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सावधान! कानपुर में दूसरा रामवृक्ष, कहीं फिर न हो जाए जवाहरबाग कांड

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Published on: 20 Dec 2016 11:36 AM GMT
सावधान! कानपुर में दूसरा रामवृक्ष, कहीं फिर न हो जाए जवाहरबाग कांड
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कानपुरः यमुना किनारे बसा लहरामाऊ गांव में जवाहरबाग जैसे हालात हो गए हैं। यहां का सरकार रामवृक्ष यादव नहीं किसान यूनियन का जिलाध्यक्ष निरंजन राजपूत है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सभा में उपद्रव करने वाले निरंजन की सुरक्षा में आठ गांवों के ग्रामीण दिन-रात लाठी-डंडे लेकर तैनात हैं। ग्रामीणों की इस भीड़ में महिलाएं भी हैं। रात में गांव की सुरक्षा ऐसी कि मथुरा का जवाहर बाग याद आ जाए।

सैकड़ों ग्रामीणों को हिरासत में लेने के लिए पुलिस और पीएसी तीन दिन से गांव में डेरा डाले है, लेकिन पुलिस और पीएसी की हिम्मत नहीं पड़ रही है कि वह गांव के अन्दर घुस सके। हजारों की संख्या में ग्रामीण लाठी,डंडे, छतों में ईट पत्थर,पेट्रोल बम और हथियारों से लैस हैं। ग्रामीण छतों में खाना पका रहे हैं और पुलिस पर दिन रात निगरानी रखे हुए हैं।

18 दिसंबर को कई जनपदों,हमीरपुर,फतेहपुर और सजेती थाने की पुलिस किसान यूनियन के लीडर को हिरासत में लेने के लिए गई थी, लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था जिसमें दर्जनों पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।

क्या है पूरा मामला

कानपुर के सजेती थाना क्षेत्र स्थित 1980 मेगावाट का पावर प्लांट लग रहा है। इस पावर प्लांट राज्य सरकार ने 828 हेक्टेयर किसानों किसानों की भूमि अधिग्रहण की थी। सरकार ने किसानो से वादा किया था कि इस भूमि के बदले नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाएगा। इसमे लहरूमाऊ, असवामाऊ,दरसुआ ,सिरसा ,बंगारिया ,सुधौल ,बंदपुर ,रामपुर गांव आते हैं।

प्रत्तेक गांव कि आबादी लगभग 8 सौ के करीब है। 20 अक्टूबर 2016 को केन्द्रीय उर्जा मंत्री पियूष गोयल,सांसद डॉ मुरली मनोहर जोशी ने शिलान्यास किया था और भूमि पूजन किया था। इन किसानों ने केन्द्रीय मंत्री उर्जा मंत्री कि जनसभा में भी जमकर हंगामा किया था और मुआवजे कि मांग कि थी।

सीएम अखिलेश की रैली में ​भी किया था हंगामा

एलआईयू ने अपनी रिपोर्ट में दिया था कि 19 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री की रैली में यह ग्रामीण हंगामा कर सकते हैं। 15 दिसंबर 2016 को हमीरपुर में मुख्यमंत्री की रैली में भी इन ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया था। हंगामे के बाद इन ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

मोदी की रैली के चलते सजेती ठाणे की फ़ोर्स,हमीरपुर व फतेहपुर की फ़ोर्स किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष और ग्रामीणों को हिरासत लिए पहुंची थी। जैसे ही पुलिस पहुंची तो ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया अपने बचाव में पुलिस ने भी पथराव किया। किसी तरह पुलिस अपनी जान बचाकर भागी। इस पथराव में एक दर्जन कर्मी घायल हो गए थे।

गांव के चारों तरफ पुलिस व पीएसी ने घेराबंदी कर दी है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है कि गांव के अंदर घुसकर उन्हें गिरफ्तार कर ले। वहीं ग्रामीण पुलिस से निपटने के लिए हाथों में लाठी डंडे लेकर घूम रहे हैं। ग्रामीणों ने छतों में ईंट पत्थर जमा कर लिए हैं। जिस धर्मशाला में किसान यूनियन के नेता जमा हैं वहां पर छतों में खाना पकाया जा रहा है। ग्रामीणों की हिफाजत के लिए पेट्रोल के केन व हथियार जमा कर लिए हैं।

सैकड़ों ग्रामीण ग्रामीण छतों पर इकठ्ठा है गांव को सड़क से जोड़ने वाले रास्तों पर बबूल की टहनियों को डाल दिया गया है। महिलाएं भी पीछे नहीं हैं वह लाठी डंडे लेकर पहरेदारी कर रही हैं। यह ग्रामीण रात में जागते रहो की बुलंद आवाज लगाकर पहरेदारी कर रहे हैं।

जिला प्रशासन ने खेतिहर भूमि का प्रति बीघा 4 लाख नौ हजार रूपए लगाया है और जो भूमि जंगल में उसका प्रति बीघा 4 लाख 30 हजार रूपए मुआवजा लगाया है। ग्रामीण रामदास के मुताबिक जब हमने अधिकारियों से मुआवजे के इस रेट का विरोध किया तो वह अपशब्द कहने लगे और धमकाने लगे। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र यमुना के किनारे बसा है और अति पिछड़ा इलाका है बुन्देलखंड से जुड़ा है। सभी ग्रामीण यहां पर खेती पर ही आश्रित हैं जब हमारे खेत ही छिन गए तो हमारे पास क्या बचा है। किसी के एक बीघा खेत है किसी के दो बीघा खेत है उनके चार बेटे हैं तो मुआवजे की रकम बट जाएगी उसमे बचेगा क्या।

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