काशी का कौटिल्य है कैथी का अक्षत, मात्र 19 घंटे में किए पांच दर्शन कंठस्थ

वाराणसी जिले में गंगा गोमती संगम तट पर स्थित कैथी ग्राम का महत्व श्री मार्कंडेय महादेव तीर्थ स्थल होने के कारण अत्यधिक है, इसके साथ ही हाल ही में एक अत्यंत प्रतिभाशाली बच्चे द्वारा विश्व कीर्तमान बनाने के कारण गांव का महत्व और बढ़ रहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 15 Jun 2020 6:32 PM GMT
काशी का कौटिल्य है कैथी का अक्षत, मात्र 19 घंटे में किए पांच दर्शन कंठस्थ
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वाराणसी: वाराणसी जिले में गंगा गोमती संगम तट पर स्थित कैथी ग्राम का महत्व श्री मार्कंडेय महादेव तीर्थ स्थल होने के कारण अत्यधिक है, इसके साथ ही हाल ही में एक अत्यंत प्रतिभाशाली बच्चे द्वारा विश्व कीर्तमान बनाने के कारण गांव का महत्व और बढ़ रहा है। कैथी निवासी अक्षत पाण्डेय नाम के 11 वर्षीय बालक को श्रीमद भगवतगीता, 9 उपनिषद और पांच दर्शन पूरी तरह कंठस्थ है और अब वह वेद तथा अष्टाध्यायी (पण विकृत) याद करने में जुटा है। ग्रंथों को कंठस्थ करने के साथ ही अक्षत को योग और प्राणायाम में भी महारत हासिल हुयी है जिस प्रकार गणना के अद्भुत ज्ञान के लिए गूगल ब्वाय कौटिल्य की ख्याति है उसी प्रकार जल्द ही काशी के अक्षत की भी वेद अध्ययन के क्षेत्र में एक विशेष पहचान होगी।

पतंजलि गुरूकुलम हरिद्वार में कक्षा 6 का छात्र है अक्षत

अक्षत पाण्डेय वर्तमान में योगगुरु स्वामी रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि गुरूकुलम हरिद्वार में कक्षा 6 का छात्र है। उक्त संस्थान में उसका प्रवेश 25 मार्च 2019 को हुआ है। मात्र 14 माह के अध्ययन में अनेक ग्रंथों को आद्योपांत कंठस्थ कर लेने की अदम्य क्षमता के चलते अक्षत आज कुरुकुलम के सभी गुरुजनों का दुलारा बन गया है। स्वयं स्वामी रामदेव ने विगत सप्ताह एक चैनल में अपने कार्यक्रम के दौरान अक्षत को अपने बगल में बैठा कर उसकी इस प्रतिभा के बारे में बताया और कहा कि मात्र 19 घंटे में अक्षत ने पांच दर्शन कंठस्थ किये जो एक विश्व कीर्तिमान है।

पतंजलि गुरूकुलम में प्रवेश से पहले की फोटो

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कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद ही घर वापस लौट पायेगा अक्षत

अक्षत के माता पिता और कैथी ग्रामवासी अपने इस प्रतिभावान बच्चे की शानदार उपलब्धि से प्रफुल्लित हैं, पिता अरुण पाण्डेय राजन स्नातक हैं और कैथी गांव में ही जन सुविधा केंद्र का संचालन करते हैं और माता साधना पाण्डेय भी स्नातक हैं। अक्षत का बड़ा भाई देव मिहिर पाण्डेय लक्ष्मी शंकर इंटर कालेज राजवारी में दसवीं कक्षा का छात्र है। अक्षत के दादा चिंता हरण पाण्डेय सेना में थे जो अब अवकाश प्राप्त हैं। पूरा परिवार बहुत ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति का है जिसका असर बचपन से ही अक्षत पर पड़ा। एक बार भी पढ़ लेने पर प्रायः उसे पाठ्य सामग्री कंठस्थ हो जाती है इसकी क्षमता को देखते हुए माता पिता ने उसे अपने से दूर रख कर गुरूकुलम में शिक्षा के लिए भेजने का कठिन निर्णय लिया। पतंजलि गुरूकुलम के नियम के अनुसार प्रवेश के बाद छात्र कक्षा 8 उत्तीर्ण करने के बाद ही घर वापस लौट पायेगा। माता पिता वर्ष में एक बार गुरूकुलम जाकर बच्चे से मिल सकते हैं। 14 महीने की अवधि में अक्षत के माता पिता मात्र एक बार उससे मिले हैं। उसकी प्रगति और उपलब्धियों की सूचना नियमित मिलती रहती है।

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पतंजलि गुरूकुलम में अक्षत की दिनचर्या बहुत ही व्य्वास्थ्तित और अनुशासित है, योग ध्यान से लेकर भाषा, आध्यात्म और विगयान की पढ़ाई कराई जाती है। इस दौरान सभी गतिविधियों पर गुरुजनों की दृष्टि रहती है। बच्चों की बहुमुखी प्रतिभा को निखारने की हर संभव कोशिश की जाती है। प्रतिभाशाली बच्चों को स्वामी रामदेव जी विशेष रूप से प्रोत्साहित करते रहते हैं।

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