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Varanasi News: काशी तमिल संगमम सांस्कृतिक संध्याः ''छाप तिलक सब छीनी'' पर झूमे श्रोता

Kashi Tamil Sangam: उन्होंने अपने वक्तव्य में काशी एवं तमिलनाडु के प्राचीनकाल से स्थापित सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 3 Dec 2022 3:52 PM GMT
Kashi Tamil Sangam Cultural Evening Listeners rejoice on Chaap Tilak Sab Chheeni in Varanasi
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Kashi Tamil Sangam Cultural Evening Listeners rejoice on Chaap Tilak Sab Chheeni in Varanasi (BHU)

Kashi Tamil Samagam: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित काशी तमिल संगमम के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की सुर लहरियां निरंतर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। शनिवार के सांस्कृतिक कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं भाजपा नेता के. अन्नामलाई थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में काशी एवं तमिलनाडु के प्राचीनकाल से स्थापित सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया की किस प्रकार तमिलनाडु के तेरहवीं सदी के शासक पराक्रम पंड्यन द्वारा तेनकाशी में शिव मन्दिर की स्थापना की गई थी। इस मन्दिर के लिए शिवलिंग को काशी से ले जाया गया था, जहाँ भगवान शिव की काशी विश्वनाथर और माँ पार्वती की उलागमनान के रूप में उपासना की जाती है।

उन्होंने 'एक देश, एक सभ्यता, एक संस्कृति' की बात को सामने रखा कि कैसे काशी तमिल संगमम ने भारत की विविध संस्कृतियों और कलाओं को एक साथ सामने लाने का कार्य किया है।

विभिन्न राज्यों की प्रस्तुत की गई लोकनृत्य कलाएं

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में सर्वप्रथम वसंत कन्या महाविद्यालय के सहायक आचार्य हनुमान प्रसाद गुप्ता द्वारा तुलसीदास कृत गणेश वंदना 'गाइए गणपति जगबंदन' एवं प्रसिद्ध बनारसी पारंपरिक दादरा - 'नजरिया लग जायेगी मेरे कान्हा को कोई मत देखो' की शानदार प्रस्तुति की गई।


इसके पश्चात् अविनाश कुमार मिश्र एवं उनके समूह ने भजन 'मैं गोविंद गुण गाना' एवं सूफी गीत 'छाप तिलक सब छीनी' प्रस्तुत किया। इस शानदार प्रस्तुति से दर्शक झूम उठे।

इसके बाद 'डॉ. खिलेश्वरी पटेल एंड ग्रुप' के निर्देशन में मंच कला संकाय, बीएचयू, के छात्र-छात्राओं द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत किये गए, जिसमें केरल, हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान के लोकनृत्यों की प्रस्तुति की गई।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में श्री उमेश भाटिया के निर्देशन में नाटक 'पूर्वांचल के नायक' की प्रस्तुति हुई। इसमें स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हुए कलाकारों ने सुंदर भावाभिव्यक्ति दी। इसमें मुख्य रूप से काकोरी काण्ड की महत्ता को दर्शाया गया।

भीष्म पितामह के जीवन प्रस्तुत की गई कथाएं

तत्पश्चात तमिलनाडु एवं केरल की प्रसिद्ध लोक गायन शैली विल्लूपट्ट की प्रस्तुति कलाईमामणि श्रीमती ए. वेलकणी एवं समूह द्वारा की गई। यह एक प्राचीन गायन शैली है जिसमें कथाएं कही जाती हैं। आज की प्रस्तुति में उन्होंने महाभारत के पात्र भीष्म पितामह के जीवन के प्रसंग पेश किये।


कलाईमामणि एन. सथियाराज व समूह ने यह ऐतिहासिक एवं पौराणिक नाटिका की प्रस्तुति दी। आज की प्रस्तुति महाभारत के सुप्रसिद्ध किरदार कर्ण के जीवन पर आधारित रही, जिसमें कर्ण के जीवन के खास प्रसंगों का वर्णन किया गया।

भारतनाट्यम की प्रस्तुति कलाईमामणि बिनेश महादेवन द्वारा दी गई। अंतिम प्रस्तुति थेरुकोथू कप्पूसामी तथा समूह द्वारा लोक नाटक के रूप में दी गई। यह तमिल लोगों द्वारा नुक्कड़ नाटक के रूप में खेला जाता है। आज के नाटक व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर नैतिक दृढ़ता का पालन करने का सामाजिक संदेश दिया गया।

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