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कुंभ 2019: प्रकृति बचेगी तभी प्राणायाम संभव: स्वामी चिदानन्द

परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल क्षेत्र सेक्टर 18 प्रयागराज में पर्यावरण को समर्पित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन संगम के तट पर भागवत किंकर कथा व्यास अनुराग कृष्ण शास्त्री भगवत ज्ञान की दिव्य धारा प्रवाहित कर रहे हैं। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भागवत कथा का श्रावण कर रहे भक्तों को भागवत कथा के मंच से संदेश देते हुये कहा कि कुम्भ में भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से श्रद्धालु स्नान के लिये आते हैं।

Anoop Ojha
Published on: 6 Feb 2019 4:26 PM IST
कुंभ 2019: प्रकृति बचेगी तभी प्राणायाम संभव: स्वामी चिदानन्द
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आशीष पाण्डेय

कुंभ नगर: परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल क्षेत्र सेक्टर 18 प्रयागराज में पर्यावरण को समर्पित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन संगम के तट पर भागवत किंकर कथा व्यास अनुराग कृष्ण शास्त्री भगवत ज्ञान की दिव्य धारा प्रवाहित कर रहे हैं। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भागवत कथा का श्रावण कर रहे भक्तों को भागवत कथा के मंच से संदेश देते हुये कहा कि कुम्भ में भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से श्रद्धालु स्नान के लिये आते हैं। यहां पर आध्यात्मिक चर्चा के साथ-साथ जो वैश्विक समस्यायें हैं। उन पर भी चिंतन और समाधान होना चाहिये। बढ़ता वायु प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है।

वृक्षारोपण कर धरा को और हरा-भरा कर सकते हैं

पेड़ों के कटने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और आक्सीजन का स्तर कम होता जा रहा है। हम वृक्षारोपण कर हमारी धरा को और हरा-भरा कर सकते हैं और अपने आस-पास के क्षेत्र को आक्सीजन बैंक बना सकते हैं। वृक्ष की शीतल छाया मां के आंचल के समान होती है। पेड़ों को सुरक्षित कर हम मानव सभ्यता को सुरक्षित कर सकते हैं। उन्होने कहा कि प्रकृति बचेगी तभी प्राणायाम हो सकेगा। प्राणायाम की सार्थकता भी तभी सिद्व हो सकती हैं, जब प्राणों को आक्सीजन मिले और इसके लिये पहले प्रकृति की शरण में जाना होगा। पौधों का रोपण करना होगा। वृक्ष हमारे लिये प्रकृति प्रदत उपहार है, उनका संरक्षण करना होगा।

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आध्यात्मिक शक्तियों को सृजनात्मक शक्ति को आत्मसात करे

कथा व्यास अनुराग शास्त्री ने कहा कि ईश्वर को पाने के लिये मन की निर्मलता एवं तन की स्वच्छता आवश्यक है। अपने अन्दर के अज्ञान को परमात्मा की शरण में त्याग कर इस दिव्य संगम में विद्यमान आध्यात्मिक शक्तियों को सृजनात्मक शक्ति को आत्मसात करे, यही दिव्य कथा का सार है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कथा के मंच से भक्तों को वृक्षारोपण का संकल्प कराया। पर्वों, उत्सवों, जन्मदिवस और खुशियों के अवसर पर वृक्षारोपण कर हम अपनी धरा को हरा-भरा बनाये। उन्होने कहा कि अब पेडे नहीं पेड़ बाटें इससे हमारी संस्कृति, प्रकृति और प्रवृति की रक्षा होगी। अब जन्म दिवस पर केक पार्टी नहीं बल्कि पेड़ पार्टी का आयोजन किया जाये। उन्होने कहा कि हमें अपनी भावी पीढ़ियों को बचाना हैं तो वृक्षारोपण करना होगा। कहीं ऐसा न हो कि हमारे छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल बैग के साथ श्वास लेने के लिये आक्सीजन सिलेन्डर लेकर चलना पड़े।

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स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में अरैल घाट पर प्रतिदिन संगम आरती होती है। आरती के पश्चात राष्ट्रगान किया जाता है ताकि देश भक्ति का संदेश हर भारतवासी तक पहुंचे। परमार्थ निकेतन की सेवा टीम कुम्भ मेला क्षेत्र के विभिन्न सेक्टरों में जाकर पपेट शो के माध्यम से श्रद्धालुओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही है।

परमार्थ निकेतन शिविर एक ऐसा मंच है। जहां से देशभक्ति, देवभक्ति, जल संरक्षण हेतु विश्व ग्लोब का अभिषेक, भगवान शिव के गले के अभिषेक से पहले अपनी-अपनी गलियों का अभिषेक, संगम में स्नान से पहले संगम का स्नान, शौचालय के प्रयोग के लिये जागरूक करने हेतु टॉयलेट कैफेटेरिया तथा पर्यावरण एंव जल संरक्षण का संदेश प्रसारित कर जागरूक किया जा रहा है।

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योग कुम्भ-एक सप्ताह से चल रहे योग कुम्भ में प्रतिदिन प्रातः काल 7:00 से 9:00 तक नन्दिनी त्रिपाठी और अमेरिका से आये मिस्टर ऐड योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम, ध्यान करा रहे हैं। दोपहर के सत्र में कृष्णामाचार्य योग संस्थान द्वारा योग थेरेपी, व्यासा के विशेषज्ञों द्वारा योग निद्रा सत्र, मोरार जी देसाई योग संस्थान द्वारा योगाभ्यास कराया जा रहा है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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