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Keshav Prasad Maurya Seat: जानिए सिराथू विधानसभा सीट का इतिहास, जहां उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लड़ेंगे चुनाव
Keshav Prasad Maurya Seat: उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को उनके गृह जनपद कौशांबी की सिराथू विधानसभा से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। आज बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उस पर मुहर लगा दी है कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य सिराथू से ही मैदान में उतरेंगे।
Keshav Prasad Maurya Seat: उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) को उनके गृह जनपद कौशांबी (District Kaushambi) की सिराथू विधानसभा (Sirathu Assembly) से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। आज बीजेपी (BJP) शीर्ष नेतृत्व ने उस पर मुहर लगा दी है कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) सिराथू (Sirathu Assembly) से ही मैदान में उतरेंगे। सिराथू विधानसभा (Sirathu Assembly) से केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) 2017 में चुनाव जीत चुके हैं। अभी वह एमएलसी हैं और सूबे के उपमुख्यमंत्री हैं। 2014 में फूलपुर से सांसद बने केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) एक बार फिर से रण में उतरने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। आज जारी हुई 107 उम्मीदवारों की लिस्ट में सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) को गोरखपुर शहर और केशव को सिराथू सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है। चलिए आपको बताते हैं सिराथू विधानसभा सीट (Sirathu Assembly Seat) का क्या है समीकरण?
सिराथू विधानसभा (Sirathu Assembly Seat)
कौशाम्बी (District Kaushambi) जिले में विधानसभा की 3 सीटें सिराथू, मंझनपुर और चायल आती है। 2017 में बीजेपी ने बीजेपी की लहर में यहां तीनों सीटें भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हासिल हुई थी इससे पहले 2012 के चुनाव में बीजेपी ने एक सीट पर से निवारी की थी और केशव मौर्या (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) सिराथू (Sirathu Assembly) से विधायक बने थे, जबकि 2 सीटें बसपा के पाले में गई थी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भी बीजेपी की झोली में है विनोद सोनकर अभी यहां से सांसद है 2017 में सपा की लहर के बावजूद यहां एक भी सीट उन्हें हासिल नहीं हुई थी, लेकिन इस चुनाव में अब समीकरण बदल चुके हैं इंद्रजीत सरोज अब पाला बदलकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ आ गए हैं और डिप्टी सीएम केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) भी अब सिराथू (Sirathu Assembly से अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं तो इस लिहाज से कौशांबी (District Kaushambi) की सिराथू सीट (Sirathu Assembly) पर लड़ाई दिलचस्प होनी तय है। हम आपको पिछले 4 विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि किस पार्टी का यहां पर दबदबा रहा है।
2017
बीजेपी (BJP) ने शीतला प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने सपा के वाचस्पति को करीब 26,000 वोटों से हराया था। शीतला प्रसाद को 40.07 प्रतिशत जबकि सपा के वाचस्पति को 26. 72 फ़ीसदी वोट हासिल हुए थे।
2012
2012 के विधानसभा चुनाव (2012 assembly elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) को सिराथू से अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्हें 57,926 मत हासिल हुए थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) के आनंद मोहन को करीब 48,063 वोट मिला। केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) करीब 9000 वोटों से जीत हासिल किए थे। केशव को 30 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि आनंद मोहन 25 फीसदी वोट मिला था।
2007
2007 में इस सीट से वाचस्पति बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) के विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने मतेशचंद सोनकर को हराया था। वाचस्पति को 48,997, 46% जबकि मतेशचंद सोनकर को 26,999, 26% वोट हासिल हुए थे।
2002
2002 के चुनाव में मतेशचंद सोनकर यहां से बसपा के प्रत्याशी थे और वह चुनाव जीते थे। उन्होंने सपा के शैलेंद्र कुमार को हराया था। मतेशचंद सोनकर को 33464, 28 फीसदी और शैलेंद्र कुमार को 29655, 25 फ़ीसदी वोट हासिल हुए थे।
केशव प्रसाद मौर्य का सियासी सफर
केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने अपने सियासी जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल से की थी। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। वह भाजपा के करीब 18 साल तक प्रचारक रहे। साथी राम जन्मभूमि और हिंदू हित के लिए अनेकों आंदोलन किया। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें फूलपुर से प्रत्याशी बनाया। उन्होंने 3,08,308 वोट पाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। हालांकि उन पर कई मामले भी दर्ज हैं। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के बाद 2017 में बीजेपी की सरकार बनने पर 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट (Allahabad West assembly seat) से 2002 में की थी। उस वक्त माफिया अतीक अहमद के खिलाफ वह मैदान में उतरे थे। 7,000 वोट पाकर वह चौथे स्थान पर थे। इसके बाद भाजपा ने 2007 में उन्हें विधानसभा के चुनाव उतारा और फिर चुनाव हार गए। 2012 में वह अपने गृह जनपद कौशाम्बी (District Kaushambi) की सिराथू विधानसभा सीट (Sirathu Assembly Seat) से लड़े और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उस वक्त इलाहाबाद मंडल (Allahabad Division) के चारों जिलों इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर से वह बीजेपी के इकलौते विधायक चुनकर साल 2012 में विधानसभा पहुंचे थे।
वर्ष 2013 में इलाहाबाद के केपी कॉलेज (KP College of Allahabad) में ईसाई धर्म प्रचारक के आगमन के विरोध में आवाज उठाने के बाद पूरे प्रदेश में उनकी चर्चा होने लगी। जिसके बाद मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें फूलपुर लोकसभा सीट (Phulpur Lok Sabha seat) से उम्मीदवार बनाया और 3,00,000 से अधिक वोटों से जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने पूर्व सांसद धर्मराज पटेल (Former MP Dharamraj Patel) को हराया था। साल 2016 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उनके ही नेतृत्व में बीजेपी ने साल 2017 के चुनाव में ऐतिहासिक दर्द की थी। वह मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा गया।
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