TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

धूप खिली तो कंगारू की तरह उछले , 20 मिनट तक अठखेलियां करते रहे चीतल

Rishi
Published on: 28 Nov 2017 3:56 PM IST
धूप खिली तो कंगारू की तरह उछले , 20 मिनट तक अठखेलियां करते रहे चीतल
X

बहराइच : कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में धूप निकलने के बाद वन्यजीव अठखेलियां करते दिख रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बाद सूरज के चमकने पर चीतल कतर्नियाघाट रेंज में कंगारुओं की तरह दो पैर पर अठखेलियां करते दिखाई पड़े। जंगल का भ्रमण करने पहुंचे फ्रेंड्स क्लब के सदस्यों ने इस दुर्लभ क्षण को कैमरे में कैद किया। वन्यजीवों की अठखेलियों से वन विभाग के अधिकारी गदगद हैं।

कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र सात रेंजों में बंटा हुआ है। 15 नवंबर को जंगल खुलने के बाद से पर्यटक निरंतर कतर्नियाघाट के बिहार पर पहुंच रहे हैं। पर्यटकों के आगमन से थारूहट और वन विश्राम की बुकिंग फुल चल रही है। लेकिन इस बार पर्यटक काफी रोमांचित हो रहे हैं।

फ्रेंड्स क्लब के अध्यक्ष भगवानदास लखमानी की अगुवाई में क्लब के पदाधिकारी व सदस्य जंगल के भ्रमण पर पहुंचे। अध्यक्ष लखमानी ने बताया कि कतर्नियाघाट रेंज में गेरुआ नदी के किनारे स्थित तटबंध से उतरकर जब टीम अपने विशेष वाहन से घने जंगल में सीमेंट टॉवर की ओर बढ़ी तो टॉवर के निकट स्थित मजार के सामने झाड़ियों से निकलकर चीतलों का झुंड धूप सेंकता दिखा। इस दौरान दो चीतल कंगारुओं की तर्ज पर दो पैर पर खड़े होकर अठखेलियां करने लगे। जिसे क्लब के सदस्यों ने कैमरे में भी कैद किया। कतर्नियाघाट सेंक्चुरी के प्रभागीय वनाधिकारी जीपी सिंह ने बताया कि जो चित्र कैमरे में कैद हुआ है। वह काफी दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि चीतलों की अठखेलियों से लग रहा है कि जंगल में दुर्लभ वन्यजीवों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है।

जानिए कतर्निया घाट को

तराई क्षेत्र में होने के कारण यहां के जंगल में साल और ढाक के पेड़, लम्बी लहलहाती घास, दलदल और तालाब-पोखरे बहुतायत में पाए जाते हैं। यहां कई प्रकार के ऐसे वन्य जीव रहते हैं जो अन्य जंगलों में या तो विलुप्त हो गए हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। यह उन कुछ क्षेत्रों में है जहां अभी भी प्राकृतिक वातावरण बरकरार है। आरक्षित वन क्षेत्र (रिज़र्व फारेस्ट) के भीतर कोई भी होटल या रिसोर्ट बनाने की इजाजत नहीं है जिसकी वजह से यहां प्राकृतिक शांति बनी रहती है। जंगल के अन्दर यातायात या गाड़ियों का आवागमन भी बहुत कम है। जंगल के भीतर रहने वालों में अधिकांश यहां के मूल निवासी जनजातियों के लोग हैं।

यहां का जंगल काफी हद तक अनछुआ है और यहां शहरीकरण या विकास की आहट नहीं सुनाई पड़ती है। यह उन यात्रियों के लिए सबसे अच्छी जगह है जो शोर शराबे से दूर एक शांत छुट्टी बिताने प्रकृति की गोद में जाना चाहते हैं। घने जंगलों, पक्षियों, वन्यजीवों और अन्य वन्यप्राणियों के बीच समय बिताने के लिए यह उत्तम स्थान है।

यहां जंगल के बीच गिरवा नदी बहती है जिसका उद्गम नेपाल में है। इस नदी को घड़ियाल और मगरमच्छ के लिए शरण स्थल घोषित किया गया है। यहां दुर्लभ प्रजाति के कछुए, ताजे पानी में पाई जाने वाली मछलियां और अन्य कई प्रकार के जलीय प्राणी भी देखे जा सकते हैं। नदी के दोनों ओर लगे पेड़, प्राकृतिक तौर पर बनी पेड़ों की छांव और दूर तक फैले घने हरे पेड़ों के जंगल मन को शांति पहुँचाते हैं। इन दृश्यों के बीच नदी पर मोटर बोट से सैर करने का अपना अलग ही आनंद है।

गिरवा नदी देश की उन नदियों में से है जिनमे, ताजे पानी में पाई जाने वाली डॉल्फिन रहती हैं। इन गंगेटिक डॉल्फिन का यह प्राकृतिक निवास है और नदी में उछलती-कूदती डॉल्फिन को देखने में एक अलग रोमांच की अनुभूति होती है।

कतर्निया घाट की कुछ प्रमुख बातें-

  • बहराइच जिले में लखनऊ से 200 किमी दूर यह जंगल के बीच स्थित में है।
  • यह घाट नेपाल में बरदिया राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से जुड़ा हुआ है।
  • गिरवा और कोर्डिया नदी जो बाद में मिलकर घाघरा नदी बनती है।
  • गिरवा नदी के ताजे पानी में डॉल्फिन पाई जाती हैं।
  • बाघ, तेंदुआ, हिरण और चिकारा के अलावा कई वन्य जीव यहां रहते हैं।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story