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काशी विश्वनाथ मंदिर, मस्जिद विवाद की सुनवाई हाईकोर्ट में 10 मई को
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याची का कहना है कि 1942 में ही मामला सिविल कोर्ट वाराणसी से निर्णीत हो चुका है, 19 सितम्बर 1991 में पूजा अधिकार कानून आने के बाद मंदिर ट्रस्ट व अन्य ने वाद दायर किया। सिविल जज वाराणसी ने वक्फ बोर्ड की वाद में पक्षकार बनाने की अर्जी निरस्त कर दी।और वाद विन्दु तय किये। आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी में राहत न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। याचिका में स्वयं भू भगवान विश्वेश्वर नाथ मूर्ति ,सोमनाथ व्यास,राम रंग शर्मा,हरिहर पांडेय व अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी( वक्फ मस्जिद शाही आलमगीरी) को पक्षकार बनाया गया है।
मंदिर की तरफ से दाखिल मूल वाद में मस्जिद हटा कर मंदिर को कब्जा सौपने की मांग की गयी है।सिविल कोर्ट के आदेश पर हाई कोर्ट से रोक लगी है। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि एक बीघा,9 बिस्वा,6 धुर जमीन पर विश्वेश्वरनाथ मंदिर,गंगेश्वर,गंगादेवी,हनुमान जी,नन्दी जी,गौरी शंकर, गणेश ,महाकालेश्वर,महेश्वर,श्रृंगार गौरी आदि कई मंदिर है।ज्ञानवापी कूप भी है।
2050 साल पहले महाराज विक्रमादित्य ने मंदिर बनवाया था। नारायण भट्ट पुजारी ने अकबर सम्राट के मंत्री राजा टोडरमल के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। 1664 में औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया ।मंदिर तोड़कर मलबे से मस्जिद का रूप दिया गयाहै। इसके बाद 1820 में महारानी गज्जी बाई ने मंदिर मुक्ति मंडप बनवाया। पुराने मंदिर में चारो तरफ चार मंडप थे।जिन्हें तोड़ डाला गया।
मस्जिद के हिस्से पर वक्फ का कब्जा है और आसपास व मस्जिद के नीचे की जमीन मंदिर ट्रस्ट के कब्जे में है।अवैध कब्जे को हटाने की मांग में सिविल कोर्ट में मुकदमा कायम है। हाई कोर्ट के स्थगनादेश के कारण सुनवाई रुकी है।हाई कोर्ट 10 मई को सुनवाई करेगा।