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जानें क्यों आता है लीप ईयर, LEAP डे को जन्मे बच्चों को क्या कहते हैं...

हर 4 साल पर साल में 1 दिन बढ़ जाता है। जिसे लीप ईयर कहते हैं।  हर चौथे साल आता है। फरवरी जो आमतौर पर 28 दिन की होती है, उसमें लीप ईयर वाले साल में 29 दिन (29 days in February) होते हैं। जब ऐसा होता है, उस साल को लीप ईयर और इस दिन (29 फरवरी) को लीप डे कहते हैं।

suman
Published on: 29 Feb 2020 7:11 AM IST
जानें क्यों आता है लीप ईयर, LEAP डे को जन्मे बच्चों को क्या कहते हैं...
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जयपुर हर 4 साल पर साल में 1 दिन बढ़ जाता है। जिसे लीप ईयर कहते हैं। हर चौथे साल आता है। फरवरी जो आमतौर पर 28 दिन की होती है, उसमें लीप ईयर वाले साल में 29 दिन (29 days in February) होते हैं। जब ऐसा होता है, उस साल को लीप ईयर और इस दिन (29 फरवरी) को लीप डे कहते हैं। लीप ईयर को हिंदी में अधिवर्ष भी कहते हैं और इस साल में 365 की जगह 366 दिन होते हैं। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे होता है और फरवरी में ही एक दिन क्यों जोड़ा जाता है?

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दरअसल, पृथ्वी को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है। तो ये 6 घंटे चार साल में जुड़ कर 24 घंटे बन जाते हैं, जिससे 1 लीप डे बन जाता है। अगर हम इस अतिरिक्त दिन को हर चौथे साल में नहीं जोड़ेंगे, तो हर साल कैलेंडर से 6 घंटे हट जाएंगे और फिर हर 100 साल में कैलेंडर से 24 दिन ही गायब हो जाएंगे। इसीलिए हर चौथे साल फरवरी में एक दिन जोड़ दिया जाता है। फरवरी में ही इस अतिरिक्त दिन को जोड़ने का एक कारण यह था कि साल के बाकी महीनों में 30 और 31 दिन होते हैं। फरवरी सिर्फ 28 दिनों की थी, जिसमें एक दिन जोड़े जाने की गुंजाइश थी।

ऐसे निकलता है लीप ईयर

उदाहरण के लिए साल 2020 भी एक लीप ईयर है, यानि इसकी फरवरी 29 दिनों की है। जिस साल को 4 से भाग देने पर शेष जीरो आता हो, वो लीप ईयर होगा, लेकिन सिर्फ वही शताब्‍दी वर्ष लीप ईयर होगा, जो 400 के अंक से पूरी तरह विभाजित हो जाए। इस हिसाब से साल 2000 लीप ईयर था, लेकिन 1900 लीप ईयर नहीं था।

पहली बार 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर सिस्‍टम के अंतर्गत चार साल में एक लीप डे का सिद्धांत लागू किया गया। उस तरीके से हर चौथे साल में लीप डे जोड़ने पर कई शताब्दियों के दौरान कैलेंडर में विसंगति पैदा होने लगी। जिसे साल 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर ने ठीक कर दिया। ब्रिटानिका के मुताबिक नए सिस्‍टम के तहत हर शताब्‍दी वर्ष जैसे 2000, 2100, 2200, 2300, 2400 में से सिर्फ वही साल लीप ईयर होगा, जो 400 से पूरी तरह विभाजित हो जाए।

21वीं सदी में 2004 से लेकर हर चौथा साल जैसे 2008, 2012, 2016, 2020 तक सभी लीप ईयर हैं। इसके बाद 2024, 2028, 2032, 2036, 2040, 2044 और आगे यही सिलसिला चलता रहेगा। बता दें कि अगला शताब्‍दी वर्ष यानि 2200 लीप ईयर नहीं होगा, क्‍योंकि यह साल (2200/400=5.5) 400 से पूरी तरह विभाजित ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार तीन बातों का पूरा करने पर ही उस साल को लीप ईयर माना जाता है। वो साल को 4 से पूरी तरह विभाजित होना चाहिए। साल को 100 से विभाजित होना चाहिए, लेकिन वो तभी लीप इयर होगा जब वह साल 400 से भी विभाजित होगा। इसका मतलब सन 2000 और 2400 लीप इयर है, जबकि 1800, 1900, 2100, 2200, 2300 और 2500 लीप इयर नहीं है।

अगला लीप ईयर और क्यों जरूरी है...

जो साल लीप ईयर कहलाता है, उसमें सबसे पहले एक लीप डे जुड़ा होता है। यह दिन फरवरी महीने में जुड़ता है, जिससे यह महीना 29 दिन का हो जाता है। यानि पूरा साल के दिनों में एक दिन एक्‍स्‍ट्रा हो जाता है, जिससे लीप ईयर में 365+1 यानि 366 दिन होते हैं। साल 2000 और फिर उसके बाद से 21वीं सदी में हर चौथा साल लीप ईयर रहा है। साल 2020 लीप ईयर है यानि गला लीप ईयर 2024 होगा, उसके बाद 2028। कैलेंडर और धरती की भौगोलिक ऋतुएं एक दूसरे के साथ तालमेल में बनी रहें, इसके लिए ही कैलेंडर में लीप ईयर जरूरी है। लीप ईयर न होने पर कुछ सदियों के अंतराल में मौसम और कैलेंडर के महीने आगे पीछे हो जाएंगे। हो सकता है कि जून महीने में पूरी दुनिया में भीषण सर्दी पड़ रही हो। लीप ईयर 366 दिन का होने के कारण किसी सामान्‍य वर्ष की तुलना में 1 दिन यानि 24 घंटे लंबा होता है।

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पहला लीप ईयर

एक वेबसाइट के मुताबिक पहला लीप ईयर 1752 में हुआ था, जब ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों द्वारा जूलियन केलेंडर को त्‍यागकर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया। अपने कैलेंडर सिस्‍टम को बदलने के लिए उस साल सितंबर महीने में 11 दिन कम कर दिए गए थे वैसे लीप ईयर पहली बार 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर सिस्‍टम के अंतर्गत लागू हुआ माना जाता है। हालांकि दुनिया भर में लागू कई अन्‍य कैलेंडर जैसे इस्‍लामिक और इजिप्शियन कैलेंडर में भी लीप डे होता है।

जन्म लेने वाले बच्चे

लीप ईयर में पैदा होने वाले बच्चों को लीपलिंग्स या लीपर्स कहते हैं। एक बच्चे का लीप डे में पैदा होने की संभावना 1,461 में एक होती है। दुनियाभर में करीब 50 लाख लीपलिंग्स हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन पैदा होने वाले बच्चे असामान्य प्रतिभा, व्यक्तित्व और विशेष शक्तियों के मालिक होते हैं। आमतौर पर वे लोग अपना जन्म दिन 28 फरवरी या 1 मार्च को मनाते हैं।

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