Kushinagar News: 30 सालों से रामकोला में मनाई जा रही किसानों की शहादत, गोलीकाण्ड में शहीद हुए थे किसान

Kushinagar News Today: जनपद कुशीनगर के रामकोला नगर में शहीद किसान स्मारक स्थल पर तीस साल से प्रतिवर्ष किसानों की बरसी पर शहादत दिवस मनाई जाती है।

Mohan Suryavanshi
Published on: 9 Sep 2022 11:09 AM GMT
For 30 years, on this day, the martyrdom of farmers is celebrated in Ramkola, two farmers were martyred in the shooting
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 कुशीनगर: 30 सालों से आज के दिन रामकोला में मनाई जाती है किसानों की शहादत

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Kushinagar News: जनपद कुशीनगर के रामकोला नगर में शहीद किसान स्मारक स्थल पर तीस साल से प्रतिवर्ष किसानों की बरसी पर शहादत दिवस मनाई जाती है। इस साल भी 10 सितम्बर को मनायी जायेगी। पूर्व राज्य मंत्री व किसान नेता राधेश्याम सिंह आजीवन मनाने का प्रण लिये है।

रामकोला नगर के त्रिवेणी चीनी मिल (Triveni Sugar Mill) के गेट पर बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर 10 सितंबर 1992 को पुलिस फायरिंग में 2 किसान शहीद हुए थे । किसान आंदोलन के अगुआ राधेश्याम सिंह ने उसी समय प्रण कर लिया कि जब तक जीवित रहूंगा किसानों की शहादत दिवस को मनाता रहूंगा।

1992 में रामकोला गोलीकाण्ड में शहीद हुए थे दो किसान।

अगस्त 1992 में रामकोला नगर में स्थित त्रिवेणी चीनी मिल प्रशासन द्वारा किसानों का बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान न करने से तंग आकर क्षेत्र के किसानों ने किसान नेता राधेश्याम सिंह के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया। आंदोलन अनवरत चलता रहा । मिल प्रशासन और आंदोलनकारी किसानों के बीच प्रथम चरण की वार्ता 8 अगस्त को विफल हुई। किसानों के आंदोलन की बात जब लखनऊ तक पहुंची तो प्रशासनिक अधिकारियों पर किसानों को मनाने का दबाव बनने लगा। एक बार पुनः 9 सितंबर को प्रशासनिक अधिकारियों, चीनी मिल प्रबंध तंत्र एवं किसान आंदोलन के अगुआ राधेश्याम सिंह के बीच शुरू हुई जो देर शाम तक चली। इस बार भी वार्ता विफल रही।


आंदोलनकारी किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। आंदोलनकारियों ने चीनी मिल प्रबंधक को बंधक बनाकर अपने साथ बैठा लिया और शर्त रख दिया कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक प्रबंधक भी हम लोगों के साथ बैठे रहेंगे। 10 सितंबर को प्रशासन ने रणनीति बदलते हुए राधेश्याम सिंह को रामकोला थाने में वार्ता करने को बुलाया ।

किसानों का बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान का मामला

किसान नेता राधेश्याम सिंह धरना स्थल से कुछ किसानों को साथ रामकोला थाने पर वार्ता करने आ गए। अधिकारी आंदोलन को समाप्त करने का उन पर दबाव बनाने लगे। इस बात की भनक लगते ही भारी संख्या में किसान थाने पहुंच गए। प्रशासन की हठधर्मिता और उग्रता से मामला बिगड़ गया और किसान की उग्र हो गए। दोनों तरफ से झड़प होने लगा और पथराव भी शुरू हो गया। पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी ।गोलीबारी में किसान पढ़ोही हरिजन व जमादार मियां की मौत हो गई । नगर में अफरा-तफरी मच गयी। प्रशासन ने भारी संख्या पीएसी बल व पुलिस बल मंगाकर लाठी चार्ज कर दिया जिसमें किसानों सहित तमाम अन्य लोग भी घायल हो गए । किसान नेता राधेश्याम सिंह भी बुरी तरह घायल हो गए ।

घटना को याद कर सिहर उठते हैं किसान

राधेश्याम सिंह सहित 250 किसानों को गिरफ्तार कर देवरिया जेल भेज दिया गया। रामकोला नगर में कर्फ्यू लगा दिया गया । रामकोला गोलीकांड लखनऊ और दिल्ली सहित पूरे देश गूंज उठी। राजनीतिक दलों के नेताओं का रामकोला आने का क्रम शुरू हो गया। समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव देवरिया जेल में राधेश्याम सिंह से मिलने गए और उनके साहस और आन्दोलन की तारीफ भी किए। किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान यूनियन के नेताओ साथ रामकोला आए । टिकैट किसानों पर हुए गोलीबारी तथा बकाया गन्ने के मूल्य को लेकर लखनऊ में तीन दिवसीय धरना भी दिए थे। 10 सितंबर आते ही उस आंदोलन के गवाह किसान उस दिन की घटना को याद कर सिहर उठते हैं।

Shashi kant gautam

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