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NBW पर चल रहे कुमार विश्वास को मिली राहत, वादी-गवाह ने पहचानने से किया मना
गैर ज़मानती वारंट पर चल रहे आप नेता कुमार विश्वास के लिये फिलहाल राहत भरी ख़बर है। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने
सुलतानपुर: गैर ज़मानती वारंट पर चल रहे आप नेता कुमार विश्वास के लिये फिलहाल राहत भरी ख़बर है। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने समेत अन्य मामलों में अभियोजन पक्ष की अर्जी पड़ने से नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने वादी इशराक ठाकुर, गवाह फजील अहमद, रामसमुझ के जिस बयान के आधार पर केस दर्ज किया था, और बाद में पुलिस ने कुमार विश्वास समेत अन्य के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। अब इन सभी लोगों ने कुमार विश्वास व अन्य आरोपियों को पहचानने से ही इंकार करते हुए कोर्ट में एप्लीकेशन दी है।
कमरौली थाने में दर्ज हुआ था केस
गौरतलब रहे कि कमरौली थाना क्षेत्र के सिंदुरवा गांव निवासी कथित कांग्रेसी नेता इशराक ठाकुर ने बीते लोकसभा चुनाव के दौरान 14 मार्च 2014 को हुई घटना का जिक्र करते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि आप पार्टी के झंडे लगे, गाड़ियों से कई लोग आए, जिनमें से एक ने अपना नाम कुमार विश्वास बताते हुए अपनी पार्टी का प्रचार करने के लिए अभियोगी के गांव के ही फजील अहमद व रामसमुझ पर दबाव बनाया था। विरोध जताने पर कुमार विश्वास व उनके समर्थकों ने कांग्रेसी नेता समेत सभी को मारा-पीटा था।
10 नवम्बर को जारी हुआ था गैर जमानतीय वारंट
मामले में इनवेस्टिगेशन के दौरान कुमार विश्वास व उनके समर्थक किरन सिंह, शशांक मौर्य, प्रियंका सिंह, अजपाल सिंह, अभिजीत शुक्ल, अविनाश त्रिपाठी के खिलाफ कई गम्भीर धाराओं में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हुई थी। इसी मामलेे में कुमार विश्वास समेत अन्य आरोपी कई पेशियों से गैर हाजिर चल रहे थे, जिनके खिलाफ कोर्ट से दो-तीन पेशियों से जमानतीय वारंट भी चल रहा था। इसके बावजूद भी गैर हाजिर रहने पर सीजेएम विजय कुमार आजाद ने कड़ा रूख अपनाते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ बीते 10 नवम्बर को गैर जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश देते हुए आगामी 10 दिसम्बर की तिथि सुनवाई के लिए तय की है।
10 दिसम्बर को होगी सुनवाई
अब इस मामले में मुकदमें के वादी इशराक ठाकुर व अन्य पीड़ित फजील अहमद, रामसमुझ की तरफ से पुलिस की विवेचना पर सवाल खड़ा करते हुए अग्रिम विवेचना की मांग को लेकर सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गई है। जिस पर सुनवाई के दौरान इनके अधिवक्ता भगवानदीन यादव ने तर्क पेश किया कि इशराक ठाकुर आदि कुमार विश्वास समेत अन्य को पहचानते ही नही थे। वादी व गवाहों के मुताबिक मामला सुर्खियों में आने पर जब उन्होंने टीवी और अखबारों में कुमार विश्वास को देखा तो उन्हे पता चला कि कुमार विश्वास कौन है?उनके मुताबिक उन्होंने महज दूसरों के बताने के आधार पर इनका नाम मुकदमे में लिखवा दिया था।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक दरोगा ने पीड़ित पक्ष से आरोपियों की पहचान भी नही करायी थी। मामले में वादी इशराक ठाकुर, फजील अहमद व रामसमुझ के सशपथ बयान के साथ कोर्ट में अर्जी देकर मामले में अग्रिम विवेचना कराए जाने की मांग की गई है। सीजेएम विजय कुमार आजाद ने अर्जी को पत्रावली के साथ संलग्न कर पूर्व निर्धारित तिथि 10 दिसम्बर को सुनवाई के लिए पेश करने का आदेश दिया है।