मुंशी प्रेमचंद समता, समानता और समरसता के अद्वितीय हस्ताक्षरः विंध्यवासनी कुमार

शुक्रवार को हिन्दी संस्थान में स्थित मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विंध्यवासनी कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जिन समस्याओं और कुप्रथाओं की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया, वह आज भी किसी न किसी रूप में विराजमान हैं।

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Published on: 31 July 2020 12:24 PM GMT
मुंशी प्रेमचंद समता, समानता और समरसता के अद्वितीय हस्ताक्षरः विंध्यवासनी कुमार
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लखनऊ। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयन्ती पर पूर्व विधानपरिषद सदस्य विंध्यवासनी कुमार और उनके साथियों ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें स्मरण किया।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधानपरिषद सदस्य विंध्यवासनी कुमार ने कहा है कि मुंशी प्रेमचंद साहित्य की दुनियाँ में समता, समानता और समरसता के अद्वितीय हस्ताक्षर हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में सदैव समाज के अंतिम आदमी के हित की बात उठाई है। उनके इस अविस्मरणीय योगदान को दरकिनार कर परिवर्तन की बात सोची भी नहीं जा सकती है।

शुक्रवार को हिन्दी संस्थान में स्थित मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विंध्यवासनी कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जिन समस्याओं और कुप्रथाओं की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया, वह आज भी किसी न किसी रूप में विराजमान हैं।

उन्होंने कहा कि समाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इसे चुनौती के रूप में लेना चाहिए। इन कुरूतियों और समस्याओं के निदान का प्रयास ही मुंशी प्रेमचंद को वास्तविक श्रद्धान्जलि होगा।

हिन्दी को पाला पोसा

विंध्यवासनी कुमार ने कहा कि 'प्रेमचंद' ने हिन्दी को पाला-पोसा,बड़ा किया और उसे एक संस्कार दिया। प्रेमचंद ने कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने एक पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया।

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उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की लेखनी में तो आकर्षक तत्व हैं हीं लेकिन उन रचनाओं के किरदार भी कम अपनी तरफ नहीं खींचते हैं और हमें उस हकीकत के सामने लाकर खड़ा कर देते हैं जो हूबहू उनकी कहानियों की तरह हमारे भी दैनिक जीवन से होकर गुजरती हैं।

इस अवसर पर ऐडो. विश्वेष कुमार , वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश चंद्र सिन्हा ,लोकतंत्र सेनानी धीरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव ,जयति श्रीवास्तव ,शुभम अनेक गणमान्य लोगो ने मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया और कहा कि भारत को सशक्त और समृद्ध भारत बनाना है तो समाज के अंतिम आदमी को सशक्त और समृद्ध बनाना होगा।

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