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Khushi Dubey Bikaru Kand: जेल से घर तक क्या हुआ? छूटने के बाद किस-किस से मिली ख़ुशी दूबे?

Khushi Dubey Bikaru Kand: 30 महीने से खुशी की जमानत के लिए कचहरी के चक्कर काट रही मां का दर्द बेटी को सीने से लगाते ही आंखों से बह निकला। खुशी अपनी बहन नेहा व पिता के भी गले मिली।

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Report Network
Published on: 22 Jan 2023 7:23 AM IST
Khushi Dubey Bikaru Kand
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Khushi Dubey (Pic: Social Media)

Khushi Dubey Bikaru Kand: खुशी की रिहाई के पहले ही जिला कारागार के बाहर मीडिया का जमावड़ा था। गहमा-गहमी के बीच निकल कर खुशी जैसे ही कार में बैठी मां के गले लगी उनका दर्द आखों से छलक कर बाहर आ गया। कुछ क्षणों में ही खुशी के चेहरे पर जेल से बाहर आने की खुशी नजर आई। खुशी की रिहाई होने की उम्मीद पर दोपहर से ही माती जिला कारागार में मीडिया के साथ सैकड़ों लोगों का जमावड़ा था। करीब 30 महीने से खुशी की जमानत के लिए कचहरी के चक्कर काट रही मां का दर्द बेटी को सीने से लगाते ही आंखों से बह निकला। खुशी अपनी बहन नेहा व पिता के भी गले मिली।

खुशी बोली- कोर्ट पर भरोसा

जेल से बाहर आते ही खुशी ने कहा कि वह पूरी तरह निर्दोष है। उसे गलत तरीके से फंसा कर जेल में डाला गया। उसको कोर्ट पर पूरा भरोसा था। आज कोर्ट से बेल मिलने पर रिहा हुई है, पूरा विश्वास है कि कोर्ट से ही वह बरी भी होगी।

मां बोलीं- हर देवी देवता को मनाया

जेल से बाहर आकर खुशी मां के करीब पहुंची तो उन्होंने कहाकि बेटी दोषी होती तब जेल चली जाती तो उन्हें दुख न होता, लेकिन उनकी निर्दोष बेटी जेल भेज दी गई। उन्होंने कहा कि बेटी की रिहाई के लिए कोई देवी देवता नहीं रहा जिसकी पूजा न की हो।

40 मिनट तक अटकी रहीं सांसें

जमानतगीरों के कोर्ट में उपस्थित होकर जमानत लेने की अंडर टेकिंग देने के बाद धाराओं का पेंच फंसा तो परिजनों की सांसें अटक गयीं। कुछ देर तक खुशी के अधिवक्ता के अलावा उसकी बहन और पिता को रिहाई की उम्मीद टूटती नजर आई। अधिवक्ता की लगातार 40 मिनट मशक्कत के बाद उसकी रिहाई हो सकी।

इस तरह रहा खुशी से जुड़ा घटनाक्रम

-29 जून 2020 को खुशी की शादी बिकरू विकास दुबे के भतीजे में अमर दुबे के साथ हुई।

-दो जुलाई 2020 को बिकरू में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी गयी।

-आठ जुलाई को खुशी के पति अमर दुबे को पुलिस ने हमीरपुर में एनकाउंटर में मार गिराया।

-आठ जुलाई को ही पुलिस ने खुशी दुबे को भी हत्याकांड में शामिल बता कर जेल भेज दिया।

-16 साल 10 माह की उम्र होने के कारण उसे बाद में बाराबंकी महिला सुधारगृह भेजा गया।

-18 साल की उम्र पूरी होने पर पांच जनवरी 2021 को खुशी को माती जेल में शिफ्ट किया गया।

-21 जनवरी 2023 को खुशी दुबे जमानत पर जेल से बाहर आई।

क्या बोली खुशी दूबे

शनिवार को रिहाई के बाद देर रात रतनपुर पनकी अपने घर पहुंची खुशी फुट फूट कर रो पड़ी। देहरी के पैर छूकर घर में प्रवेश किया। घर पहुंचते ही मां ने सीने से चिपका लिया। खुशी बोली, तीस महीने हो गए, ठीक से सोई नहीं हूं। आज मैं अपनी मां की गोद में सिर रखकर सोना चाहती हूं।

सबसे पहले उसने भाई के सात दिन के बच्चे को गोद लिया और चूमा। मां ने लड्डू खिलाकर मुंह मीठा किया। बड़ी बहन नेहा के बच्चे शगुन और वेद के साथ खुशी थोड़ी देर तक खेलती रही। बोली, तीस महीने बेगुनाही के बाद भी जेल में डाला गया। अब राहत की सांस ले रही हूं। उसने बताया कि चार दिन जेल के बाहर पुलिस ने रखा। उन जगहों को जानती तक नहीं। चार दिन अलग अलग ठिकानों में रही। उन चार दिनों में मेरे साथ जो हुआ, मैं बता नहीं सकती। भविष्य को लेकर खुशी ने कहा कि अपने वकील और घरवालों की सलाह लूंगी। आगे पढ़ाई करूंगी। एक सफल अधिवक्ता बनने का सपना है। बातों के बीच ही मां ने उसकी पसंदीदा मटर पनीर की सब्जी और रोटी खिलाई।

बिकरू कांड के बारे में पूछने पर खुशी ने कहा कि दो जुलाई की रात गोलियों और लोगों की आवाजें आ रही थीं। अमर मेरे साथ था। गोलियों की आवाज सुनकर बाहर चला गया। फिर कहा कि अपने परिवार को ठीक से जानती तक नहीं थी। लोगों को भी नहीं जानती थी। घर की दहलीज के बाहर कदम नहीं रखा था। रास्ते तो जानना दूर की बात है। विकास दुबे को लेकर कहा कि विकास को पहली और आखिरी बार शादी के दिन ही देखा था।



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Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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