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Lok Sabah Election 2024: कौशाम्बी (एससी) लोकसभा, भाजपा के सामने हैट-ट्रिक की चुनौती
Lok Sabah Election 2024: यह जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु की जन्मस्थली है। महाभारत और रामायण के दौर में भी इस शहर का जिक्र मिलता है
Lok Sabha Election 2024: महात्मा बुद्ध की धरती के रूप में कौशांबी जिला जाना जाता है। कौशांबी प्रचीन वत्सदेश की राजधानी रहा है। 250 ईसा पूर्व कौशांबी के घोषिता राम विहार में भगवान बुद्ध चतुर्मास रहने आए थे। यह जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु की जन्मस्थली है। महाभारत और रामायण के दौर में भी इस शहर का जिक्र मिलता है। माना जाता है कि शहर की नींव रखने का श्रेय राजा उपारिका वसु के तीसरे पुत्र कुसंबा को मिलता है। कुसा के पुत्र कुसंबा को इस शहर का निर्माता बताया गया है। वहीं परमत्थाज्योतिका कहता है कि कौशांबी का नाम ऋषि कोसम्बा के नाम पर पड़ा।वर्तमान कौशांबी जिला 4 अप्रैल, 1997 को इलाहाबाद जिले से काटकर बनाया गया था। यह जिला उत्तर में प्रतापगढ़, पश्चिम में फतेहपुर, दक्षिण में चित्रकूट और पूर्व में प्रयागराज जिले से घिरा हुआ है।
विधानसभा क्षेत्र
- कौशांबी लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं - प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज, कौशांबी जिले की मंझनपुर, चायल और सिराथू। इनमें से बाबागंज और मंझनपुर की विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
जातीय समीकरण
- कौशांबी की आबादी 16 लाख से ज्यादा है। यहाँ 85 प्रतिशत आबादी हिंन्दुओं की और 13 प्रतिशत संख्या मुस्लिमों की है। दलित बाहुल्य सीट कौशांबी में पासी, चमार, धोबी और सोनकर बिरादरी की अधिकता है। ब्राहमण और अति पिछडों का गठजोड चुनावी परिणाम को प्रभावित करता रहा है। यहां 46 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 36 फीसदी पिछड़ा वर्ग, करीब 13 फीसदी मुस्लिम और सात प्रतिशत सामान्य जाति के लोग हैं।
राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव
- कौशाम्बी और प्रतापगढ़ जिलों में फैला यह निर्वाचन क्षेत्र 2002 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आया।
- कौशाम्बी सीट 2014 के पहले चायल के नाम से जानी जाती थी। चायल से कांग्रेस के मसुरिया दीन चार बार सांसद बने। समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार को तीन बार चायल का सांसद बनने का मौक़ा मिला।
- कौशांबी पहले फूलपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। यहां से 1952 और 1957 में कांग्रेस से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन लोकसभा पहुंचे थे।
- कौशाम्बी सीट ने अभी तक सिर्फ तीन लोकसभा चुनाव देखें हैं। जिसमें 2009 में समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार विजयी रहे। इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा के विनोद कुमार सोनकर को जीत हासिल हुई।
- फिलहाल यहां से भाजपा के विनोद कुमार सोनकर सांसद हैं। लेकिन इस क्षेत्र पर रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया का काफी राजनीतिक दखल है।
इस बार के उम्मीदवार
- इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कौशांबी से विनोद सोनकर को प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद इन्द्रजीत सरोज के पुत्र पुष्पेन्द्र सरोज को उतारा है जबकि बसपा ने पूर्व पुलिस अधिकारी शुभनारायण गौतम को टिकट दिया है।
स्थानीय मुद्दे
- कौशाम्बी देश के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल है। उद्योग धंधों की कमी, किसानों की दिक्कतें, शिक्षा, रोजगार, पेयजल संकट जैसी बुनियादी समस्याएं बनीं हुईं है।