TRENDING TAGS :
जहां अलगाव की बात होगी वहां हम एकता के साथ खड़े रहेंगे: मोहन भागवत
कुंभ नगरी के सेक्टर 14 स्थित विश्व हिंदू परिषद के विशाल पंडाल में आयोजित धर्म संसद में हजारों की संख्या में जुटे संतों एवं संघ के सदस्यों व उपस्थित लोगों के बीच जैसे ही सर संघ चालक मोहन भागवत पहुंचे तो माहौल गरमा गया। सभी मोहन भागवत को सुनने को लालाइत दिखे। सभी के मन में राम मंदिर को लेकर होने वाले फैसले पर उहापोह की स्थिति बनी रही।
आशीष पाण्डेय
कुंभ नगर: कुंभ नगरी के सेक्टर 14 स्थित विश्व हिंदू परिषद के विशाल पंडाल में आयोजित धर्म संसद में हजारों की संख्या में जुटे संतों एवं संघ के सदस्यों व उपस्थित लोगों के बीच जैसे ही सर संघ चालक मोहन भागवत पहुंचे तो माहौल गरमा गया। सभी मोहन भागवत को सुनने को लालाइत दिखे। सभी के मन में राम मंदिर को लेकर होने वाले फैसले पर उहापोह की स्थिति बनी रही।
यह भी पढ़ें.....हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है: मोहन भागवत
धर्म संसद जगतगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में प्रारंभ हुई। जिसमें देशभर के पूज्य संतों की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के पहुंचते ही जय श्री राम के उद्घोष से पूरा पंडाल गूंज उठा। श्री भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि सबरीमाला समाज का संघर्ष है। वामपंथी सरकार न्यायपालिका के आदेशों के परे जा रही हैं। वह छल पूर्वक कुछ गैर श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर ले गए हैं। जो अयप्पा भक्त हैं उनका दमन किया जा रहा है। जिससे हिंदू समाज उद्वेलित है। हम समाज के इस आंदोलन का समर्थन करते हैं। न्यायपालिका में जाने वाले याचिकाकर्ता भी भक्त नहीं थे।
आज हिंदू समाज के विघटन के कई प्रयास तेजी से चल रहे हैं। कई प्रकार के संघर्षों का षड्यंत्र किया जा रहा है। जातिगत विद्वेश निर्माण किए जा रहे हैं। उनके समाधान के लिए सामाजिक समरसता जातिगत सद्भाव तथा कुटुंब प्रबोधन के कदम उठाने पड़ेंगे। धर्म जागरण के माध्यम से जो हिंदू बंधु हम से बिछड़ गए हैं उनको वापस लाना और वापस ना जाने पाए, इसके लिए सक्रिय होने की आवश्यकता है।
यह भी पढ़ें.....कुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद की तस्वीरें
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि हिंदू समाज स्वयं जागरूक समाज है। जिसने समयानुसार अपने दोस्तों का निर्मूलन स्वयं किया है। इसके बावजूद उस पर दोस थोपने का प्रयास किया जाता है। नम्बुरीपाद ने लिखा था कि अगर केरल में साम्यवाद बढ़ाना है, तो भगवान अय्यप्पा के प्रति श्रद्धा समाप्त करनी पड़ेगी। जिसके कारण 1950 में अयप्प मंदिर तोड़ा गया तथा आग लगाई गई। भक्तों की आस्था पर चोट पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया था। हिंदू समाज न्यायालय के निर्णय के पश्चात वामपंथी सरकार का जो व्यवहार रहा है उसके विरुद्ध भगवान अय्यप्पा के पुरूष भक्तों तथा मां, बहने आज तक संघर्ष कर रही हैं। वामपंथी सरकार दमन चक्र चला रही है। इस संघर्ष में पांच भक्तों को जान गंवानी पड़ी। जाति एवं भाषा के आधार पर महाराष्ट्र और गुजरात में हिंदू समाज को आपस में लड़ाने का षड्यंत्र किया गया।
यह भी पढ़ें.....गौशाला में हाल-बेहाल, ठंड में भूख से मरे दो गोवंश, ग्रामीणों ने किया हंगामा
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि देश में समान नागरिक कानून तथा समान जनसंख्या का कानून आना चाहिए और हम राम मंदिर के निर्माण से लेकिर चरित्र निर्माण के लिए जरूरत पणी तो अपने प्राणों की आहुति भी देंगे तथा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि सरकार को शीघ्र ही गौ सेवा आयोग बनाना चाहिए।
यह भी पढ़ें.....जूना अखाड़े में दो संतों को दी गई श्री महंत की उपाधि
मंच पर विशेष रूप से जगतगुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य जी महाराज, जगतगुरु रामानुजाचार्य हंसदेवाचार्य जी महराज, निर्मल पीठाधीश्वर श्री महंत ज्ञानदेव जी महाराज, पूज्य स्वामी जितेंद्रनाथ जी महाराज, पूज्य सतपाल जी महाराज, पूज्य स्वामी वियोगानंद जी महाराज, पूज्य स्वामी विवेकानंद सरस्वती जी महाराज, आनंद अखाड़ा के आचार्य, म.म. बालकानंद जी महाराज, निरंजनी अखाड़ा के पूज्य स्वामी पुण्यानंद गिरी जी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी परमानंद जी महाराज, पूज्य स्वामी अय्यप्पा दास जी महाराज, पूज्य स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज, डा. रामेश्वर दास जी वैष्णव, पूज्य श्री महंत नृत्य गोपालदास जी महाराज तथा म.म. जयराम दास जी महाराज सहित 200 से अधिक मंच पर एवं हजारों की संख्या में संत सभागार में उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें.....देश में दो बच्चों के लिए कानून बनाया जाना चाहिए : बाबा रामदेव
केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य एवं आचार्य सभा के महामंत्री पूज्य स्वामी परमानंद जी महाराज ने सबरीमाला में परंपरा और आस्था की रक्षा करने का संघर्ष अयोध्या आंदोलन प्रस्ताव तथा पूज्य स्वामी जी ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया हिंदू समाज के विघटन के यंत्र का का वचन पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज ने किया तथा अनुमोदन संत समिति के महामंत्री पूज्य स्वामी जितेंद्रानंद जी महाराज ने किया।
यह भी पढ़ें.....कुंभ के बाद संत अयोध्या में मिलेंगे और राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा
धर्म संसद के पहले दिन दो प्रस्ताव हुए पास
1- धर्म संसद में शबरी माला शबरी माला में परम्परा और आस्था की रक्षा करने का संघर्ष अयोध्या के समक्ष बताते हुए उस पर प्रस्ताव पास किया गया। जिसमें केरल की वामपंथी सरकार के अयप्पा मंदिर के प्रति चलाए जा रहे दमन चक्र का विरोध करने के लिए हिंदू समाज का आह्वान किया।
2- कुछ सांप्रदायिक ताकतें हिंदू तमाज के विघटन करने का षड़यंत्र कर रही हैं। इसे रोकने के लिए धर्म संसद में प्रस्ताव पारित करते हुए हिंदू समाज का आह्वान किया गया।