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कुंभ: 19 फरवरी तक चलेगा कृष्ण लीला का मंचन, जन्मोत्सव देखने को उमड़ी भक्तों की भीड़

उन्होंने बताया कि यहां 12 जनवरी से अनवरत अन्न भण्डार, दिन में 2 बजे से 5 बजे तक डा. दीपांशु जी महराज द्वारा श्री राम कथा का वाचन एवं रात 8 बजे से 10 बजे तक नृत्य रासलीला का मंचन होता है

Shivakant Shukla
Published on: 22 Jan 2019 11:13 AM IST
कुंभ: 19 फरवरी तक चलेगा कृष्ण लीला का मंचन, जन्मोत्सव देखने को उमड़ी भक्तों की भीड़
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आशीष पाण्डेय

कुंभ नगर: पौष पूर्णिमा की संध्या में अचानक कुंभ नगरी भ्रमण का खयाल आया। तो बस निकल पड़े ठण्ड में मेला क्षेत्र का भ्रमण करने। आकर्षक जगमग रौशनी से सराबोर कुंभ नगरी में परेड से प्रवेश किया तो वहां आकर्षक लाइटों से सजे झूलों का आनंद लेते बच्चे दिखे।

आगे बढ़े तो लाइट की रोशनी से मेला क्षेत्र तारों की तरह टिमटिमा रहा था। मन में कौतूहल था बढ़ गए। पुल नंबर 6 की तरफ और गंगा की अविरल कल कल करती लहरों पर टिमटिमाती लाइटों के बीच पीपा पुल पार कर रहे थे कि वहां सेल्फी लेने वालों का भी जमावड़ा था।

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पुल पार कर मैं कल्पवासी क्षेत्र में पहुंचा वहां अखाड़ों में भजन कीर्तनों का दौर चल रहा था कि तभी मैं कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 16 संगम लोअर मार्ग पर श्री बालाजी संस्थान सूरत के कैम्प में पहुंचे तो वहां श्री कृष्ण लीला का मंचन चल रहा था। सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पुरूषों का जमघट लगा था। सभी मंत्रमुग्ध होकर मंचन का आनंद ले रहे थे। इसी बीच वहां के महंत डा. देवेंद्र दास दीपांशु जी से मुलाकात हुई।

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उन्होंने बताया कि यहां 12 जनवरी से अनवरत अन्न भण्डार, दिन में 2 बजे से 5 बजे तक डा. दीपांशु जी महराज द्वारा श्री राम कथा का वाचन एवं रात 8 बजे से 10 बजे तक नृत्य रासलीला का मंचन होता है। इसी कड़ी में सोमवार को करूणामयी रामलीला बरसाना के कलाकारों द्वारा श्री कृष्ण की लीला का मंचन देखने बैठ गया। जहां पूतना द्वारा श्रीकृष्ण को अपना विषैला दूध पिलाकर मारने का प्रयास किया गया लेकिन भगवान की अदभुत लीला के चलते पूतना का वध हो गया।

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इसके बाद पूरा पंडाल श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव के मंत्रोच्चार से गूंज उठा। इसके बाद कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की आरती के पश्चात कार्यक्रम समाप्त हुआ। कुछ भी हो लेकिन आध्यात्म की नगरी में तरह तरह के आध्यात्म से जुड़े भजन, कीर्तन एवं रामलीला आदि का मंचन लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हैं।



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Shivakant Shukla

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