेंद्र प्रसाद, रविदास घाट सहित कुछ चुनिंदा घाटों की तस्वीर जरूर बदली। यहां पर साफ-सफाई नजार आती है। अन्य घाटों पर नजारा वही है जो सालों से दिखता आ रहा है। भैंसासुर घाट से आगे बढऩे के साथ ही कई ऐसे घाट दिखे जहां पर गंदगी का अंबार लगा था। घाट टूटे-फूटे थे।

अधिकारियों ने घाटों पर गंदगी छुपाने के लिए हरे रंग की प्लास्टिक और जाली डाल दी ताकि नौका विहार या फिर घाट पर घूमने के दौरान प्रवासी भारतीयों की नजरों से इसे छुपाया जाए। हालांकि ये कोई पहला वाक्या नहीं है। इसके पहले जब फ्रांस के राष्ट्रपति वाराणसी आए थे तब भी जिला प्रशासन ने गंगा में गिरने वाले नालों के मुहाने पर बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगा दी थी। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए लगभग 85 करोड़ रुपए की लागत से सडक़ बनाने और मरम्मत का काम किया गया, वह भी चुनिंदा जगहों पर। जिन इलाकों से प्रवासियों को गुजरना था, वहां की सडक़ें बनाई गई। सडक़ के दोनों ओर दीवारों पर चित्रकारी की गई। डिवाइडर के बीचों-बीच आकर्षक हेरिटेज लाइटें लगाई गईं। अधिकांश जगहों पर सडक़ों की हालत पहले जैसी ही है।

प्रवासियों ने दिखाई निवेश में दिलचस्पी

विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बार रिकॉर्ड प्रवासियों (7228) ने रजिस्ट्रेशन कराया जो बंगलुरु और अहमदाबाद के सम्मेलनों की तुलना में दो गुना से भी ज्यादा है। सरकार की कोशिश रही कि देश की अच्छी छवि पेशकर निवेश का माहौल बनाया जाए। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान ऐसा होता दिखा। सम्मेलन के दौरान सरकार की स्टार्ट अप योजना में निवेश के बारे में कई प्रवासियों ने जानकारी ली। कई प्रवासियों ने सरकार के समक्ष अपने सुक्षाव रखे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासियों को अपना ब्रांड एंबेसडर बताया।

डिजिटल दुनिया में पीबीडी वायरल

पंद्रहवें प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन भले ही काशी में हुआ, लेकिन इसकी गूंज वैश्विक पटल पर डिजिटल तरीके से सुनाई दी। आयोजन पल-पल वायरल होता रहा। तीन दिनों तक सुबह से लेकर देर रात तक पीबीडी 2019. माईपीबीडीमूमेंट, प्रवासीटीएफसीभी हैश टैग होता रहा। आभासी दुनिया में आयोजन की भव्यता भी आयोजन में शामिल होने आए डेलीगेट्स के माध्यम से उनके देशों में भी चर्चा का विषय बनी रही। टीएफसी, गंगा घाट और सारनाथ की तस्वीरें वायरल होती रही।

इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा

प्रवासियों का भारत से रिश्ता और मजबूत हुआ है। नए भारत के निर्माण में प्रवासियों की अहम भूमिका और उनके लिए किए जा रहे कामों के जिक्र से दुनिया भर में नाम कमा रहे भारतवंशियों का नाता भी जुड़ा। अलग-अलग सात प्लेनरी सेशन के जरिए उन्हें देश में हो रहे बदलाव से रूबरू कराया गया तो उनके विचारों को भी आत्मसात किया गया।

काशी आतिथ्य के जरिए भी प्रवासियों के बीच नई छवि बनाने की कोशिश हुई। तीन दिवसीय भव्य आयोजन के जरिये दुनिया भर से आए मेहमानों को भारत की नई तस्वीर दिखाई गई। सौर ऊर्जा, भारत में अवसर और चुनौतियां, वेस्ट मैनेजमेंट, कृत्रिम अभिसूचना, सायबर क्षमता में वृद्धि सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रवासियों से विचार-विमर्श किया गया। इसके जरिए यहां के प्रयासों और दुनिया में किए जा रहे कामों को समझा गया।

ओडीओपी सहित अन्य प्रदर्शनियों के जरिए उत्तर प्रदेश की छवि तेजी से विकसित होने वाले प्रदेश के रूप में बनाने का प्रयास किया गया।

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजनों का दूरगामी परिणाम मिलता है। इस बार का आयोजन भव्य होने से प्रवासियों का रुख भारत की ओर बढ़ेगा। काशी आतिथ्य से न सिर्फ प्रवासियों से दिल का रिश्ता बना है, बल्कि वह यहां आने के लिए विदेशों में बसे लोगों को प्रेरित भी करेगा। ऐसे में यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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