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जयंत! तुम अमृत के संरक्षक हो, कब जूझोगे नए असुरों से इसे बचाने को

हे जयंत! तुम अमृत के संरक्षक हो, उसे बचाने को तुम ही असुरों से जुझे हो, इसके लिए संपूर्ण देव जगत तुम्हारा चिरऋणी है। अमृत कुंभ को तुम ने ही बचाया, गुरु बृहस्पति और चंद्रमा ने तुम्हारी सहायता की। इसीलिए करोड़ों बरसों बाद भी तुम तीनों लोकों में सुविख्यात हो। किंतु क्या तुम्हारे आभामंडल और स्फूर्ति में कुछ कमी आ गई है क्या? यह सवाल तो उठा रहा है जयंत।

Anoop Ojha
Published on: 22 Jan 2019 2:15 PM GMT
जयंत! तुम अमृत के संरक्षक हो, कब जूझोगे नए असुरों से इसे बचाने को
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आशीष पाण्डेय

कुंभ नगर: हे जयंत! तुम अमृत के संरक्षक हो, उसे बचाने को तुम ही असुरों से जुझे हो, इसके लिए संपूर्ण देव जगत तुम्हारा चिरऋणी है। अमृत कुंभ को तुम ने ही बचाया, गुरु बृहस्पति और चंद्रमा ने तुम्हारी सहायता की। इसीलिए करोड़ों बरसों बाद भी तुम तीनों लोकों में सुविख्यात हो। किंतु क्या तुम्हारे आभामंडल और स्फूर्ति में कुछ कमी आ गई है क्या? यह सवाल तो उठा रहा है जयंत। तुम परोपकारी और सत्य के पक्षधर लेकिन तुम्हारे लाखों भक्त जो प्रयागराज कुंभ में अमृत चखने आए हैं। उनमें से कुछ सत्यशोधन के बजाए उठाई गिरी बन बैठे हैं। क्या तुम इन नए असुरों से नहीं जूझोगे। इन्हें कौन रोकेगा। तुम्हारी परंपरा का ध्वजवाहक आखिर कोई तो होना ही चाहिए।

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कुंभ मेला जैसे-जैसे परवान चढ़ रहा है। व्यवस्थाओं की पोल परत दर परत खुलती जा रही है। पुण्य क्षेत्र में जमीन और सुविधाओं की उठाई गिरी हो रही है। एक संस्था प्रशासन से जमीन और सुविधाएं मुफ्त में लेती है लेकिन वह उनको बेच देती है। जिन्हें लाख कोशिश के बावजूद या तो नहीं मिली या फिर कम मिली है। कुछ धनवान सेठ अपने गुरु के सम्मान की खातिर ऐसे सौदे कर रहे हैं और उठाई गिरी उससे अपना धंधा चमका रहे हैं।

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मेला प्राधिकरण के अधिकारी भले ही इन बातों को खारिज करते हैं लेकिन उनके नीचे वाले इस गोरखधंधे को बखूबी जान रहे हैं। क्योंकि जमीन और सुविधाओं की पर्चियां वहीं काट रहे हैं। पुण्य क्षेत्र में पाप के ये लंबरदार खुलेआम घूम रहे हैं। कोई गेस्ट हाउस बना कर उसे किराए पर उठा रहा है तो कोई पूरा शिविर ही बेच रहा है। कई सेक्टरों से ऐसी शिकायतें मेला प्रशासन तक पहुंची हैं। लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। मेला कर्मी ऐसे धंधे वालों से मिलीभगत कर उन्हें बढ़ावा देने में पीछे नहीं है।

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अगर यूं कहा जाए कि इस धंधे के पीछे वही स्वयंभु बन बैठे हैं तो अतिशयोक्ति ना होगी। पुण्य क्षेत्र से पाप की कमाई वह कहां खपाएंगे। यह वही जानते होंगे लेकिन इस सूत्र वाक्य कि कहीं भी किया गया पाप गंगा में धुल जाता है और गंगा में किया गया पाप कहां धुलेगा का उत्तर किसी के पास नहीं होता।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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