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राम तो एक हैं लेकिन धर्म संसद दो, ऐसा क्यों?
आस्था के कुंभ में मंदिर को लेकर सियासत ऐसी गर्म हुई कि ठढ भी बेअसर होती जान पड़ रही है। कुभ में राम मंदिर को लेकर संतों में दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं। ज्योतिष एवं द्वारिका पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महराज के द्वारा बुलाई गई तीन दिवसीय परम धर्म संसद में जहां देश विदेश से आए हजारों की तादात में संतों का जमघट रहा तो वहीं संसद में सनातन धर्म संस्कृति को लेकर चर्चाएं हुई
आशीष पाण्डेय
कुंभ नगर: आस्था के कुंभ में मंदिर को लेकर सियासत ऐसी गर्म हुई कि ठढ भी बेअसर होती जान पड़ रही है। कुभ में राम मंदिर को लेकर संतों में दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं। ज्योतिष एवं द्वारिका पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महराज के द्वारा बुलाई गई तीन दिवसीय परम धर्म संसद में जहां देश विदेश से आए हजारों की तादात में संतों का जमघट रहा तो वहीं संसद में सनातन धर्म संस्कृति को लेकर चर्चाएं हुई लेकिन परम धर्म संसद के तीसरे और अन्तिम दिन जब शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा आदेश पारित करते हुए बसंत पंचमी के बाद संतों के अयोध्या कूच करते हुए 21 फरवरी को सिला पूजन के साथ दिव्य एवं भव्य राम मंदिर निर्माण का आदेश पारित हुआ तो मंदिर के मुद्दे ने गरमाहट पैदा कर दी। संतों के दो धड़ों में इसे लेकरअलग अलग तर्क हैं।
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गुरूवार को विश्वहिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद के पूर्व जब जगदगुरू रामानन्दाचार्य नरेंद्राचार्य जी महराज ने परम धर्म संसद पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिन्होंने कभी कारसेवा नहीं की और मंदिर के किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया वह आज कांग्रेस के इशारे पर हिंदुओं को भ्रमित करने के लिए विहिप के धर्म संसद के पूर्व आयोजित कर मंदिर निर्माण के लिए कूच करने की बात कह रहे हैं। अगर सच में उन्हें मंदिर निर्माण की चिंता है तो वह पहले मंदिर निर्माण में बाधा बनने वाले कांग्रेसी वकीलों को रोकें और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सदबुद्धि दें क्योंकि वह कांग्रेस के गुरू और समर्थक हैं। कांग्रेस शायद उनकी बात को तवज्जो दे दे। लेकिन अगले कुछ ही देर में जब विश्वहिंदू परिषद की धर्म संसद शुरू हुई तो वहां भारी संख्या में साधू संतों का जमघट लगा और जय श्री राम के उदघोष से समूचा क्षेत्र गूंज उठा । इस धर्म संसद में संघ और संतों का जमघट रहा।
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लेकिन इस धर्म संसद में मौजूद संतों ने जब मंदिर निर्माण को लेकिन भाजपा पर भरोसा जताया तो फिर वही बात उठ गई कि राम का कौन, एक तो भाजपा का और दूसरा कांग्रेस का। आखिर एक मंदिर निर्माण की बात करते हैं तो दूसरा सरकार पर भरोसा जता रहा है लेकिन मंदिर निर्माण पर सरकार की रीतियों और नीतियों पर कोई सवाल नहीं शायद यह भाजपा के समर्थन में एक चुनावी समीकरण को तय कर रहा है।
कुंभ नगर पहुंचे सीएम ने भागवत से की मुलाकात लेकिन धर्म संसद से बनाए रखी दूरी
कुंभ नगर में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद से योगी आदित्यनाथ मौन दिखे वह कुंभ में पहुंचे जरूर लेकिन मोहन भागवत से वार्ता कर वहां से चले गए। लेकिन शायद उन्हें संतों के आक्रोश को लेकर मन में एक डर था कि देखते ही देखते कुछ ही देर में जब मोहन भागवत धर्म संसद को संबोधित कर रहे थे उसी समय उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने मंच पर दस्तक दी। मधुर मुस्कान के साथ उन्होंने संतों का आर्शीवाद लिया और कुछ ही देर में बगैर संबोधन वहां से चले गए। जिसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि विहिप की धर्म संसद में गाहे बगाहे भाजपा पर मंदिर निर्माण को लेकर अपना भरोसा अभी बरकरार रखा है।
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विहिप भाजपा का हिस्सा लेकिन अखाड़ा परिषद किसी की बपौती नहीं
कुंभ नगर में एक बार जब परम धर्म संसद में मंदिर निर्माण को लेकर धर्मादेश पारित हो गया तो आखिरकार विहिप की धर्म संसद में सन्नाटा पसरा रहा लेकिन उन्होंने आपसी प्रेम और सदभाव के साथ मंदिर का मार्ग प्रशस्त करने की बात कही इस पर जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि करोंड़ों हिंदू राम के भक्त हैं और राम उनके हैं। सभी मंदिर निर्माण चाहते हैं लेकिन विहिप भाजपा का एक घटक दल है जो मंदिर के नाम पर भाजपा को संतों का समर्थन दिलाने का कार्य करता है। अब संत मंदिर से कम कुछ नहीं चाहते।