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Kushinagar: सलेमगढ़ राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय हुआ बदहाल, जर्जर भवन में फार्मासिस्ट-वार्ड ब्वाय के भरोसे चल रहा अस्पताल
Kushinagar: कुशीनगर जनपद के सलेमगढ़ में देखने को मिला। जहां जनता के स्वास्थ्य लाभ के लिए बना अस्पताल खुद बिमारू अवस्था में पड़ा है।
Kushinagar: प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं (health facilities) देने के लिए प्रयासरत है। लेकिन अभी भी सिस्टम में इतनी कमियां है कि धरातल पर तमाम योजना औधे मुह गिरी है। ऐसा ही एक नजारा कुशीनगर जनपद के सलेमगढ़ (Government Ayurvedic Hospital Salemgarh) में देखने को मिला। जहां जनता के स्वास्थ्य लाभ के लिए बना अस्पताल खुद बिमारू अवस्था में पड़ा है। जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधि की नजर आज तक नहीं पड़ी।
जर्जर भवन में वर्षों से संचालित चिकित्सालय हो रहा है जो कभी भी गिर सकता है। लेकिन विभाग के जिम्मेदार सहित जिला प्रशासन को इस समस्या से कोई लेना देना नहीं है। जिसके कारण आम आदमी को सरकारी सुविधाओं का लाभ सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है।
बिहार सीमा के नजदीक हैं अस्पताल
कुशीनगर जनपद के अंतिम छोर पर जो बिहार राज्य की सीमा के करीब विकास खण्ड सेवरही के ग्राम सभा सलेमगढ़ बजार में पुराने पंचायत भवन में आज लगभग बीस वर्षों से राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित हो रहा है।
चिकित्सालय के पास अपनी कोई निजी भवन नहीं है।आज तीन वर्ष पूर्व ग्राम सभा स्तर पर मौजूद चिकित्सालय के लिए प्रस्ताव भी किया गया था जो आज तक नसीब नहीं हो पाया। भवन जर्जर हालात में है जिससे आदमी चिकित्सालय पर जाने घबराते हैं।
दो कर्मचारियों के भरोसे चिकित्सालय
सलेमगढ़ के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय चार पद के लिए सृजित है। लेकिन यहां पर केवल फर्मासिस्ट श्याम देव गुप्ता और वार्ड ब्वाय लल्लन पाण्डेय के जिम्मे विभाग ने जिम्मेदारी देकर खानापूर्ति कर दिया है।इस चिकित्सालय पर डाक्टर और स्वीपर की तैनाती नहीं किया गया है। लेकिन भगवान भरोसे यहां इलाज किया जा रहा है।
भगवान भरोसे है भवन
जिस छत के नीचे राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित हो रहा है वह भगवान भरोसे है। जहां आम आदमी के साथ तैनात फर्मासिस्ट और वार्ड ब्वाय की जान हमेशा ख़तरे में है। लेकिन जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं। चार बेड के जगह दो ही बेड हैं।
जिम्मेदारो ने नही ली सुधि
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी से लेकर अन्य अधिकारी इस अस्पताल की कभी सुधि नहीं ली। बिजली, पानी से लेकर बुनियादी जरूरतो पर नजर नही डाली गयी है।