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Kushinagar News: छले गए किसान, रो रहे खून के आंसू, अधिग्रहण की कार्रवाई के बाद पड़ गए रोटी के लाले, योगी जी ध्यान दें
Kushinagar News: जनपद के हाटा कोतवाली थाना क्षेत्र के ढाढा में स्थित बिड़ला ग्रुप की चीनी मिल द्वारा एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर कब्जा मिलने के उपरांत 50 से अधिक किसान भूमि हो गए हैं।
Kushinagar News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ध्यान दें, ये गुहार है अपनी जमीन से बेदखल कर दिये गए किसानों की। जनपद के हाटा कोतवाली थाना क्षेत्र के ढाढा में स्थित बिड़ला ग्रुप की चीनी मिल द्वारा एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर कब्जा मिलने के उपरांत 50 से अधिक किसान भूमि हो गए हैं। किसान खून के आंसू रो रहे हैं। उनकी पैतृक भूमि थी जिसे अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे, वही जमीन चली गयी क्या करें किसान कैसे परिवार को पालें। जिम्मेदारों से गुहार लगाकर थक चुके किसान एक बार फिर सीएम योगी से फरियाद की तैयारी कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
कुशीनगर जनपद के हाटा क्षेत्र में ढ़ाढ़ा में बिरला ग्रुप की न्यू इंडिया शुगर मिल स्थित है। मिल के प्रस्तावित एथेनॉल कारखाने के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में 176 किसने की 19.5 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण किया था। इनमें से 88 किसान शासन की मंशा के रूप में मुआवजा लेकर अपनी जमीन चीनी मिल को दे दिए। लेकिन 86 किसानों ने अपने खेतों पर पूर्व वत कब्जा बनाए रखा और मुआवजा नहीं लिया। इस भूमि के लिए चीनी मिल और प्रशासन लगातार किसानों से वार्ता करते रहे जो की असफल होता रहा। इसी बीच किसान अपनी मांगों को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल के लिए लेकिन यह खारिज हो गई। गत 1 दिसंबर को जिला प्रशासन तहसील प्रशासन भारी पुलिस भर के साथ उक्त भूमि को खाली करा कर चीनी मिल को सौंप दिया गया।
इन्हीं जमीनों के चलते किसानों को मिलती थी पीएम सम्मान निधि।
हाटा कोतवाली क्षेत्र की ढाढ़ा में बुजुर्ग गांव के हरपुर टोले की पांच दर्जन से अधिक किसान परिवार भूमिहीन हो गए इसको लेकर किसानों को मलाल है। उनके पैतृक जमीन जिस पर खेती करने करते थे चली गई। इसी जमीन के बदौलत किसान पीएम सम्मन निधि पाते थे। यहां के निवासी अमला पुत्र रामबली, सुरेंद्र, सुभाष,सर्वेश पुत्रगण चंद्रबली, भैरवनाथ, छोटेलाल और भोलेनाथ पुत्रगण कैलाश आदि सहित दर्जनों किसानों के पास के एक बीघे से कम जमीन थी। वह भी अधिग्रहण में चली गई। ये लोग दलित समुदाय के लोग हैं जो इन्हीं जमीनों को जोत बोकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।