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कुंभ 2019: कोई संगम की रेती पर तो कोई लहरों पर उंगलियों से लिख रहे मनौती

दिव्य कुंभ भव्य कुंभ में आस्था के अनोखे रंग दिखाई दे रहे हैं। कण कण में भगवान होने के नित नये चित्र दिखाई दे रहे हैं। यहां पुण्य की डुबकी लगाने के साथ ही लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए भी आर्शीवाद मांग रहे हैं। कण कम में भगवान विराजे इस बात का अंदाजा यही है कि कभी भक्त प्रह्लाद को उनके विघ्नहर्ता भवन के खंभे में दिखते हैं, तो संत रैदास को पानी के कठौते में गंगा के दर्शन होते हैं।

Anoop Ojha
Published on: 8 Feb 2019 2:44 PM IST
कुंभ 2019: कोई संगम की रेती पर तो कोई लहरों पर उंगलियों से लिख रहे मनौती
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आशीष पाण्डेय

कुंभ नगर: दिव्य कुंभ भव्य कुंभ में आस्था के अनोखे रंग दिखाई दे रहे हैं। कण कण में भगवान होने के नित नये चित्र दिखाई दे रहे हैं। यहां पुण्य की डुबकी लगाने के साथ ही लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए भी आर्शीवाद मांग रहे हैं। कण कम में भगवान विराजे इस बात का अंदाजा यही है कि कभी भक्त प्रह्लाद को उनके विघ्नहर्ता भवन के खंभे में दिखते हैं, तो संत रैदास को पानी के कठौते में गंगा के दर्शन होते हैं। आस्था सतरंगी होती है। जिन खोजा जिन पाइयां गहरे पानी पैठि। यहां आए श्रद्धालु त्रिवेणी की धारा हाथ की उंगलिया चलाते दिखते हैं तो कोई संगम की रेती पर लिखकर मन्नत मान रहा है। आध्यात्म और पुरातन धर्म एवं आस्था पर उनकों विश्वास है कि ये मनौतियां पूरी होंगी, तब वे गंगाजी को पियरी चढ़ाएंगे।

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मन्नतों को लेकर आस्थावानों का अपना अपना तर्क

दिव्यता एवं भव्यता के लिए दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहा कुंभ खुद में कई अनछुए पहलुओं को भी समेटे हुए है। इनमें से सबसे खास पहलू यह भी है कि श्रद्धालु त्रिवेणी की लहरों एवं संगम की रेती पर अंगुलियों से मनौती भी लिख रहे हैं। जितना कठिन पानी पर पानी से लिखना है उतना ही कठिन संगम की रेती पर लिखना है। क्योंकि पानी की धारा लिखावट को छिपा लेती है तो वहीं संगम पर श्रद्धालुओं का आवागमन उसे पुन: रेती में छिपा देता है। इसके पीछे आस्थावानों का अपना अलग तर्क भी है। जौनपुर से परिवार के साथ आईं गीता दुबे संगम में डुबकी लगाने के बाद कल-कल बहती गंगा की धार पर अंगुलियों से कुछ लिख रहीं थीं। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह गंगा मइया से मनौती मांग रही हैं।

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गीता, सपना, श्रुति, दिव्या और छाया ने भी मांगी मनौती

गीता के अलावा कौशांबी के बसुहार गांव की अकांक्षा, सीतापुर की दिव्या और प्रयागराज की श्रुति त्रिपाठी भी गंगा मइया से मनौती मांगती दिखीं। वहीं, कुछ अन्य पुरुष व महिलाएं मां गंगा की लहरों पर अपने गुरु की ओर से बताए गए मंत्र को लिख रहे थे। सतना के बुजुर्ग सतपाल सिंह से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि यह मंत्र किसी को बताया नहीं जाता है। यह गुरु द्वारा दिया गया मंत्र है। कुछ आस्थावान तो यह भी कहते हैं कि दु:ख और दरिद्रता के निवारण के लिए भी मां गंगा से अर्जी लगाई जाती है।

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कोई चढ़ाएगा रोट, कोई चढ़ाएगा आर पार माला

गंगा मइया पर आस्था के ऐसे ही कई रंग हैं। जिसमें मन्नत पूरी होने के लिए कोई रोट चढ़ा रहा है तो कोई आर पार माला चढ़ा रहा है। मन्नतें भी पूरी ही होती हैं तभी तो दूर दूर से लोग आशा के साथ उम्मीद लेकर हर हर गंगे का उद्घोष कर अपनी अपनी अर्जिया अपने अपने तरीकों से लगाते दिख रहे हैं।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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